2024 चुनावी रण के लिए अमेरिका, मिस्त्र स्टेट विजिट गेम चेंजर साबित होगी?

2024 रण की दौड़ – विपक्षी महा गठजोड़ – अमेरिका मिस्त्र यात्रा से आएगा अपेक्षाकृत सफ़ल मोड़
चुनावी रण 2024 के लक्ष्य पर सफ़ल अमेरिका मिस्त्र यात्रा, सटीक निशाना साबित होने की उम्मीद बढ़ी – एडवोकेट किशन भावनानी

किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर भारत के अमेरिका और मिस्त्र स्टेट विजिट की रणनीतिक सफलताओं की गाथाएं लिखना, गाना शुरू हो गया है। हर हिंदुस्तानी अब वैश्विक लीडर बनने पर गर्व कर रहा है। जिस तरह अमेरिका ने जबरदस्त मेजबानी दी और मिस्त्र ने अपने देश का सर्वोच्च सम्मान आर्डर ऑफ नाइस बड़ी शिद्दत के साथ दिया तो अब हम वैश्विक लीडर की गिनती में आ चुके हैं, इसमें कोई दो राय नहीं है। मेरा मानना है कि एक दूरदर्शी, केवल सफलता पर लक्ष, लक्ष्य भेदी रणनीति, परफेक्ट कांफिडेंट और ज्ञानी सोच विचारधारा ही चल सकती है। जिसका उदाहरण हमने अमेरिका मिस्त्र स्टेट विजिट में देख लिया। उधर 2024 का रण मुंह खोले खड़ा है, तो इधर विपक्षी महा गठजोड़ की खूंटी गड़ चुकी है।

परंतु मेरा मानना है कि यह अंदर की बात है या हो सकती है, रण 2024 में इन दूरगामी बाधाओं का पूर्वानुमान कर अमेरिका और मिस्त्र यात्रा का चुना जाना या संयोग भी हो सकता है। परंतु जैसी वर्तमान में स्थिति उत्पन्न हुई है उससे तो मुझे यही लगता है 2024 रण की दौड़- विपक्षी महा गठजोड़-अमेरिका मिस्त्र यात्रा से आएगा अपेक्षा से अधिक मोड़! क्योंकि एक तीर से दो निशान लगे हैं। वैश्विक लीडर की उपलब्धि और एक समुदाय विशेष से जुड़ने का अवसर! क्योंकि एक समुदाय बाहुल्य मुल्क में ऐतिहासिक अल हकीम मस्जिद का दौरा, हेलियोपोलिस कब्रिस्तान में भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि को मुद्दा बनाकर 25 जून 2023 को विपक्षी दलों ने 2024 का चुनावी स्टंट करार दिया है। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे कि 2024 चुनावी रण के लिए अमेरिका मिस्त्र स्टेट विजिट गेमचेंजर साबित होंगे।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

साथियों बात अगर हम माननीय पीएम के 24-25 जून 2023 मिस्त्र दौरे की करें तो मिस्त्र का सबसे बड़ा सम्मान आर्डर ऑफ नाइन दिया गया है। अमेरिका में अपनी सहजता और सरलता की छाप छोड़ने के बाद पीएम ने मिस्र दौरे पर राजधानी काहिरा पहुंचे और वहां ऐतिहासिक अल-हकीम मस्जिद का दौरा किया। यहां पीएम ने हेलियोपोलिस कब्रिस्तान में भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। उधर काहिरा पहुंचने पर दाऊदी बोहरा समुदाय के लोगों ने हाथ में तिरंगा लहराते हुए पीएम का जोरदार स्वागत किया। इन सब के बीच देश में राजनीति भी चरम पर है। जानकारों की मानें तो पीएम का दाऊदी बोहराओं के साथ काफी पुराना रिश्ता रहा है। इस बात का पता इससे चलता है जब पीएम गुजरात के सीएम हुआ करते थे। बात साल 2011 की है, पीएम जब गुजरात के सीएम थे तो उन्होंने दाऊदी बोहरा समुदाय के धार्मिक प्रमुख सैयदना बुरहानुद्दीन का 100वां जन्मदिन मनाने के लिए समुदाय को आमंत्रित किया था।

बता दें कि पीएम ने अल-हकीम मस्जिद में लगभग आधा घंटा बिताया, जहां पीएम ने काहिरा में हेलियोपोलिस युद्ध कब्रिस्तान का दौरा किया और प्रथम विश्व युद्ध के दौरान सर्वोच्च बलिदान देने वाले भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। पीएम की मिस्र की राजकीय यात्रा भारत और मिस्र के बीच बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण बताई जा रही है। पीएम के इस दौरे को कई मायनों में बेहद खास बताया जा रहा है। अल-हकीम मस्जिद में पीएम मोदी के दौरे को भी महत्वपूर्ण बताया जा रहा है। करीब 26 साल बाद भारत के पीएम मिस्र दौरे से होकर आ गए हैं। इससे पहले साल 1997 में भारत के पीएम मिस्र दौरे पर गए थे। बता दें कि पीएम ने मिस्त्र को जी 20 सम्मिट में शामिल होने का आमंत्रण दे दिया है। विपक्षी दलों ने इसे 2024 के चुनावी स्टंट का एक रूप बताया तो एक बड़ी विपक्षी पार्टी ने पीएम पर हमला बोलते हुए कहा कि अगर समुदाय की इतनी ही चिंता थी तो यही काम देश में करना था। इसकी शुरुआत गुजरात से ही करते या फिर उत्तर प्रदेश में कर लेते।

