विश्व स्वास्थ्य संगठन रिपोर्ट 2024- दुनियां में हर वर्ष शराब सेवन से 26 लाख मौतें- भारत में चीन से दुगनी मौतें!

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा ग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट आन एल्कोहल एंड हेल्थ और ट्रीटमेंट का सब्सटेंस यूज डिसऑर्डर 2024 जारी
शराब व नशीली मादक चीजों के अत्यधिक सेवन से लीवर से जुड़ी समस्याएं, कैंसर, दिल की बीमारी से मौत होने की पुष्टि को रेखांकित करना जरूरी- एडवोकेट के.एस. भावनानी

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। भारत में अभी हम पर तमिलनाडु शराब सेवन से हुई मौतों के सदमे से उबर भी नहीं पाएं है कि, वैश्विक स्तर पर दुनियां के करीब 196 सदस्यों वाले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दिनांक 28 जून 2024 को जारी ग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट आन एल्कोहल एंड हेल्थ एंड ट्रीटमेंट ऑफ सब्सटेंस यूज डिसऑर्डर 2024 जो 334 पुष्ठो की है, जिसमें पूरे विश्व में शराब का अत्यधिक सेवन करने से मानवीय शरीर में होने वाले दुष्परिणामों व मौतों के बारे में बताया गया है जो हैरान कर देने वाला है। पूरी दुनियां में करीब 40 करोड़ लोग शराब और नशीली दवाओं के कारण होने वाली बीमारियों से पीड़ित हैं, यह दुनियां की कुल मौतों का 4.7 प्रतिशत है। यानी हर 20 में से एक मौत के लिए शराब जिम्मेदार है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर ड्रग्स से होने वाली मौतों को भी उसमें जोड़ा जाए तो यह संख्या 30 लाख से अधिक हो जाएगी।

रिपोर्ट में भारत के बारे में बताया गया है कि यहां एक लाख मौतों में शराब से 38.5 प्रतिशत मौत हो रही है जो चीन की संख्या से दोगुनी है। जहां इससे 16.1 प्रतिशत मौतें होती है, जो रेखांकित करने वाली बात है। चूंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन से रिपोर्ट 2024 दुनियां में हर वर्ष शराब से 26 लाख मौतें, भारत में चीन से दुगनी मौतें हो रही है इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा ग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट आन एल्कोहल एंड हेल्थ एंड ट्रीटमेंट ऑफ सब्सटेंस यूज डिसऑर्डर 2024 जारी की है, शराब व नशीली मादक चीजों के अत्यधिक सेवन से लीवर से जुड़ी समस्याएं कैंसर की बीमारी से दिल की बीमारी से मौत होने की पुष्टि को गंभीरता रेखांकित करना अत्यंत जरूरी है।

साथियों बात अगर हम 28 जून 2024 को जारी विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट को समझने की करें तो, शराब हर साल 26 लाख से ज्यादा लोगों की मौत का कारण बन रही है। दुनिया भर में करीब 40 करोड़ लोग शराब और नशीली दवाओं के कारण होने वाली बीमारियों से पीड़ित हैं। यह दुनिया की कुल मौतों का 4.7 फीसदी है। यानी हर 20 में से एक मौत के लिए शराब जिम्मेदार है। यह जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) कीग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट ऑन ऐल्कॉहॉल एंड हेल्थ एंड ट्रीटमेंट ऑफ सब्सटेंस यूज डिसऑर्डर में सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार यदि ड्रग्स से होने वाली मौतों को भी इसमें जोड़ दें तो यह संख्या 30 लाख से ज्यादा है। भारत में हालात और बुरे हैं। यहां एक लाख मौतों में शराब से 38.5 फीसदी मौतें हो रही हैं। यह संख्या चीन से दोगुनी से भी अधिक है। चीन में प्रति एक लाख मौतों में शराब से मरने वालों की संख्या 16.1 फीसदी है। कैंसर, दिल की बीमारी घेर रही है।शराब के अत्यधिक सेवन से कई तरह की समस्याएं सामने आती हैं। इनमें लीवर से जुड़ी बीमारियों से लेकर कैंसर तक शामिल है।

रिपोर्ट में इस बात की भी पुष्टि हुई है कि 2019 में शराब की वजह से होने वाली 26 लाख मौतों में से 16 लाख मौतें गैर-संचारी रोगों जैसे कैंसर से 4,01000 और दिल की बीमारियों से 4,74,000 मौतें हुईं।शराब और नशीली दवाओं कासबसे ज्यादा शिकार 20 से 39 साल के युवा बन रहे हैं। शराब के 13 फीसदी शिकार इसी आयु वर्ग के लोग थे। स्वास्थ्य संगठन ने इस बात की भी पुष्टि की है कि 2019 में यूरोप और अफ्रीकी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा मौतें दर्ज की गई हैं। यूरोप में प्रति लाख लोगों पर शराब की वजह से होने वाली मौतों की संख्या 52.9 थी तथा अफ्रीका में 52.2 रही।भारत में 15 वर्ष या उससे अधिक आयु के 31.2 फीसदी लोग शराब का सेवन करते हैं। इनमें से 3.8 फीसदी वह लोग भी हैं जो इसकी लत का बुरी तरह शिकार हैं और आए दिन बड़ी मात्रा में शराब पीते हैं, जबकि 12.3 फीसदी वह हैं जो कभी-कभार काफी ज्यादा शराब पीते हैं।

