राजकुमार गुप्त, World Environment Day Special : सर्वप्रथम विश्व पर्यावरण दिवस की कोलकाता हिंदी न्यूज पोर्टल के सभी पाठकों को हार्दिक बधाई, हमारी वसुन्धरा सदैव हरी-भरी और रंगीन बनी रहे, यही कामना करते हैं। वर्ष में एक बार या फिर बीच में एक दो बार सरकार और हम मीडिया वाले पॉलीथिन का करो बहिष्कार, झोला लेकर जाओ बाजार जैसे तरह-तरह के आकर्षक स्लोगन देकर तथा पॉलीथिन के पार्श्व प्रतिक्रिया पर लेख लिखकर एवं भयावह आंकड़े देकर हम सबका ध्यान आकर्षित करते है और अपनी इतिश्री समझ लेते है। देश की जनता भी इतनी जागरूक है कि साल भर तक पॉलीथिन का उपयोग बेहिचक करती रहती है।
क्या यह सरकार का दायित्व नहीं है कि जनता को बार-बार सचेत करने के बजाए इस तरह के उत्पादन को ही बंद कर दें जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। कारण ज्यादातर हमलोग खुद से कभी सचेत होना नहीं चाहते! शुक्रवार को ही जारी एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत में प्रौद्योगिकी कंपनियों के कार्बन उत्सर्जन में 85 प्रतिशत की गिरावट आई है।
एक ओर जहां कोविड-19 महामारी बीमारी, मृत्यु और आर्थिक गतिविधियों में गिरावट जैसी नकारात्मकता लेकर आई है, वहीं इसकी वजह से कुछ सकारात्मक चीजें भी देखने को मिली हैं और इसने वित्त वर्ष 2020-21 में भारत के 194 अरब डॉलर के आउटसोसिर्ंग प्रौद्योगिकी उद्योग को कार्बन उत्सर्जन कम करने की ओर अग्रसर किया है।
मार्केट इंटेलिजेंस कंपनी अनअर्थइनसाइट की एक रिपोर्ट से पता चला है कि महामारी ने आईटी, आईटीईएस, इंजीनियरिंग, जीआईसी/जीसीसी और स्टार्टअप सहित आउटसोसिर्ंग प्रौद्योगिकी कंपनियों से कार्बन उत्सर्जन में 85 प्रतिशत की कमी की है।इस कमी का अर्थ है पूर्व-महामारी के स्तर से लगभग तीन लाख टन कार्बन उत्सर्जन में गिरावट। अगर सालाना आधार पर देखें तो यह गिरावट 20 लाख टन है।
कार्बन उत्सर्जन में गिरावट का कारण कोविड-प्रेरित वर्क फ्रॉम होम (दफ्तर जाए बिना घर से काम), डिजिटल प्लेटफॉर्म, इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) और डिजिटल कैंपस हायरिंग प्लेटफॉर्म को अपनाने जैसे कारकों को बताया गया है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि उपभोक्ता-ग्रेड अनुभव के साथ भविष्य की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यात्रा की जरूरतों से बचने के लिए डिजिटल उपकरणों को अपनाने से भी कार्बन उत्सर्जन कम करने में मदद मिलेगी।
इसके अलावा, रिपोर्ट से पता चला है कि कोविड ने बड़े उद्योग के दिग्गजों को डिजिटल कैंपस हायरिंग प्लेटफॉर्म जैसी तकनीकों को तैनात करने के लिए प्रेरित किया, जिससे देश भर में 1,000 से अधिक परिसरों की यात्रा के संदर्भ में उत्पन्न कार्बन उत्सर्जन में काफी कमी आई है। इस तरह से आने वाले समय में कार्बन उत्सर्जन में कमी के आसार बनते दिखाई दे रहे हैं।
पर्यावरण को बचाने के लिए सरकार और निजी संस्थाओं को बड़ी भूमिका निभाने के लिए आगे आकर पुराने जलाशयों का उद्धार करना होगा और नए जलाशयों का निर्माण करना होगा। बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण करना पड़ेगा। जल, जंगल, पहाड़ और जानवरों को बचाना होगा। पर्यावरण संरक्षण के लिए हम सभी को आगे आना ही पड़ेगा।