बंगला में किताब लिखना चाहते हैं पश्चिम बंगाल के राज्यपाल

कोलकाता । पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने खुद को राज्य का ‘दत्तक पुत्र’ बताते हुए बंगला में एक किताब लिखने की इच्छा जताई। बोस शहर के पूर्वी छोर पर न्यू टाउन स्थित सिस्टर निवेदिता विश्वविद्यालय में 100 साल पुराने ‘निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन’ के साहित्यिक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने दर्शकों को राज्य की प्रतिभा पर गोपाल कृष्ण गोखले के प्रसिद्ध शब्दों की याद दिलाई, “बंगाल आज क्या सोचता है, भारत कल सोचता है”।

राज्यपाल ने कहा, “याद रखें कि महामती गोखले ने एक बार क्या कहा था। उन्होंने कहा था ‘बंगाल आज क्या सोचता है, भारत कल क्या सोचता है’। मैं खुद को बंगाल का दत्तक पुत्र मानता हूं।” बोस ने “भाषा को पूरी तरह से सीखने के बाद एक दिन बंगाली में एक किताब लिखने” की इच्छा जताई। उन्होंने अंग्रेजी, मलयालम और हिंदी में लगभग 40 पुस्तकें लिखीं, जिनमें लघु कथाएँ, उपन्यास, कविताएँ और निबंध शामिल थे।

बोस ने कहा कि जब इतालवी चित्रकार माइकलएंजेलो ने प्रसिद्ध ‘सिस्टिन चैपल’ का निर्माण किया तो वह तूलिका चलाते समय दैवीय अनुभूति से प्रभावित हुए। “जब कलाकार, लेखक और मूर्तिकार कुछ बनाते हैं, तो वे निर्माता के रूप में भगवान के बाद ही बन जाते हैं,” उन्होंने टिप्पणी की। बोस ‘निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन’ द्वारा आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि थे, जो बंगाली साहित्य और सांस्कृतिक प्रथाओं को बढ़ावा देने में लगा हुआ है।

बनारस में आयोजित इस तरह के पहले सम्मेलन की अध्यक्षता रवींद्र नाथ टैगोर ने की थी। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों में राज्य की प्रथम महिला लक्ष्मी आनंद बोस, गुजरे जमाने की अभिनेत्री शर्मिला टैगोर, भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली, बांग्लादेश के उप उच्चायुक्त अंदलीब इलियास, प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ. विकास सिन्हा, पंडित अजय चक्रवर्ती शामिल थे।

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