नई दिल्ली। एक शोध में यह बात सामने आई है कि डिप्रेशन से पीड़ित महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान दर्द (जिसे डिसमेनोरिया भी कहा जाता है) होने की संभावना अधिक होती है। पिछले शोधों से पता चला है कि महिलाओं में पुरुषों की तुलना में डिप्रेशन से पीड़ित होने की संभावना दोगुनी होती है और अक्सर उन्हें अधिक गंभीर शारीरिक लक्षण अनुभव होते हैं।
जबकि मानसिक स्वास्थ्य और प्रजनन स्वास्थ्य के बीच संबंध पाए गए हैं, लेकिन इनके बीच संबंधों का अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है।
इसे समझने के लिए चीन और यूके के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन का नेतृत्व किया, जिसमें उन्होंने जेनेटिक वेरिएशन (आनुवंशिक विविधता) का विश्लेषण किया और एक विशिष्ट जीन की पहचान की जो मासिक धर्म के दर्द पर अवसाद के प्रभाव के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।
शीआन जियाओटोंग-लिवरपूल-यूनिवर्सिटी, चीन के डॉक्टरेट छात्र, प्रमुख लेखक शुहे लियू ने कहा, ”हमारे निष्कर्ष इस बात के सबूत देते है कि डिप्रेशन डिसमेनोरिया (मासिक धर्म के दौरान दर्द) का कारण हो सकता है, इसका परिणाम नहीं हो सकता।”
हालांकि उन्हें इस बात का सबूत नहीं मिला कि मासिक धर्म के दर्द से डिप्रेशन का खतरा बढ़ जाता है।
जर्नल ब्रीफिंग इन बायोइनफॉर्मेटिक्स में प्रकाशित अध्ययन में टीम ने यूरोपीय आबादी से लगभग 600,000 मामलों और पूर्वी एशियाई आबादी से 8,000 मामलों का विश्लेषण किया और दोनों डेटासेट में एक मजबूत लिंक देखा।
उन्होंने डिप्रेशन से पीड़ित लोगों में नींद की भूमिका की भी जांच की। परिणामों से पता चला कि नींद में गड़बड़ी बढ़ने से मासिक धर्म के दर्द में वृद्धि हो सकती है, इस प्रकार दोनों स्थितियों को जोड़ने के लिए नींद की समस्याओं पर ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
इसके अलावा अध्ययन ने मानसिक स्वास्थ्य और प्रजनन संबंधी समस्याओं का इलाज करते समय एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता पर भी बात की है।
लियू ने कहा कि मासिक धर्म (पीरियड) के दर्द जैसी स्थितियों का इलाज करते समय अक्सर मानसिक विकारों पर विचार नहीं किया जाता। हमारे निष्कर्ष गंभीर मासिक धर्म दर्द से पीड़ित लोगों के लिए मानसिक स्वास्थ्य जांच के महत्व पर जोर देते हैं।
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