डॉक्टरों ने बताया, किस वजह से कोलकाता में बढ़ रहा कोरोना का मामला

कोलकाता : कोविड-19 से संक्रमित होने और इसके बाद सामाजिक बहिष्कार की संभावना के डर से कुछ लोग तो इस बीमारी के लक्षण नजर आने पर संगी-साथियों की सलाह और दूसरों की डॉक्टरी पर्चे के आधार पर स्वयं ही अपना इलाज करने लगते हैं और ऐसा न करने की डॉक्टरों की चेतावनी की अनदेखी कर देते हैं। कोलकाता के समीप बारासात के एक निजी संस्थान के एक शिक्षक ने माना कि उसने इस वायरस के लक्षण नजर आने पर जांच नहीं करायी और वह एक मित्र से डॉक्टरी पर्चा लेकर दवाइयां ले आया।

करीब पचास वर्ष के इस शिक्षक ने कहा, ‘‘ मेरे दो पड़ोसियों के संक्रमित पाये जाने के बाद स्थानीय लोगों ने उनका बहिष्कार किया। मैं उस स्थिति से नहीं गुजरना चाहता था। मैंने कोविड-19 संक्रमण से उबरे अपने एक मित्र से कहा कि मुझे गंध और स्वाद का पता नहीं चल पता, तब उसने मुझे अपना डॉक्टरी पर्चा दिया। मैं स्थानीय दुकान से दवाइयां ले आया। और अब आशा है कि कुछ दिनों में मैं ठीक हो जाऊंगा।

मशहूर विषाणु विज्ञानी डॉक्टर अमिताभ नंदी ने कहा कि उन्हें हाल ही में व्हाट्सएप पर एक ऐसा ही डॉक्टरी पर्चा मिला था और इन दिनों सोशल मीडिया पर फैले इस तरह के ज्यादातर पर्चे नकली होते हैं। उन्होंने कहा कि अब तक कोविड-19 की कोई दवा नहीं आयी है और मरीजों का मामलों के आधार पर इलाज किया जा रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन में परामर्शदाता रहे नंदी ने कहा कि कोविड-19 महमारी से कहीं ज्यादा तेजी से इस बीमारी का डर फैल रहा है और लोग अपने संगी-साथी और रिश्तेदारों की बातों में आ जाते हैं, वे समझ नहीं पाता कि एक प्रकार की व्यवस्था सभी पर लागू नहीं होगी, एक जैविक इकाई (इंसान), दूसरे से भिन्न होती है।

उन्होंने कहा कि हमारे देश में चिकित्सा विज्ञान वैज्ञानिक रूप से संचालित नहीं है। उन्होंने कहा कि बिना जांच-परख के दवाइयां लेना हानिकारक है, डॉक्टरों के द्वारा जांच-परख जरूरी है, लेकिन दुर्भाग्य से इस महामारी से ठीक से निपटा नहीं गया। उन्होंने कहा कि लोगों के डर के निराकरण की प्रणाली नहीं है और इससे मुसीबतें बढ़ रही हैं और दवा दुकानदार भी बिना उचित सत्यापन के दवा बेच रहे हैं।

कई लोग कोविड-19 की जांच कराने के लिए सरकारी अस्पताल जाने से कतरा रहे हैं। एक लिपिक ने कहा कि अस्पतालों में स्वच्छता नहीं है। उसने अस्पतालों में एक दूसरे से दूरी का पालन नहीं करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उसने अपने एक रिश्तेदार नर्स की सलाह पर कुछ दवाइयां ले लीं और अब वह ठीक महसूस कर रहा है।

एसएसकेएम अस्पताल के सर्जरी विभाग प्रोफेसर डॉ। दीप्तेंद्र सरकार ने कहा कि स्वयं ही अपना उपचार करने के कारण बंगाल में मृत्यु दर बढ़ रही है। उनके अनुसार जब स्वयं दवा लेने से स्थिति नहीं संभलती तब लोग अस्पताल भागते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

1 + 15 =