विश्व छात्र दिवस 15 अक्टूबर 2024- संयुक्त राष्ट्र ने मिसाइल मैन के सम्मान में यह दिवस घोषित किया था

छात्रों के चरित्र को आकार देने, मानवीय मूल्यों को स्थापित करने व सीखने की क्षमताओं को बढ़ाने में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका
छात्र काल में अपने चुनिंदा क्षेत्र में नवाचार रिसर्च का वैज्ञानिक बनकर भारत माता की झोली में एक नोबेल पुरस्कार डालने का प्रण करना जरूरी- एड. के.एस. भावनानी

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं जिनके ज्ञान रूपी दीपक की ज्योति से संपूर्ण मानवीय जाति को ज्ञान रूपी लौ से ज्ञान की उज्जवलता फैलाते रहते हैं जिनकी प्रेरणा से कई ऐसे व्यक्ति तैयार होते हैं जो भारत के सम्मान और प्रतिष्ठा को बुलंदियों तक ले जाकर भारत की प्रतिष्ठा में चार चांद जड़ देते हैं, इसलिए ही संयुक्त राष्ट्र भी ऐसे व्यक्तियों को सम्मान देने के लिए उनके जन्मदिन को वैश्विक स्तर पर मनाने के लिए वैश्विक दिवस घोषित करता है। वैसे तो ऐसे कई महान व्यक्तित्व हैं परंतु चूँकि 15 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र ने 2010 में भारतीय पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न 1997, पदम भूषण 1981, पदम विभूषण 1990, वीर सावरकर पुरस्कार 1998, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार 1997, रामानुजन पुरस्कार 2000 से सम्मानित मिसाइल मैन के नाम से प्रख्यात व्यक्तित्व एपीजे अब्दुल कलाम के जन्म दिवस 15अक्टूबर को विश्व छात्र दिवस के रूप में मनाने की घोषणा 2010 में थी, इसीलिए ही पूरे विश्व में यह दिवस अंतरराष्ट्रीय छात्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।

भारत में तो इस दिवस को खास दिवस के रूप में मनाया जाता है। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित सभी व्यक्तित्व उनकी जयंती पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इसके साथ हम एक कड़ी जोड़कर देखें तो 7 से 14 अक्टूबर 2024 को नोबेल पुरस्कारों की घोषणा की गई है, जिसमें फिर भारत की झोली में एक भी पुरस्कार नहीं आया है। हमने देखे कि 1901 से पुरस्कारों की घोषणा की जा रही है परंतु भारत को मिले 10 पुरस्कारों में भारतीय नागरिको को केवल पांच पुरस्कार आए हैं, अर्थात पुरस्कारों का अकाल सा हो गया है, आखिर क्यों? क्या कमी हो रही है, इसलिए हमें चाहिए कि इस वर्ष 15 अक्टूबर 2024 को छात्र दिवस के पावन पर्व पर सभी छात्र गंभीरता से विचार कर एक संकल्प करें कि अपने छात्र काल में अपने चुनिंदा शिक्षण क्षेत्र में नवाचार रिसर्च कर वैज्ञानिक बन कर भारत माता की झोली में एक नोबेल पुरस्कार डालने का प्राण करें जो जरूरी भी है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, विश्व छात्र दिवस 15 अक्टूबर 2024, संयुक्त राष्ट्र ने मिसाइल मैन के सम्मान में यह दिवस घोषित किया था।

साथियों बात अगर हम छात्र दिवस 15 अक्टूबर 2024 की करें तो, संयुक्त राष्ट्र संगठन ने शिक्षा को बढ़ावा देने की कोशिशों के लिए एपीजे अब्दुल कलाम के 79वें जन्म दिवस से विश्व छात्र दिवस या विश्व विद्यार्थी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी, इसके बाद हर वर्ष उनकी जयंती को विश्व छात्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। एक महान विचारक, लेखक और वैज्ञानिक कलाम साहब की 93वीं जयंती है।भारत के मिसाइलमैन कहे जाने वाले डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम देश के 11वें राष्ट्रपति, एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक, शिक्षक और लेखक थे। एक टीचर के नाते वे हमेशा छात्रों के साथ जुड़े रहे, उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देते रहे। छात्रों के साथ उनके इसी बंधन को सेलिब्रेट करने के लिए हर साल 15 अक्टूबर को वर्ल्ड स्टूडेंट्स डे मनाता जाता है।

