नवरात्रि के नौवें दिन आदि शक्ति मां दुर्गा के मां सिद्धिदात्री स्वरूप की उपासना

वाराणसी । नवरात्र के आखिरी दिन आदिशक्ति मां दुर्गा के नौवे रूप मां सिद्धिदात्री का पूजन, अर्चन और स्तवन किया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व ये आठ सिद्धियां हैं। अपने उपासक को ये सभी सिद्धियां देने के कारण ही इन्हें सिद्धिदात्री कहा जाता है।

नवरात्र का अंतिम दिन है विशेष : नवरात्र के प्रमुख आकर्षण में से एक कन्यापूजन भी है। ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप की उपासना करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। जो भक्त नौ दिन का व्रत रखते हैं, उनका नवरात्र व्रत नौ कन्याओं को नौ देवियों के रूप में पूजने के बाद ही पूरा होता है। उन्हें अपने सामर्थ्य के अनुसार भोग लगाकर दक्षिणा देने से ही मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं। इसके बाद ही प्रसाद ग्रहण करके व्रत खोलना चाहिए। शक्ति पूजन का अंतिम दिन होने से ये दिन काफी विशेष होता है।

ऐसे करें कन्यापूजन : कन्याओं को माता रानी का रूप माना जाता है। कन्याओं के घर आने पर माता रानी के जयकारे भी लगाने चाहिए। इसके बाद कन्याओं के पैर धोने चाहिए। सभी कन्याओं को आसन बिछाकर बैठाना चाहिए, फिर रोली और कुमकुम का टीका लगाने के बाद उनके हाथ में मौली बांधनी चाहिए। अब सभी कन्याओं और बालक की आरती उतारनी चाहिए। इसके बाद माता रानी को भोग लगाया हुआ भोजन कन्याओं को दें।

देवी के साथ इनकी पूजा भी जरूरी : मां भगवती को खीर, मिठाई, फल, हलवा, चना, मालपुआ प्रिय है इसलिए कन्या पूजन के दिन कन्याओं को खाने के लिए पूड़ी, चना और हलवा दिया जाता है। कन्याओं को केसर युक्त खीर, हलवा, पूड़ी खिलाना चाहिए। कन्याओं के साथ एक बालक को भी भोजन कराना चाहिए। बालक को बटुक भैरव और लंगूरा के रूप में पूजा जाता है। देवी की सेवा के लिए भगवान शिव ने हर शक्तिपीठ के साथ एक-एक भैरव को रखा हुआ है, इसलिए देवी के साथ इनकी पूजा भी जरूरी है।

ऐसा है मां का स्वरूप : मां दुर्गा इस रूप में श्वेत वस्त्र धारण की है। मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं से युक्त हैं। इनका वाहन सिंह है। यह कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। इनकी दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमल पुष्प है।

मां सिद्धिदात्री की स्तुति :
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
मां सिद्धिदात्री की प्रार्थना :
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
मां सिद्धिदात्री के मंत्र :
“ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।।”
जय माता दी

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पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री

जोतिर्विद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
9993874848

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