शाबाश ग्रामीण भारत! ग्रामीण महिलाओं की साक्षरता दर 2023-24 में बढ़कर 77.5 पर्सेंट हुई- संसद में रिपोर्ट पेश

समग्र शिक्षा अभियान, साक्षरता भारत, पढ़ना लिखना अभियान, उल्लास, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ सहित अनेक योजनाओं ने असर दिखाया
महिलाएं शिक्षा क्षेत्र के महत्व को समझ रही हैं जिनकी रोशनी से पूरा भारत रोशन हो रहा है- अधिवक्ता के. एस. भावनानी

अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर भारतीय बौद्धिक क्षमता का डंका पूरी दुनियाँ में बज रहा है, यही कारण है कि दुनियाँ के विकसित देशों में अनेक भारतीय सीईओ नियुक्त हैं। बात यही तक नहीं रुकी, अब तो अनेक देशों का नेतृत्व मूल भारतीय कर रहे हैं व विपक्षी नेता से लेकर अनेक मुख्य पदों पर पदस्थ हैं, जिसका सटीक उदाहरण अभी 20 जनवरी 2025 से सत्ता पर काबिज होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा मूल भारतीयों की नियुक्ति अपनी टीम में बड़े पदों पर लगातार की जा रही है जो रेखांकित करने वाली बात है। आज शिक्षा क्षेत्र पर चर्चा हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि 9 दिसंबर 2024 को केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री ने संसद में एक रिपोर्ट पेश की जिसमें बताया गया के ग्रामीण भारत में महिलाओं की साक्षरता दर 2023-24 में बढ़कर 77.5 पर्सेंट हो गई है जो पिछले 2011 में 67.77 प्रतिशत थी।

यह भी बताया गया कि एक जमाना था जब महिलाओं की साक्षरता दर 14.5 पर्सेंट थी जो बाद में बढ़कर 57.93 पर्सेंट हो गई अब यह 77 पॉइंट 5 परसेंट हो गई है पुरुषों की भी साक्षरता दर बड़ी है जो पहले 77.5 पर्सेंट थी जो अब 84.5 पर्सेंट हो गई है इनमें सबसे महत्वपूर्ण रोल समग्र शिक्षा अभियान से लेकर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना तक शामिल है जिसमें सबसे बड़े स्तर पर योगदान राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का भी है अब हम 100 पेर्सेंट रक्षक की ओर बढ़ रहे हैं क्योंकि पढ़ेगा भारत तो विजन 2047 की डेडलाइन से पुरवाई भारत अपने लक्ष्य में कामयाब हो जाएगा क्योंकि समग्र शिक्षा अभियान साक्षर भारत पढ़ना लिखना अभियान उल्लास बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ इत्यादि अनेक योजनाओं ने असर दिखाया है। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे शाबाश ग्रामीण भारत! ग्रामीण महिलाओं की साक्षरता दर बढ़कर 2023 24 में 77.5 पेर्सेंट हुई संसद में मंत्री के द्वारा जानकारी पेश हुई।

साथियों बात अगर हम संसद के शीत सत्र में 9 दिसंबर 2024 को केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री द्वारा एक रिपोर्ट और जानकारी की करें तो उन्होंने बताया कि ग्रामीण भारत में महिलाओं की साक्षरता दर बढ़ी है, सरकार की कामयाबी बताते हुए उन्होंने कहा, साल 2011 में साक्षरता दर 7 साल और उससे बड़ी उम्र की लड़कियों के लिए 67.77 प्रतिशत थी, जोकि अब बढ़ कर साल 2023-24 में 77.5 प्रतिशत हो गई है। भारत में काफी लंबे समय से महिलाओं को पढ़ाने को लेकर मुहिम चलाई जा रही है और शिक्षा के महत्व को बताया गया है, इसी की वजह है कि अब वो बदलाव नजर आ रहा है, जिसके ख्वाब सालों पहले शायद सावित्री बाई फुले ने देखें थे, अब महिलाएं शिक्षा के महत्व को समझ रही हैं, जिसकी बदलती रोशनी के प्रकाश से पूरा भारत रोशन हो रहा है।

