Wetland conservation and restoration do not receive adequate priority among environmental concerns.

विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 2024- धरती मां को पर्यावरण प्रदूषण से बचाना परम मानवीय धर्म

जलवायु परिवर्तन के भयंकर विनाशकारी दृष्टपरिणाम को रोकने, पर्यावरण संतुलन को अति प्राथमिकता से रेखांकित करना जरूरी
विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 2024 की थीम-भूमिक्षरण मरुस्थलीकरण व सूखे पर केंद्रित है, इसलिए जल ही जीवन है, सारा जीवन जल पर निर्भर है, इस पर जनजागरण सराहनीय- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर बढ़ते जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों से पूरी दुनियां पीड़ित है, क्योंकि वर्तमान दौर में कब और कैसे प्राकृतिक प्रकोप बरस पड़ेगा कोई संकेत नहीं मिल पाता। अनेकों बार मौसम विभाग सहित अनेकों संबंधित एजेंसीयां भी सही-सही अनुमान लगाने में असफल हो जाती है, जिसका सटीक उदाहरण अभी तीन-चार दिन पहले ही पापुआ न्यू गिनी व जापान में आया भयंकर भूकंप अमेरिकी जंगल में चल रही भयंकर आग तो हम देख चुके हैं, दूसरी तरफ अभी-अभी रमल तूफान का पश्चिम बंगाल में तांडव भी कुछ दिन पहले हम देख चुके हैं। मेरा मानना है कि यह सब प्राकृतिक तांडव जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम का ही अंजाम है, जो सर्दियों में गर्मी, ठंड में बारिश व गर्मी में ठंड व बारिश में गर्मी कब कैसे हो जाती है पता ही नहीं चलता। हमारी राइस सिटी गोंदिया में दिनांक 2 जून 2024 को रात्रि करीब 12 बजे तेज बारिश हुई जो आश्चर्यजनक है, जबकि दिनभर तेज धूप के नौतप्पे चल रहे हैं। वेदों में भी यह आया है कि मनुष्य की आयु प्राकृतिक रूप से 125 वर्ष मानी गई है जोकि अलग अलग खान-पान, पर्यावरण प्रदूषण, तनाव के चलते 80 वर्ष तक ही सीमित रह गई थी। परंतु अभी आधुनिक डिजिटल युग में तो मेरा मानना है कि यह 60 वर्ष तक ही सीमित हो गई है, परन्तु उसके भी दो कदम आगे भारी तनाव, पर्यावरण सहित अनेकों कारण तथा अन्य स्वास्थ्य कारण से हृदय गति रूकने के केस भारी मात्रा में सामने आ रहे हैं। जिसमें बहुत कम उम्र में ही जीवन सिमट जाता है, जिसका मुख्य कारण असंतुलित और दूषित पर्यावरण ही माना जा सकता है। जिसको सभी को रेखांकित करना अत्यंत जरूरी है।

इस वर्ष 5 जून 2024 पर्यावरण दिवस यूनाइटेड नेशन द्वारा सऊदी अरब की मेजबानी में रियाद में मनाया जा रहा है। हम आज पृथ्वी पर पर्यावरण के संतुलन या पर्यावरण को अपने हिसाब से इस तरह महसूस कर सकते हैं की
(1) हिमालय से ग्लेशियरों के पिघलने की तेज गति के चलते समुद्र का जलस्तर 1.5 मिली मीटर प्रतिवर्ष बढ़ रहा है, जिस कारण वायु प्रदूषण ग्रीन हाइड्रो गैसों के कारण यह सब हो रहा है, दूसरा धरती अपनी धुरी से एक डिग्री तक खिसक गई है, वन तेजी से कम हो रहे हैं व पर्यावरण कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ रहा है।
(2) पांच जगह पर अधिक खनन हो रहा है, नदी के पास, पहाड़ की कटाई, खनिज धातु खनन, समुद्री इलाकों में खनन, पानी के लिए धरती क्षेत्र में बोरिंग रेत गिट्टी हीरा कोयला तेल पेट्रोल के लिए कई हजारों फीट खुदाई।
(3) जलवायु में ऑक्सीजन का घटना भी कारण है, क्योंकि जंगलों में कटाई से ऑक्सीजन की मात्रा घटना स्वाभाविक ही है।
(4) अल्ट्रा वायरस किरणों का खतरा भी बढ़ गया है।