2002 से 2007 तक वे भारत के 11वें राष्ट्रपति रहे और अपने कार्यकाल के दौरान वे विशेष रूप से छात्रों और युवाओं के प्रति अपने स्नेह और जुड़ाव के लिए प्रसिद्ध हुए। उनकी शिक्षाएं और प्रेरणादायक बातें आज भी लाखों छात्रों के लिए मार्गदर्शक बनी हुई हैं। उनका जीवन छात्रों और युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है। उन्होंने शिक्षा, विज्ञान, और समाज सेवा के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया, जिससे उन्हें पूरे विश्व में आदर डॉ. कलाम का वैज्ञानिक जीवन भारतीय रक्षा अनुसंधान के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने भारत के मिसाइल विकास कार्यक्रम का नेतृत्व किया और अग्नि और पृथ्वी मिसाइलों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1980 के दशक में उनके नेतृत्व में भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनकी अगुवाई में भारत ने पोखरण-2 परमाणु परीक्षण किया, जिससे भारत एक सशक्त परमाणु शक्तिवाला बना।

साथियों बात अगर हम भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के जन्मदिवस 15 अक्टूबर को विश्व छात्र दिवस के रूप में मनाने की करें तो, विश्व छात्र दिवस उन सभी छात्रों को समर्पित है जो शिक्षा के माध्यम से अपने और समाज के भविष्य को बेहतर बनाने का प्रयास करते हैं। डॉ. कलाम ने हमेशा कहा था कि छात्र ही देश का भविष्य होते हैं और उन्हें अच्छी शिक्षा और सही दिशा दिखाने की जिम्मेदारी समाज की होती है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य छात्रों के बीच शिक्षा, रचनात्मकता और नवाचार को बढ़ावा देना है। डॉ. कलाम का मानना था कि शिक्षा सिर्फ डिग्री पाने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह चरित्र निर्माण और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का साधन है। उन्होंने हमेशा छात्रों को सपने देखने, लक्ष्य निर्धारित करने और कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित किया। उनका यह विश्वास था कि सपने वो नहीं जो सोते समय आते हैं, बल्कि सपने वो होते हैं जो आपको सोने नहीं देते। डॉ. कलाम का जीवन छात्रों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक था।

राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हुए भी वे अक्सर विश्वविद्यालयों और स्कूलों में जाकर छात्रों से संवाद करते थे। उनका यह मानना था कि छात्रों की ऊर्जा और रचनात्मकता को सही दिशा में मार्गदर्शन देना आवश्यक है, क्योंकि युवा ही देश के विकास की नींव हैं। वे हमेशा कहते थे कि देश की असली संपत्ति उसकी युवा पीढ़ी है, न कि भौतिक संसाधन। डॉ. कलाम का छात्रों के प्रति यह लगाव उन्हें एक अलग श्रेणी का नेता बनाता है। वे न केवल एक वैज्ञानिक और राष्ट्रपति थे, बल्कि एक महान शिक्षक भी थे। उन्होंने जीवन के आखिरी समय तक छात्रों को पढ़ाने और उन्हें प्रेरित करने का काम किया।

27 जुलाई 2015 को, जब वे आईआईएम शिलांग में छात्रों को संबोधित कर रहे थे, उसी समय उनका दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। यह उनकी शिक्षा और छात्रों के प्रति उनकी अटूट निष्ठा का प्रतीक था। विश्व छात्र दिवस को पहली बार 2010 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के सम्मान में मनाया गया था। यह दिन न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर छात्रों और शिक्षा के महत्व को उजागर करता है। डॉ. कलाम के जीवन और उनके योगदान को श्रद्धांजलि देने के लिए इस दिन को छात्रों के लिए समर्पित किया गया है। यह दिन छात्रों को उनकी जिम्मेदारी और समाज में उनके योगदान की अत्यंत बहुत याद दिलाता है।

