नयी दिल्ली। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से जनगणना में ‘विलंब’ को लेकर सोमवार को सवाल किया और कहा कि जाति आधारित जनगणना के माध्यम से ही शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में पूरी तरह से सार्थक सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित किया जा सकता है।
रमेश ने कहा, ” ‘नॉन-बायोलॉजिकल’ प्रधानमंत्री जनगणना में देरी क्यों कर रहे हैं, जिसमें जाति आधारित गणना भी होगी?”
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘राजनीतिक परिवर्तन और आर्थिक उथल-पुथल के बीच श्रीलंका ने अभी घोषणा की है कि ताजा जनसंख्या एवं आवास जनगणना आज से शुरू होगी। वहां पिछली बार 2012 में जनगणना हुई थी।’
उन्होंने कहा, ‘भारत में इसे लेकर क्या हो रहा है? दशकीय जनगणना 2021 में होनी थी लेकिन अब भी इसके होने के कोई संकेत नहीं हैं।’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘हम अब भी 2011 की जनगणना से प्राप्त आंकड़ों का इस्तेमाल कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि इस वजह से 10 करोड़ से अधिक भारतीयों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 यानी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मिलने वाले लाभ से वंचित किया जा रहा है।
उन्होंने सवाल किया कि जनगणना में जाति के प्रश्नों को जोड़ने को लेकर सरकार का क्या विचार है, जैसा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और अन्य सभी राजनीतिक दलों द्वारा मांग की जा रही है।
रमेश ने कहा , ‘अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की विस्तृत गणना 1951 से हर 10 साल में होती रही है। अब अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अन्य जातियों की भी ऐसी ही विस्तृत गणना की आवश्यकता है।’
उन्होंने कहा कि जाति आधारित जनगणना के माध्यम से ही शिक्षा और रोज़गार के क्षेत्र में पूरी तरह से सार्थक सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित किया जा सकता है।
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