बहुला चौथ क्यों मनाई जाती है, अगस्त में कब है ये, जानें समय, पूजा मुहूर्त

वाराणसी। रक्षाबंधन के बाद बहुला चौथ का व्रत किया जाता है। इसका महत्व कई गुना है। बहुला चौथ 2024 में कब है? जानें सही तारीख, पूजा का मुहूर्त और महत्व। बहुला चौथ क्यों मनाई जाती है, अगस्त में कब है ये, जानें तिथि, पूजा मुहूर्त।

बहुला चौथ 2024 : भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को बहुला चौथ के नाम से जाना जाता है। संतान की सुरक्षा के लिए ये पर्व मनाया जाता है, स्त्रियां इस दिन गायों की पूजा करती हैं। साथ ही मिट्‌टी से बने शिव-पार्वती, कार्तिकेय और गणेश जी की प्रतिमा बनाकर उनकी उपासना की जाती है। श्रीकृष्ण ने इस दिन का महत्व स्वंय बताया है। मान्यता है इसके प्रताप से संतान को जीवन में हर सुख प्राप्त होता है।

बहुला चौथ 2024 तिथि : बहुला चौथ 22 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन को बोल चौथ भी कहते हैं। बहुला चौथ का व्रत करने से संतान को खुशहाली, सफलता, संकटों से मुक्ति, समृद्धि प्राप्त होती है।

बहुला चौथ 2024 मुहूर्त : पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 22 अगस्त 2024, दोपहर 01.46 से होगी और अगले दिन 23 अगस्त 2024 को सुबह 10.38 पर इसका समापन होगा।

बहुला चौथ की पूजा : शाम 06.40 से शाम 07.05 (बहुला चौथ की पूजा शाम के समय की जाती है)
चंद्रोदय समय – रात 08.51

क्यों मनाई जाती है बहुला चौथ? शास्त्रों में गाय को विशेष महत्व दिया गया है। गाय को मां का दर्जा प्राप्त है। गाय की पूजा करने वाली स्त्रियों को संतान सुख के मिलता है साथी ही संतान पर आने वाले संकटों का भी नाश होता है। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार श्रीकृष्ण शेर के रूप में बहुला गाय के सामने आ गए, वह खुद के प्राणों की आहुति देने के लिए तैयार हो गई, उसने शेर से कहा कि वह अपने बच्चे को दूध पिलाने के बाद उसके भोजन का निवाला बन जाएगी।

बछड़े के प्रति गाय का स्नेह देखकर शेर ने उसे जाने दिया, वचन अनुसार गाय अपना काम कर शेर के सामने आ गई। भगवान कृष्ण बहुला की धर्मपरायणता और वचनबद्धता को देखकर प्रसन्न हुए और उन्होंने बहुला को आशीर्वाद दिया कि कलियुग में तुम्हारी जो पूजा करेगा उसकी संतान हमेशा सुखी और सुरक्षित रहेगी।

बहुला चौथ व्रत कैसे किया जाता है? बहुला चतुर्थी के दिन गाय के दूध से बनी हुई कोई भी सामग्री नहीं खानी चाहिए। गाय के दूध पर उसके बछड़े का अधिकार समझना चाहिए, दिन भर व्रत करके संध्या के समय गौ की पूजा की जाती है। कुल्हड़ पर पपड़ी आदि रखकर भोग लगाया जाता है और पूजन के बाद उसी का भोजन किया जाता है। इस दिन दूध से बनी चीजों का सेवन करने पर पाप के भागी बनते हैं।

ज्योर्तिविद रत्न वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो 99938 74848

पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री

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