साथियों बात अगर हम छात्रों के संकल्प कर नोबेल पुरस्कार लाकर भारत माता की झोली में डालने के प्रण की करें तो,1901 में शुरू हुए इस सम्मान को अब तक सिर्फ 10 भारतीय मूल के लोगों ने जीता है, जिनमें से केवल 5 भारतीय नागरिक थे। इनमें से डॉ. सी.वी. रमन ही एकमात्र भारतीय हैं जिन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में यह पुरस्कार जीता है। उन्हें 1930 में भौतिकी में रमन प्रभाव की खोज के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था। रमन की उपलब्धि के बाद से 94 साल का अंतर चिंता का विषय है, खासकर तब जब कई भारतीय वैज्ञानिकों ने महत्वपूर्ण खोजें की हैं जिन्हें पहचान नहीं मिली। भविष्य में भारतीय वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार के लिए तैयार करने के लिए, हमें ऐसा माहौल बनाने के लिए अभी से कदम उठाने होंगे जहां अभूतपूर्व रिसर्च को बढ़ावा मिले।

विज्ञान सभी तकनीकी प्रगति की नींव है। आज हर कोई जिस मोबाइल फोन का उपयोग करता है, वह कम से कम एक दर्जन नोबेल पुरस्कार विजेता खोजों के बिना संभव नहीं होता। चाहे वह ट्रांजिस्टर (1956, भौतिकी) हो, या लेजर तकनीक (1964, भौतिकी), सूचना सिद्धांत (1965, भौतिकी), इंटीग्रेटेड सर्किट (2000, भौतिकी), संचालक पॉलिमर (2000, रसायन विज्ञान), सेमीकंडक्टर हेट्रोस्ट्रक्चर (2000, भौतिकी), फाइबर ऑप्टिक्स (2009 भौतिकी), LED तकनीक (2014, भौतिकी), लिथियम आयन बैटरी (2019, रसायन विज्ञान)। इनमें से प्रत्येक खोज और इलेक्ट्रॉनिक्स में आज जो आधुनिक क्रांति देखते हैं, उसके लिए जरूरी थीं।

यह याद रखना बेहद जरूरी है कि देश विकसित होने के कारण विज्ञान में निवेश नहीं करते हैं; वे विज्ञान में निवेश करते है इसलिए विकसित होते हैं। भारत के वैज्ञानिक उत्पादन में सुधार और भविष्य के नोबेल पुरस्कार विजेताओं के लिए मार्ग प्रशस्त करने के लिए प्रतिभा पलायन को रोकना ज़रूरी है। वैश्विक मानकों की तुलना में भारत का वैज्ञानिक समुदाय काफी छोटा है। प्रति दस लाख लोगों पर केवल 260 वैज्ञानिकों के साथ, भारत शोधकर्ताओं के मामले में विश्व स्तर पर 81वें स्थान पर है। इसके विपरीत, अमेरिका और यूके जैसे देशों में प्रति दस लाख पर 4,000 से ज्यादा वैज्ञानिक हैं। नोबेल जीतने की भारत की संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए, शोधकर्ताओं की संख्या को बढ़ाना होगा।

इसके लिए प्रतिभा को बनाए रखने और ब्रेन ड्रेन को रोकने के लिए एक ठोस प्रयास की आवश्यकता होगी। कई होनहार भारतीय वैज्ञानिक अपर्याप्त बुनियादी ढांचे, कम वेतन और घर पर सीमित करियर की संभावनाओं के कारण बेहतर अवसरों के लिए विदेश चले जाते हैं। पुरस्कारों और मान्यता के माध्यम से उच्च प्रदर्शन वाले वैज्ञानिकों के लिए वित्तीय प्रोत्साहनों को हटाना एक गलत कदम है। अन्य व्यवसायों के विपरीत, विज्ञान की वैश्विक प्रकृति का अर्थ है कि वैज्ञानिकों को, उनके स्थान की परवाह किए बिना, अपने काम को मान्यता और स्वीकृति मिलने के लिए दुनिया भर में सर्वश्रेष्ठ से प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि विश्व छात्र दिवस 15 अक्टूबर 2024- संयुक्त राष्ट्र ने मिसाइल मैन के सम्मान में यह दिवस घोषित किया था। छात्रों के चरित्र को आकार देने, मानवीय मूल्यों को स्थापित करने व सीखने की क्षमताओं को बढ़ाने में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका छात्र काल में अपने चुनिंदा क्षेत्र में नवाचार रिसर्च का वैज्ञानिक बनकर भारत माता की झोली में एक नोबेल पुरस्कार डालने का प्रण करना जरूरी है।

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