(5) सबसे बड़ा परिणाम हम देख रहे हैं कि जलसंकट गहराता जा रहा है। क्योंकि विभिन्न प्रकार के बनाए गए बांध व मानवीय खुराफात के कारण जल अपव्यय हो रहा है। यह सब घटनाएं हम मानवीय खुरापात के कारण हो रही है और हम उन्हें रोकने में असमर्थ हो रहे हैं, अगर हमें पृथ्वी को बचाना है तो पर्यावरण को प्रदूषण से बचाना होगा, जिसकी हमें अपने आप से शुरुआत करने का संकल्प 5 जून 2024 को याने विश्व पर्यावरण दिवस के दिन लेने की शुरुआत करनी होगी। क्योंकि धरती मां को पर्यावरण प्रदूषण से बचाना परम मानवीय धर्म है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, जलवायु परिवर्तन का भयंकर विनाशकारी दुष्टपरिणामों को रोकने पर्यावरण संतुलन को अति प्राथमिकता से रेखांकित करना अत्यंत जरूरी है।

साथियों बात अगर हम अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस मनाने की करें तो, प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व पर्यावरण दिवस जून माह में मनाते हैं। इस खास दिन को मनाने की एक तारीख निर्धारित है। भारत समेत दुनियां भर में 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर विभिन्न देश अलग-अलग तरीके से पर्यावरण को लेकर अपने नागरिकों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। भारत समेत पूरे विश्व में प्रदूषण तेजी से फैल रहा है। बढ़ते प्रदूषण के कारण प्रकृति खतरे में हैं। प्रकृति जीवन जीने के लिए किसी भी जीव को हर जरूरी चीज उपलब्ध कराती है। ऐसे में अगर प्रकृति प्रभावित होगी तो जीवन प्रभावित होगा। प्रकृति को प्रदूषण से बचाने के उद्देश्य से पर्यावरण दिवस मनाने की शुरुआत हुई। इस दिन लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जाता है और प्रकृति को प्रदूषित होने से बचाने के लिए प्रेरित किया जाता है। प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और मानव जीवनशैली के लिए इनके गलत उपयोग से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। दूषित पर्यावरण उन घटकों को प्रभावित करता है, जो जीवन जीने के लिए आवश्यक हैं। ऐसे में पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने, प्रकृति और पर्यावरण का महत्व समझाने के उद्देश्य से हर साल विश्व पर्यावरण दिवस मनाते हैं। पर्यावरण का अर्थ संपूर्ण प्राकृतिक परिवेश से है जिसमें हम रहते हैं। इसमें हमारे चारों ओर के सभी जीवित और निर्जीव तत्व शामिल होते हैं, जैसे कि हवा, पानी, मिट्टी, पेड़-पौधे, जानवर और अन्य जीव-जंतु। पर्यावरण के घटक परस्पर एक-दूसरे के साथ जुड़कर एक समग्र पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते हैं।

साथियों बात अगर हम वर्ष 2024 की थीम और 5 जून को ही पर्यावरण दिवस मनाने की करें तो, पर्यावरण दिवस की थीम 2024 प्रतिवर्ष विश्व पर्यावरण दिवस की एक खास थीम होती है। पिछले साल यानी विश्व पर्यावरण दिवस 2023 की थीम सॉल्यूशन तो प्लास्टिक पॉल्यूशन थी। यह थीम प्लास्टिक प्रदूषण के समाधान पर आधारित थी। इस साल विश्व पर्यावरण दिवस 2024 की थीम लैंड रेस्टोरेशन डिजरटिफिकेशन एंड ड्राउट रेजिलिएंस है। इस थीम का फोकस हमारी भूमि नारे के तहत भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखे पर केंद्रित है। दरअसल, पहला पर्यावरण सम्मेलन 5 जून 1972 को मनाया गया था, जिसमें 119 देशों ने भाग लिया था। स्वीडन की राजधानी स्टाॅकहोम में सम्मेलन हुआ था। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मानव पर्यावरण पर स्टाॅकहोम सम्मेलन के पहले दिन को चिन्हित करते हुए 5 जून को पर्यावरण दिवस के तौर पर नामित कर लिया है।

