वाराणसी। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान कौओं को भोजन कराना बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि पितृ पक्ष में कौओं को भोजन खिलाने से पितरों को संतुष्टि मिलती है। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार कौए को भोजन दिए बिना हमारे पितरों की आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है। कौए को एक तरह से पितरों का रूप माना जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, कौवे में पितरों की आत्माएं निवास करती हैं और यदि वे आपके द्वारा दिया गया भोजन स्वीकार कर लेते हैं, तो आपके पितर आपसे प्रसन्न होते हैं और माना जाता है कि उन्हें परम शांति मिलती है। आइए जानते हैं पितृ पक्ष में कौए को इतना महत्व क्यों दिया जाता है और इससे जुड़े सभी महत्वपूर्ण तथ्य।
पितृ पूजा के दौरान कौए को भोजन कराने का क्या महत्व है? हिंदू मान्यताओं के अनुसार पितरों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए पितृ पक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना जरूरी होता है। ऐसा कहा जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज अपने पितरों के हाथों तृप्त होने के लिए धरती पर आते हैं।
यदि कोई व्यक्ति इस दौरान अपने पितरों के लिए पिंडदान, श्राद्ध या तर्पण नहीं करता है तो पितर उससे बहुत नाराज हो जाते हैं। वे असंतुष्ट होकर लौट जाते हैं और अपने पूर्ववर्तियों को कोसते हैं। पितृ दोष से पीड़ित व्यक्ति हमेशा परेशानियों से घिरा रहता है, इसलिए जीवन से बुरे प्रभावों को दूर करने के लिए पितृ दोष पूजा करानी चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार, श्राद्ध करना बहुत महत्वपूर्ण है, इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है। लेकिन साथ ही हम कौए को खाना भी खिलाते हैं। शास्त्रों के अनुसार ब्राह्मण को भोजन कराने से पहले गाय, कुत्ते, कौए, देवता और चींटी को भोजन यानी पंचबलि खिलाना उचित होता है। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष में कौए हमारे पूर्वजों के रूप में हमारे आसपास रहते हैं।
कौआ – भगवान यम का प्रतीक हिंदू पौराणिक कथाओं में कौए को यम का प्रतीक कहा गया है। ज्योतिष शास्त्र में कौवे को कर्मकारक शनि का वाहन भी कहा जाता है। इसलिए कौए का संबंध कहीं न कहीं हमारे पिछले जन्म से है। यम हमारे कर्मों के अनुसार हमें त्रिलोक यानी देव लोक, पृथ्वी लोक और पाताल लोक में से किसी एक में भेज देते हैं।
कौओं से जुड़ी कई मान्यताएं हैं, जो शुभ-अशुभ संकेत भी देती हैं। कौए का संबंध हमारे पूर्व कर्मों से बताया गया है, इसी मान्यता को ध्यान में रखते हुए पितृ पक्ष में श्राद्ध का एक भाग कौए को भी दिया जाता है। यम भगवान शनि के बड़े भाई हैं और हमारे कर्मों का लेखा-जोखा लेते हैं और हमें विभिन्न योनियों में भेजते हैं। श्राद्ध पक्ष में कौए का बहुत महत्व है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार कौए को यमराज का दूत माना जाता है।
कौवे के माध्यम से ही हमारे पूर्वज हमारे पास आते हैं। भोजन ग्रहण करें और हमें आशीर्वाद दें। कौआ यमराज का प्रतीक है। ऐसा कहा जाता है कि श्राद्ध पक्ष के दौरान यदि कौआ आपके द्वारा दिया गया भोजन खा लेता है तो आपके पूर्वज आपसे प्रसन्न होते हैं। इसके विपरीत यदि कौवे आपका भोजन नहीं खाते हैं तो यह आपके पितरों के क्रोध या नाराजगी को दर्शाता है।
कौए का भगवान राम से संबंध : कौए का संबंध भगवान राम से भी है। एक पुरानी हिंदू कथा के अनुसार, एक बार एक कौवे ने माता सीता के पैरों पर हमला कर उन्हें बुरी तरह घायल कर दिया था। इससे माता सीता को बहुत पीड़ा हुई और वह दर्द से कराहने लगीं। उसके पैर में गहरा घाव हो गया था। माता सीता को इतनी पीड़ा में देखकर भगवान राम बहुत क्रोधित हो गए और उन्होंने कौवे की आंख में तीर मार दिया।
जब कौवे ने भगवान राम से क्षमा मांगी और अपने कृत्य के लिए क्षमा मांगी तो भगवान राम शांत हो गए और कौवे को आशीर्वाद दिया और कहा कि तुम्हें पूर्वजों की याद में भोजन दिया जाएगा और तुम उनकी मुक्ति का साधन बनोगे। तभी से पितृ पक्ष में कौए का महत्व इतना बढ़ गया और पितृ पक्ष के दौरान इन्हें खाना खिलाया जाता है। पितृ पक्ष में कौए को भोजन कराने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान कौए को भोजन और पानी देने से पितरों को भोजन मिलता है। कौआ दिया हुआ खाना खा लेता है तो यमराज प्रसन्न होते हैं। कौए को भोजन कराने से कुंडली के सभी दोष दूर हो जाते हैं और मुख्य रूप से कालसर्प दोष और पितृ दोष दूर हो जाता है। पितृ पक्ष के दौरान कौए को भोजन कराने से पितर तृप्त होते हैं।
ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान अगर कौआ घर के आंगन में बैठ जाए तो यह बहुत ही शुभ संकेत होता है और अगर कौआ परोसा हुआ खाना खा ले तो यह और भी शुभ संकेत होता है। इसका मतलब है कि पितर आपसे बहुत प्रसन्न हैं और आपको ढेर सारा आशीर्वाद देकर संतुष्ट होकर गए हैं।
पितृ पक्ष के दौरान कौए को भोजन कराना अपने पितरों को भोजन कराने के समान है। पितृ पक्ष के दौरान प्रतिदिन कौए को भोजन कराना चाहिए। ऐसा करने से आपके सभी बुरे काम शांत हो जायेंगे। इसी प्रकार श्राद्ध पक्ष में पीपल के वृक्ष का भी महत्व स्थापित किया गया है।
पितृ पक्ष के दौरान यदि कौआ उपलब्ध न हो तो कुत्ते या गाय को भी भोजन कराया जा सकता है। इसके अलावा पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना भी बहुत शुभ माना जाता है। पीपल का पेड़ पितरों का भी प्रतीक है।
ज्योतिर्विद रत्न वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 99938 74848
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