दो बार के ओलंपियन हाकी गोल रक्षक बीर बहादुर छेत्री उपेक्षित क्यों हैं?

श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’, खड़गपुर। लगातार दो बार ओलम्पिक खेलों में भाग लेने और मास्को ओलम्पिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले दल का सदस्य होते हुए भी भूतपूर्व भारतीय हाकी गोल रक्षक ओलंपियन बीर बहादुर छेत्री अब तक उपेक्षित क्यों हैं…? बरसों से दबे इस प्रश्न को अब और अपने मन में दबा कर रख नहीं पाऊंगा, इसलिए इसे सार्वजानिक मंच में लाने की बाध्यता के चलते समाचार माध्यम की मदद से आप सबके और सरकार के सामने ला रहा हूं।

मेरा कहना यह है कि सन् 1980 के मास्को ओलम्पिक खेलों को संपन्न हुए 44 वर्ष का समय बीत चुका है पर भूतपूर्व भारतीय हाकी गोल रक्षक बीर बहादुर छेत्री को अब तक किसी भी यथोचित सरकारी सम्मान से दूर रखा गया है। उन्हें कम से कम अर्जून पुरस्कार या फिर पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा सकता था।

ज्ञातव्य हो कि मास्को ओलम्पिक संपन्न हुए आधी सदी बीतने को आ रहा है पर उनकी सुध न राज्य सरकार ने और न ही केन्द्र सरकार ने तथा न ही किसी राष्ट्रीय खेल संस्थान ने कभी ली। जबकि बीर बहादुर छेत्री के साथ ही उसी हाकी दल में बतौर कप्तान हिस्सा लेने वाले भूतपूर्व हाकी कप्तान वासुदेवन भास्करन को पद्मश्री और अर्जुन पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है तथा मोहम्मद शाहिद को 80-81 में अर्जुन पुरस्कार फिर 1986 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

पर उसी हाकी टीम के उपकप्तान रहे बीर बहादुर छेत्री को भारत सरकार ने आज तक किसी भी पुरस्कार के न काबिल समझा न ही किसी पुरस्कार-सम्मान से नवाजा। इतना ही नहीं उनके बाद के अनेकों ओलिंपिक हाकी खिलाड़ियों को खेल पुरस्कार, राजीव गांधी पुरस्कार और न जाने किन-किन पुस्कारों से नवाजा जा चुका है जो खेल और खिलाड़ियों के लिए बहुत ही अच्छी बात है।

इसी सिलसिले में मेरी गुजारिश है कि सन् 1976 में मांट्रियल (कनाडा) और सन् 1980 मास्को (रूस) में संपन्न ओलिम्पिक खेलों में भारतीय हाकी दल का बतौर गोलरक्षक प्रतिनिधित्व करने वाले बीर बहादुर छेत्री को कम से कम पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि वे उस हाकी दल के उपकप्तान रहे हैं जिसने मास्को ओलिंपिक खेलों (1980) में स्वर्ण पदक जीता था।

यहां यह भी बताना जरुरी है कि इसके बाद भारत ने तब से लेकर आज तक हाकी में स्वर्ण पदक हासिल करने की कोशिश में ही लगा हुआ है। मेरी भारत सरकार और खेल मंत्री से करबद्ध निवेदन है कि अंतरराष्ट्रीय गोल रक्षक बीर बहादुर छेत्री को यथोचित राष्ट्रीय अलंकरण से सुशोभित कर खेल-खिलाड़ी का सम्मान कर एक उल्लेखनीय और गरिमामय उदाहरण प्रस्तुत करने की कृपा करें।

श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’

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