साथियों बात अगर हम यूएनईपी द्वारा 2024 के विश्व पर्यावरण दिवस को सऊदी अरब के रियाद में मनाए जाने पर उनके प्रमुख के वक्तव्य की करें तो, हम विश्व पर्यावरण दिवस की तैयारियों के लिए रियाद में हैं, जिसका आयोजन इस वर्ष 5 जून को सऊदी अरब द्वारा किया गया है। 2024 का दिन भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने पर केंद्रित है। एक राष्ट्र के रूप में जो क्षरण, मरुस्थलीकरण और सूखे का सामना कर रहा है, सऊदी अरब साम्राज्य समाधान देने में गहराई से निवेश कर रहा है। सऊदी ग्रीन इनिशिएटिव और मिडिल ईस्ट ग्रीन इनिशिएटिव के माध्यम से किंगडम राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर काम कर रहा है। और यह वैश्विक स्तर पर काम कर रहा है, जैसा कि हमने देखा जब जी 20 की सऊदी अध्यक्षता के परिणाम स्वरूप वैश्विक भूमि बहाली पहल को अपनाया गया।इस तरह की कार्रवाई और नेतृत्व बहुत जरूरी है क्योंकि हम तीन ग्रहों के संकट की चिंताजनक तीव्रता का सामना कर रहे हैं। जलवायु परिवर्तन का संकट प्रकृति और जैव विविधता का नुकसान का संकट और प्रदूषण और कचरे का संकट, यह संकट दुनियां के पारिस्थितिकी तंत्रों पर हमला कर रहा है। अरबों हेक्टेयर भूमि क्षरित हो रही है, जिससे दुनियां की लगभग आधी आबादी प्रभावित हो रही है और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का आधा हिस्सा खतरे में है। ग्रामीण समुदाय, छोटे किसान और बेहद गरीब लोग सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं। लेकिन भूमि पुनर्स्थापन भूमिक्षरण सूखे और मरुस्थलीकरण की बढ़ती लहर को उलट सकता है।

पुनर्स्थापन में निवेश किया गया प्रत्येक डॉलर पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं में 30 अमेरिकी डॉलर तक ला सकता है। पुनर्स्थापन आजीविका को बढ़ाता है, गरीबी को कम करता है और चरम मौसम के प्रति लचीलापन बनाता है। पुनर्स्थापन कार्बन भंडारण को बढ़ाता है और जलवायु परिवर्तन को धीमा करता है। केवल 15 प्रतिशत भूमि को बहाल करने और आगे के रूपांतरण को रोकने से अपेक्षित प्रजातियों के विलुप्त होने के 60 प्रतिशत तक को रोका जा सकता है। लेकिन हमें भूमि क्षरण, सूखा और मरुस्थलीकरण के कारकों, जैसे जलवायु परिवर्तन को भी समाप्त करना होगा। पिछले साल, तापमान के रिकॉर्ड टूट गए। दुनियां के अधिकांश हिस्सों ने इसका असर महसूस किया, न केवल गर्मी में बल्कि तूफान, बाढ़ और सूखे में भी। जलवायु परिवर्तन से निपटने के बिना भूमि को बहाल करना एक हाथ से देने और दूसरे हाथ से छीनने जैसा होगा, इसलिए जी 20 देशों को पूरे जलवायु एजेंडे में नेतृत्व दिखाना चाहिए, जैसा कि किंगडम ने किया है और भूमि बहाली पर करना जारी रखता है।वास्तविक उम्मीद है। देशों ने एक अरब हेक्टेयर भूमि को बहाल करने का वादा किया है, जो चीन से भी बड़ा क्षेत्र है। अगर वे ऐसा करते हैं, तो यह बहुत बड़ी बात होगी। विश्व पर्यावरण दिवस के माध्यम से और इस दिसंबर में संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए सम्मेलन की मेजबानी के माध्यम से, सऊदी अरब का साम्राज्य इन बहाली लक्ष्यों की दिशा में गति और कार्रवाई का निर्माण कर सकता है, जलवायु परिवर्तन को धीमा कर सकता है, प्रकृति की रक्षा कर सकता है और दुनिया भर के अरबों लोगों की आजीविका और खाद्य सुरक्षा को बढ़ा सकता है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 2024- धरती मां को पर्यावरण प्रदूषण से बचाना परम मानवीय धर्म। जलवायु परिवर्तन के भयंकर विनाशकारी दृष्ट परिणाम को रोकने, पर्यावरण संतुलन को अति प्राथमिकता से रेखांकित करना जरूरी। विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 2024 की थीम-भूमि क्षरण मरुस्थलीकरण व सूखे पर केंद्रित है, इसलिए जल ही जीवन है, सारा जीवन जल पर निर्भर है, इस पर जनजागरण सराहनीय है।

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