कोरोना काल में और अमीर हुए धनकुबेरों से क्यों नहीं लिया जा रहा है ज्यादा कर : येचुरी

नयी दिल्ली। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता सीताराम येचुरी ने केंद्रीय बजट 2022-23 पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मंगलवार को सवाल किया कि कोरोना काल में जमकर धनोपार्जन करने वाले अमीरों पर क्यों नहीं बढ़ाया गया कर और आखिरकार यह बजट है किसके लिए?  येचुरी ने मंगलवार को ट्वीट किया,“ यह बजट किसके लिए है? भारत के 10 फ़ीसदी अमीरों के पास जहां देश की कुल 75 फ़ीसदी संपत्ति है वहीं 60 फ़ीसदी लोगों के पास देश की कुल सम्पत्ति का महज़ पाँच फ़ीसदी है।

कोरोना महामारी में जब भुखमरी, बेरोज़गारी और ग़रीबी बढ़ी है, तब कुछ लोगों ने इस दौरान जमकर धन बनाया, उनसे ज़्यादा कर क्यों नहीं लिया जा रहा है?” उल्लेखनीय है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद के दोनों सदनों में वित्त वर्ष 2022-23 के लिए बजट पेश किया।

व्यक्तिगत करदाताओं को कोई राहत नहीं : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज अगले वित्त वर्ष का आम बजट पेश किया जिसमें व्यक्तिगत या नौकरीपेशा लोगों को कर में कोई में राहत नहीं दी गयी है और कर दरों में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। पुरानी कर दरें और व्यवस्था बनी रहेंगी लेकिन डिजिटल करेंसी में लेनदेन करने वालों को इससे होने वाली आय पर 30 फीसदी कर चुकाना होगा।

श्रीमती सीतारमण ने कहा कि डिजिटल करेंगी की खरीद पर होने वाले व्यय को छोड़कर कोई छूट नहीं दी जायेगी। नुकसान होने पर भी कोई राहत नहीं मिलेगी। एक निर्धारित सीमा से अधिक की वर्चुअल संपदाओं के हस्तातंरण पर एक फीसदी टीडीएस लेगा। इसको उपहार के तौर पर देने पर भी कर लगेगा। दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर अधिभार को 15 प्रतिशत की सीमा निर्धारित की गयी है।

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