‘इंडिया’ गठबंधन किन चैनलों और एंकरों का करेगा बहिष्कार?

नयी दिल्ली। विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ की मुंबई बैठक में बनी समन्वय समिति के सदस्यों की पहली मुलाक़ात बुधवार को दिल्ली में हुई। इस मुलाक़ात में इंडिया गठबंधन की आगे की रणनीति पर चर्चा की गई। इसी बैठक से जुड़ी ख़बरों को प्रमुख अख़बारों ने पहले पन्ने पर जगह दी है। द टेलीग्राफ की रिपोर्ट में इस बैठक से जुड़ी जानकारियां बताई गई हैं। टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक़, इंडिया गठबंधन के नेताओं ने तय किया है कि वो अपने नेताओं और प्रवक्ताओं को कुछ टीवी एंकर्स के शो में भेजना बंद करेंगे।

विपक्षी दलों के नेता अक्सर कुछ टीवी एंकर्स पर बीजेपी और आरएसएस का समर्थन करने का आरोप लगाते रहे हैं। राहुल गांधी भी कई बार मीडिया पर तंज़ कसते हुए दिखे थे। दिल्ली में शरद पवार के घर पर हुई बैठक के बाद साझा बयान जारी कर कहा गया, ”समन्वय समिति ने ऐसे टीवी एंकर्स के नामों की लिस्ट तैयार करने के लिए कहा है, जिनके शो में इंडिया गठबंधन के नेता नहीं जाएंगे।”

टेलीग्राफ लिखता है कि ये संभवत: पहली बार है, जब विपक्षी दलों ने सत्ता की तरफदारी करने वाले पत्रकारों को निशाना बनाने का फ़ैसला किया है। अख़बार सूत्रों के हवाले से लिखता है कि कुछ टीवी चैनलों का पूरी तरह से बहिष्कार होगा और कुछ चैनलों के सिर्फ़ एंकर्स का। अख़बार लिखता है कि विपक्षी दलों के बीच इस बात को लेकर सहमति है कि कम से कम तीन मीडिया घरानों से किसी तरह का कोई नाता नहीं रहेगा।

विपक्षी दलों का आरोप है कि ये न्यूज़ चैनल बीजेपी और आरएसएस के लिए काम करते हैं। हालांकि अभी इंडिया गठबंधन की ओर से टीवी चैनलों और एंकर्स के नामों का एलान नहीं हुआ है। समन्वय समिति की सदस्य और जम्मू कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने ‘गोदी मीडिया’ शब्द का इस्तेमाल करके संकेत देने की कोशिश की। वहीं, सपा नेता जावेद अली ख़ान ने कहा कि ऐसे एंकर जो समाज में नफ़रत फैलाते हैं।

एक वरिष्ठ नेता ने टेलीग्राफ से कहा, ”पिछले कुछ हफ़्तों में हमने इस पर विस्तार से चर्चा की है। कुछ लोगों के नामों पर बात हुई है। बात सिर्फ़ ये नहीं है कि ये लोग आरएसएस और बीजेपी का समर्थन करते हैं बल्कि ये लोग समाज में ज़हर घोलते हैं। ये लोग ऐसे मुद्दे चुनते हैं, जिससे सांप्रदायिक तनाव फैलता है। ये रोज प्रोपैगेंडा के तहत काम करते हैं। ये सिर्फ़ राजनीतिक पक्षपात की बात नहीं है, ये पत्रकारिता के मूल्यों के उल्लंघन की भी बात है।”

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