भारत में 15 वर्ष या उससे अधिक आयु के करीब 41 फीसदी पुरुष शराब पीते हैं, जबकि महिलाओं में संख्या 20.8 फीसदी है।विज्ञापन पर पाबंदी जरूरी।सेहत संबंधी इन चिंताओं को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ने अपनी नई रिपोर्ट में शराब और नशीली दवाओं की खपत को कम करने और इन मादक पदार्थों के सेवन से उपजे विकारों के लिए उपचार मुहैया कराने पर बल दिया है। शीर्ष स्वास्थ्य एजेंसी का कहना है कि कई देशों ने शराब की मार्केटिंग पर कुछ हद तक पाबंदियां लागू की है, मगर वे काफी कमजोर हैं। दुनियांके अधिकांश देशों में इंटरनेट या सोशल मीडिया के लिए कोई नियम नहीं है।

साथियों बात अगर हम विश्व स्वास्थ्य संगठन रिपोर्ट में भारत से जुड़े आंकड़ों की करें तो, भारत में भी कम नहीं पीने वालों का आंकड़ा,विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी रिपोर्ट में भारत से जुड़े आंकड़ों को भी साझा किया है। इन आंकड़ों के मुताबिक 15 वर्ष या उससे अधिक आयु का एक औसत भारतीय साल में 4.9 लीटर शराब (ऐल्कॉहॉल) पी जाता है। आशंका है कि 2030 तक यह आंकड़ा बढ़कर 6.7 लीटर पर पहुंच सकता है। देखा जाए तो भारतीय महिलाओं के मुकाबले पुरुष कहीं ज्यादा शराब पीते हैं। आंकड़ों के मुताबिक 15 वर्ष या उससे अधिक आयु का एक औसत भारतीय पुरुष हर साल 8.1 लीटर शराब का सेवन कर रहा है। वहीं महिलाओं में यह आंकड़ा 1.6 लीटर दर्ज किया गया। मतलब की एक औसत भारतीय हर दिन 10.7 ग्राम शराब का सेवन कर रहा है।

आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि भारत में 15 वर्ष या उससे अधिक आयु के 31.2 फीसदी लोग शराब का सेवन करते हैं। इनमें से 3.8 फीसदी वो लोग भी हैं जो इसकी लत का बुरी तरह शिकार हैं और आए दिन बड़ी मात्रा में शराब पीते हैं, जबकि 12.3 फीसदी वो हैं जो कभी कभार काफी ज्यादा शराब पीते हैं। गौरतलब है कि भारत में 15 वर्ष या उससे अधिक आयु के जहां करीब 41 फीसदी पुरुष शराब पीते हैं, वहीं महिलाओं में यह आंकड़ा 20.8 फीसदी दर्ज किया गया। इनमें से हर व्यक्ति साल में करीब 15.9 लीटर शराब पी जाता है। इन लोगों में भी पुरुषों द्वारा जहां सालाना 19.9 लीटर शराब का सेवन किया जाता है, वहीं महिलाओं में यह आंकड़ा 7.6 लीटर दर्ज किया गया है।

साथियों बात अगर हम विश्व स्वास्थ्य संगठन रिपोर्ट में कम मात्रा में भी शराब सेवन से भी स्वास्थ्य को खतरे के बारे में जानने की करें तो, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी रिपोर्ट में इस तथ्य को भी उजागर किया है कि शराब का सेवन, चाहे कम मात्रा में ही क्यों न हो, स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर सकता है। लेकिन शराब से संबंधित अधिकांश नुकसान, अत्यधिक मात्रा में या लगातार शराब पीने की वजह से होता है। इस बारे में डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने प्रेस विज्ञप्ति के हवाले से कहा है कि शराब, तम्बाकू सहित अन्य नशीले पदार्थों का सेवन स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। इनकी वजह से लम्बे समय तक प्रभावित करने वाली बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। साथ ही मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका गहरा असर पड़ता है। उनका कहना है कि इससे परिवारों और समुदायों पर भारी बोझ पड़ता है। साथ ही इनके सेवन से दुर्घटनाओं, चोटों और हिंसा का जोखिम बढ़ जाता है।

उनके अनुसार इससे होने वाली मौतें किसी त्रासदी से कम नहीं, जिन्हें टाला जा सकता है। स्वास्थ्य सम्बन्धी इन चिन्ताओं के मद्देनजर विश्व स्वास्थ्य ने अपनी नई रिपोर्ट में शराब और नशीली दवाओं की खपत को कम करने और इन मादक पदार्थों के सेवन से उपजे विकारों के लिए उपचार मुहैया कराने पर बल दिया है। साथ ही रिपोर्ट में मौजूदा स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की मदद से सतत विकास का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में वैश्विक कार्रवाई में तेजी लाने का भी आग्रह किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक कई देशों ने शराब की मार्केटिंग पर कुछ हद तक पाबंदियां लागू की हैं मगर वे अपेक्षाकृत रूप से कमजोर हैं। 2018 में, संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के एक अध्ययन के मुताबिक, अधिकांश देशों के परम्परागत मीडिया में शराब के प्रचार-प्रसार पर किसी ना किसी रूप में नियामन है। हालांकि दूसरी तरफ करीब पचास फीसदी देशों में इंटरनेट या सोशल मीडिया के लिए कोई नियम नहीं है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि विश्व स्वास्थ्य संगठन रिपोर्ट 2024- दुनियां में हर वर्ष शराब से 26 लाख मौतें- भारत में चीन से दुगनी मौतें! विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा ग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट आन एल्कोहल एंड हेल्थ और ट्रीटमेंट का सब्सटेंस यूज डिसऑर्डर 2024 जारी। शराब व नशीली मादक चीजों के अत्यधिक सेवन से लीवर से जुड़ी समस्याएं, कैंसर, दिल की बीमारी से मौत होने की पुष्टि को रेखांकित करना जरूरी है।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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