कोलकाता। महानगर के हिंदुस्थान क्लब में परमशक्ति पीठ, कोलकाता की ओर से आयोजित वात्सल्य मंगल मिलन परम पूज्य साध्वी ऋतंभरा जी के सानिध्य में संपन्न हुआ। इस मंगल मुहूर्त पर साध्वी ऋतंभरा जी ने देश के कल्याण के लिए देश को सशक्त बनाने की मंगल कामना की। साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि सेवा पूजा है, कोई उपकार नहीं। यह दायित्व और नैतिक धर्म है। जो बटोरा जाता है वह विषाद है और जो बांटा जाता है वह प्रसाद होता है। दीनजनों की सेवा चितन और विश्वास को साकार करती है। उनमें रच-बस जाना ही जीवन की सार्थकता है।
भगवान शिव की महत्ता का बखान करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान भोलेनाथ से यही प्रार्थना है की पूरे भारत की आत्मा एक हो और हमारा भारत अखंड और शक्तिशाली बना रहे। हिंदू को शत्रु बोध प्रदान कर भारत की अखंडता को बनाए रखें और उसको शक्ति प्रदान करें। हिंदू ने तो कण-कण में ईश्वर के दर्शन किए हैं। उन्होंने कहा कि आज जातिवाद का जहर हमारे समाज को नष्ट करने में लगा हुआ है। देश रहेगा तब ही हम रहेंगे, तब ही कोई धर्म रहेगा। इसलिए हमें एकजुट होकर के अपने देश को मजबूत बनाना चाहिए।
उन्होंने समाजसेवियों से कहा कि जो लोग दोनों हाथ से समाज की सेवा में अपना तन, मन, धन संपर्पित करते है, उनको किसी भी प्रकार की कमी नही होती। इसलिए हम सबको समाज सेवा में पूर्ण संमर्पण के साथ कार्य करना चाहिए। समाज सेवा में कई प्रकार की अड़चने भी आती है जिससे लोग कई बार कुण्ठित हो जाते है और सेवा कार्य से दूरी बना लेते है, लेकिन ऐसा नहीं है उनके सेवा कार्य को समझने वाले लोग समाज में नहीं है।
भले ही हमें कठिनाईयों का सामना करना पड़े, लेकिन हमें समाजिक कार्यों से दूरियां नहीं बनानी चाहिए। हमारे मन में यदि समाज के प्रति कार्य करने की इच्छा है तो वह हमें अवश्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो लोग कार्य नहीं करते है। वहीं लोग ज्यादा कमियां निकालते हैं लेकिन हमें कमियां निकालने वालों से सीख लेनी चाहिए कि कुछ न कुछ हमारे कार्य में कमी है। हम उसमें सुधार करते रहना चाहिए।
इस पावन बेला पर श्री ओम प्रकाश गोयनका, साध्वी सत्यप्रिया, श्रद्धेय संजय भैया, सुश्री स्वस्तिका और जाने माने समाजसेवी संजय सुरेका जी उपस्थिती ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। उनके अलावा श्री विश्वनाथ जी सेकसरिया, श्री भगवती प्रसाद जी जालान, श्री रवींद्र जी चामडिया, श्री सत्यनारायण जी देवरलिया और श्री श्यामलाल जी अग्रवाल व अन्य गणमान्य उपस्थित थे।
बता दें कि पूज्य साध्वी ऋतंभरा दीदी केवल एक संत नहीं है, एक विचारक मात्र नहीं है वे तो स्वयं एक विचारधारा है देश के कोने कोने में अध्यात्म और राष्ट्र भक्ति की अलख जगाने के पुनीत अभियान की साधना में तल्लीन है, जो बहुत से मानवतावादी सामाजिक प्रकल्पों की प्रेरणा स्रोत हैं। वात्सल्य ग्राम की संकल्पना साध्वी जी की अनुपम देन है। वे अयोध्या के राममंदिर आंदोलन से जुड़ी रहीं हैं। साध्वी ऋतंभरा जी आध्यात्मिक शख्सियत और मानवतावादी सामाजिक प्रकल्पों की प्रेरणा स्त्रोत और प्रखर वक्ता हैं।
विभिन्न जन आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाली साध्वी ऋतंभरा जी भगवान राम और कृष्ण की भक्ति में लीन हो गयीं। श्रीकृष्ण की लीला स्थली वृंदावन में उनके द्वारा स्थापित वात्सल्य ग्राम में रिश्तों को एक नई जमीन मिली है। वात्सल्य ग्राम की पूरी परिकल्पना के माध्यम से वेए भारतीय पारिवारिक व्यवस्था की सकारात्मकता पर जन मानस का ध्यान आकर्षित कर उसका प्रसार करने का सम्पूर्ण प्रयास कर रही है।