महिला इकाई वाजा इंडिया ने महिलाओं की सुरक्षा विषय पर की चर्चा

कोलकाता। राइटर्स एंड जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन महिला इकाई कोलकाता की ओर से क्या महिलाएं सुरक्षित हैं? विषय पर चर्चा की गई।नयी पीढ़ी पत्रिका और वाजा इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव और संस्थापक प्रधान संपादक शिवेंद्र प्रकाश द्विवेदी के सानिध्य में कोलकाता महिला इकाई की सदस्याओं ने आर.जी. कर की ट्रेनी महिला डाक्टर का निर्ममता से बलात्कार और फिर जघन्य हत्या पर अपने अपने विचारों और अनुभूतियों के द्वारा व्यक्त किया गया।

कोलकाता वाजा इकाई के अध्यक्ष छपते-छपते हिंदी दैनिक और ताजा टीवी के डायरेक्टर वरिष्ठ संपादक विश्वंभर नेवर ने कहा कि आर.जी. कर अस्पताल में हुई ट्रेनी महिला डाक्टर का कार्य स्थल पर सामूहिक बलात्कार और उसकी जघन्य तरीके से की गई। हत्या बंगाल ही नहीं पूरे देश के लिए शर्मनाक घटना है। स्त्री पुरुष एक दूसरे के पूरक हैं यदि समाज में ऐसी मानसिक विकृतियां पनप रही हैं तो वह समाज पतन की ओर है।

नेवर जी ने कहा कि महिलाएं अभी भी सुरक्षित नहीं है और देश के परिपेक्ष में उन्होंने बताया कि जमींदारी मानसिकता और महिला को वस्तु के रूप में समझा जा रहा है और उसे राजनीतिक संरक्षण दिया जा रहा है पार्टी कोई भी हो, अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण दिया जा रहा है और सत्ता का विकेंद्रीकरण होना आवश्यक है चाहे वह आर्थिक, सामाजिक हो या फिर राजनीतिक हो।

लिटिल थेस्पियन और पश्चिम बंगाल हिंदी अकादमी की प्रमुख नाट्यकार उमा झुनझुनवाला ने स्त्रियों की वर्तमान दशा और दिशा पर महत्वपूर्ण विचार रखे। एक महिला के संघर्षों की कथा उसकी देह से शुरु होती है, उसकी शिक्षा उसके सपने अस्तित्व वहां कमजोर पड़ जाते हैं। रोज बलात्कार की घटनाएं सुनने को मिलती हैं मोमबत्ती जलाई जाती है और वहां उम्र का कोई प्रश्न नहीं उठता है। 6 महीने के बच्चे से लेकर सत्तर साल में क्या खोज रहे हैं। छह महीने के बच्चे को हम क्या नसीहत देंगें।स्त्रियों को घर से सीखना होगा। लड़की को बोलना सीखना होगा और मां पिता को उनको समझना होगा। लड़के को घर से शिक्षित करना होगा।

शिवेन्द्र प्रकाश द्विवेदी ने सभी वक्ताओं का स्वागत किया। वाजा की सभी महिला पदाधिकारियों, सदस्याओं, सदस्यों, छात्र-छात्राओं ने इस जघन्य अपराध की भर्त्सना करते हुए अपने विचारों को व्यक्त कर विरोध व्यक्त किया। वाजा की उपाध्यक्ष डॉ. मंजूरानी गुप्ता ने अपनी रचना अपनी बेटी बचाओ सुनाकर डॉ. महिला को भावांजलि दी।

महासचिव डॉ. सुषमा हंस ने कविता ने वर्तमान घटना पर अपनी बात कहते हुए लेडी डॉक्टर बेटी के घर्षण पर अफसोस व्यक्त करते हुए अनेक प्रश्न कविता सुनाई। बंगाल के हिंदी अखबार की प्रथम महिला संपादक और वाजा की उपाध्यक्ष सुषमा त्रिपाठी कनुप्रिया ने कविता बदलना है अगर और तुम्हारी संपत्ति नहीं कविता सुना कर अपनी बात व्यक्त कर अपना क्षोभ प्रकट किया। उषा श्राफ ने अपने अपने आलेख में ज्वलंत मुद्दा और घिनौने वारदात पर प्रश्न उठाया और उन्होंने यह कहा की स्त्री कैसे जाने की कौन रक्षक है और कौन भक्षक। उसे सबल बनाना और लड़ना सीखाना होगा।

कविता कोठारी ने लैंगिक समानता और नैतिकता पर जोर डालते हुए कविता पुनर्निर्माण सुनाई। सदस्याओं में रेखा ड्रोलिया ने कहा कि अभी भी आधी आबादी असुरक्षित महसूस कर रही है। वह तो कोख में ही मार दी जाती रही है तो बाहर कहां सुरक्षित है नारी। कविता क्या अब भी तुम न बोलोगी और अपने लिए खड़े हो सुनाई।

दिशेरा टाइम्स की संपादक रीमा पांडेय ने गजल सुना कर स्त्री की सुरक्षा के प्रश्न उठाए। आकाशवाणी की आरजे सबिता पोद्दार ने विश्व के अनेक देशों में महिलाओं पर हो रहे व्यभिचार पर प्रश्न चिन्ह उठाते हुए वेशभूषा चाल चलन और लड़कियों के जुर्म पर आतंकवाद को समाप्त करने पर जोर दिया। रिमझिम झा, सुनीता सिंह, संगीता श्राफ ने अपने विचार रखे। इस अवसर पर अतिथियों में दुर्गा व्यास, वंदना सिंह आदि की गरिमामयी उपस्थिति रही। वाजा लेडिज विंग कोलकाता की अध्यक्ष डॉ वसुंधरा मिश्र ने कार्यक्रम का संयोजन और संचालन किया। धन्यवाद ज्ञापन दिया शिवेन्द्र प्रकाश द्विवेदी ने।

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