वहीं सत्ताधारी पार्टी ने पलटवार करते हुए कहा कि पीएम की देश में सरकार आने के बादअल्पसंख्यकों के जीवन स्तर में जो परिवर्तन आया, किसी भी सरकार में नहीं हो पाया था। इसके अलग यह यात्रा एक पारस्परिक संकेत है और दोनों देशों के बीच संबंधों को गहरा करने की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालती है। बता दें कि मिस्र में धर्म सामाजिक जीवन के कई पहलुओं को नियंत्रित करता है और कानून द्वारा इसका समर्थन किया जाता है। मिस्र का राजकीय धर्म इस्लाम है। हालांकि आधिकारिक आंकड़ों की अनुपस्थिति में अनुमान बहुत भिन्न होते हैं। 2006 की जनगणना के बाद से धर्म को बाहर रखा गया है और इस प्रकार उपलब्ध आंकड़े धार्मिक और गैर-सरकारी एजेंसियों द्वारा किए गए अनुमान हैं। देश बहुसंख्यक सुन्नी मुस्लिम है (लगभग 80 प्रतिशत से 94 प्रतिशत तक का अनुमान है), अगला सबसे बड़ा धार्मिक समूह कॉप्टिक ईसाई है (अनुमान 6 प्रतिशत से 25 प्रतिशत ) सटीक संख्या विवादों के अधीन है।

साथियों बात अगर हम स्टेट विजिट को 2024 चुनावी रण का गेम चेंजर साबित होने की करें तो आज मतदाता देख रहा है और सोच रहा है कि अगले स्तर पर जाएगी भारत-अमेरिका की दोस्ती उनका इशारा 2024 की तरफ है इस मौके पर व्हाइट हाउस की ओर से कहा गया, दुनिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े लोकतंत्रों और इंडो-पैसिफिक में प्रमुख सुरक्षा प्रदाताओं के रूप में, संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत वैश्विक भलाई के लिए एक संयुक्त शक्ति हैं। आज की राजकीय यात्रा अमेरिका-भारत संबंधों को अगले स्तर पर ले जाएगी, क्योंकि हम उस भविष्य का निर्माण करेंगे जो हम देखना चाहते हैं। मैं इस बयान को 2024 के रण से जोड़कर देख रहा हूं। पीएम का ग्लोबल लीडर का जलवा दूसरे देशों में भी नजर आ रहा है। इस बात का अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि जब पीएम ने अमेरिकी संसद भवन में प्रवेश किया, तो उस दौरान सभी ने खड़े होकर उनका स्वागत किया।

इतनी ही नहीं, पीएम के स्वागत में संसद में मौजूद भारतीय अमेरिकी लोगों ने मोदी-मोदी और भारत माता की जय के नारे भी लगाए।यहां तक कि जब संसद में पीएम ने अमेरिकी सांसदों और भारतीय अमेरिकी समुदाय के लोगों को संबोधित किया, उस दौरान भी कई लोगों को बीच-बीच में खड़े होकर उनका अभिवादन करते हुए देखा जा रहा था। संसद में पीएम का संबोधन लगभग एक घंटे तक चला था। जब वे अपना भाषण दे रहे थे, उस दौरान लगभग 15 बार सांसदों ने स्टैंडिंग ओवेशन दिया था। जब पीएम ने अपना भाषण समाप्त करते हुए धन्यवाद कहा, तो सांसदों ने उनके लिए काफी देर तक तालियां बजाई थी। पीएम के भाषण के दौरान अमेरिकी संसद में 79 बार तालियां भी बजाई गईं।

ऑटोग्राफ और सेल्फी के लिए लगी कतार तालियों की गूंज से पूरा संसद भवन गूंज उठा था। सभी लोग पीएम की वाहवाही कर रहे थे। पीएम का भाषण समाप्त होने के बाद उनके साथ सेल्फी लेने के लिए सांसदों की कतार लग गई। अमेरिकी सांसदों ने पीएम के साथ सेल्फी ली और ऑटोग्राफ के लिए लोग लाइन में खड़े हो गए। पीएम ने प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष केविन मैक्कार्थी की संयुक्त सत्र संबोधन पुस्तिका पर हस्ताक्षर भी किए। इसलिए हर भारतवासी चाहेगा कि उनका पीएम या लीडर वैश्विक नेता का रुतबा रक्त रखने वाला हो, भ्रष्टाचार मुक्त हो, परिवारवाद का ठप्पा ना हो, वर्तमान ही नहीं बल्कि भविष्य के लिए याने 25 वर्षाें का विजन लेकर चलता हो, इन बातों में देखें तो मतदाताओं को निर्णय लेने में अब आसानी होगी।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि 2024 चुनावी रण के लिए अमेरिका मिस्त्र स्टेट विजिट गेम चेंजर साबित होगी। 2024 रण की दौड़ – विपक्षी महा गठजोड़ – अमेरिका मिस्त्र यात्रा से आएगा अपेक्षाकृत सफ़ल मोड़। चुनावी रण 2024 के लक्ष्य पर सफ़ल अमेरिका मिस्त्र यात्रा सटीक निशाना साबित होने की उम्मीद बढ़ी।

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