WB Higher Secondary के रिजल्ट में गड़बड़ी के लिए कौन जिम्मेदार है?

Kolkata Desk : WB Higher Secondary के रिजल्ट में गड़बड़ी के लिए कौन जिम्मेदार है? स्कूलों से बॉन्ड भरवा रही है उच्च माध्यमिक शिक्षा संसद। कुछ प्रधानाध्यापकों का दावा है कि स्कूलों की गलती के कारण ही उनके परिणाम गलत हुए हैं। अतः उन्हें बॉन्ड भरना होगा। कुछ दिन पहले मुख्य सचिव ने नवान्न में उच्च माध्यमिक शिक्षा संसद के अध्यक्ष महुआ दास को तलब किया था। महुआ दास ने भी घटना की सच्चाई को स्वीकार किया है।

कहीं फेल होने और कहीं कम अंक देने के आरोप लग रहे हैं। उच्च माध्यमिक के नतीजे जारी होने के बाद से छात्र राज्य के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। चारों ओर इस गड़बड़ी की खबर से नवान्न भी गुस्से में है। शनिवार को मुख्य सचिव हरिकृष्ण द्विवेदी ने उच्च माध्यमिक शिक्षा संसद के अध्यक्ष महुआ दास को तलब किया था। बैठक में शिक्षा सचिव मनीष जैन भी मौजूद थे।

सूत्रों के मुताबिक सरकार उच्च माध्यमिक के परिणाम से उपजी असंतोष को अच्छी नजरो से बिल्कुल भी नहीं देख रही है। ऐसी परिस्थिति क्यों? मुख्य सचिव ने उच्च माध्यमिक शिक्षा संसद के अध्यक्ष से जानना चाहा। महुआ दास ने कहा कि परिणाम स्कूल द्वारा दी गई जानकारी पर आधारित थे। बहुतों ने बताया कि बिना परीक्षा दिए ही ग्यारहवीं की परीक्षा कर दिया गया था। मुख्य सचिव ने निर्देश दिया, ‘इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा आप जल्दी एक्शन लीजिए’।

इस बीच विभिन्न स्कूलों के प्रधानाध्यापक उच्च माध्यमिक शिक्षा संसद से संपर्क कर पुनर्विचार या समीक्षा करने की मांग कर रहे हैं। उनका आरोप है कि संसद कार्यालय में एक फॉर्म पर जबरन दस्तखत करवाए जा रहे हैं। उसपर एकदम छपे हुए अक्षरों में लिखा हुआ है कि, ‘कोरोना की परिस्थितियों के चलते स्कूल में पर्याप्त स्टाफ नहीं थे, अतः नंबर देने समस्या हुई। इसलिए उच्च माध्यमिक के परिणामों में गड़बड़ी हुई है।

इस विषय पर उच्च माध्यमिक शिक्षा संसद के अध्यक्ष का क्या कहना हैं? अध्यक्ष महुआ दास ने कहा, ‘उम्मीद है कि स्कूलों की ओर से दी गई जानकारी के आधार पर सभी की समस्या का समाधान होगा। स्कूल फेल कहने से फेल! स्कूल कह रहें हैं, तब पता नहीं था, कई विद्यार्थी अनुपस्थित थे। आधिकारिक तौर पर स्कूल को इस मामले को सहानुभूति के साथ देखने को कहा गया है। और बॉन्ड? उन्होंने कहा, “जिन स्कूलों में नम्बर को लेकर भ्रम है, वहां के प्रधानाध्यापकों से एक विशेष फॉर्म पर हस्ताक्षर करने को कहा जा रहा है।”

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