पिछले कुछ दशकों में इसमें उछाल आया है। एक समय में महिलाओं का साक्षरता दर 14.5 प्रतिशत दर्ज किया गया था, जो कि फिर धीरे-धीरे 57.93 पेर्सेंट से 70.4 पेर्सेंट तक बढ़ गया है। पुरुषों में भी साक्षरता दर बढ़ा है जो कि 77.15 पेर्सेंट से 84.7 पेर्सेंट तक इजाफा हुआ है साक्षरता दर को बढ़ाने के लिए खास कर बालिग लोगों के बीच ग्रामीण साक्षरता दर को बढ़ाने के लिए सरकार कई तरह की स्कीम चला रही है, जैसे, समग्र शिक्षा अभियान, साक्षर भारत, पढ़ना लिखना अभियान और उल्लास-नव भारत साक्षरता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, इन स्कीम ने पॉजीटिव रिजल्ट सामने रखे हैं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता दर को बढ़ाया है। नव भारत साक्षरता कार्यक्रम ने साक्षरता दर को बढ़ाने में अहम रोल निभाया है।

अप्रैल 2022 में इस स्कीम को लॉन्च किया गया था और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत, कार्यक्रम 15 साल से ज्यादा के लोगों को खास कर फोकस करता है। उल्लास स्कीम के तहत, हमने सफलतापूर्वक 2 करोड़ से अधिक लोगों को पंजीकृत किया है. साथ ही 1 करोड़ से अधीक लोग फाउंडेशनल लिटरेसी और संख्यात्मक मूल्यांकन परीक्षण के तहत पहले से ही जुड़े हुए हैं। उन्होंने आगे बताया यह स्कीम ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से चलाई जाती है। साथ ही मोबाइल एप की मदद से भी सीखना का ऑप्शन है जिस पर 26 भाषाएं उपलब्ध। इस स्कीम के तहत महाराष्ट्र ने सबसे ज्यादा तरक्की हासिल की है।

इस स्कीम के चलते 10.87 लाख से अधिक लोगों ने रजिस्टर कराया और 4 लाख लोग इसके लिए उपस्थित हुए, साथ ही खुलासा किया कि बिहार ने अभी तकइस पहल को लागू नहीं किया है। इतनी ग्रोथ हासिल करने के बाद भी ग्रामीण भारत में 100 प्रतिशत साक्षरा हासिल करना अभी भी एक चुनौती है। उन्होंने शिक्षा के दायरे को बढ़ाने को लेकर कहा कि हालांकि अभी लंबा रास्ता तय करना है, लेकिन उल्लास जैसी पहल एक मजबूत संकेत दे रही है। इस स्कीम के तहत साक्षरता गेप को खत्म करने के लिए काम किया जा रहा है और खास कर महिलाओं को सशक्त बनाने और साक्षरता दर को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। पुरुष साक्षरता में भी सुधार हुआ है, जो समान अवधि में 77.15 प्रतिशत से बढ़कर 84.7 प्रतिशत हो गई है।

साथियों बातें अगर हम इस महत्वपूर्ण उपलब्धि में उल्लास प्रोग्राम नप 2020 के महत्वपूर्ण योगदान वह उसको जानने की करें तो, साक्षर भारत की ओर एक कदम उल्लास – नव भारत साक्षरता कार्यक्रम, जिसे न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम (एनआईएलपी) के रूप में भी जाना जाता है, एक केंद्र प्रायोजित पहल है जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के साथ संरेखित है। इसका उद्देश्य सभी पृष्ठभूमियों से आने वाले 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के वयस्कों को सशक्त बनाना है, जो औपचारिक स्कूली शिक्षा से चूक गए, ताकि उन्हें समाज में एकीकृत होने और राष्ट्र के विकास में योगदान करने में मदद मिल सके। यह कार्यक्रम पढ़ने, लिखने और अंकगणित कौशल सहित कार्यात्मक साक्षरता प्रदान करने पर केंद्रित है तथा विद्यार्थियों को महत्वपूर्ण जीवन कौशलों से समृद्ध करता है तथा आजीवन सीखने को बढ़ावा देता है।

स्वयंसेवा के माध्यम से क्रियान्वित, उल्लास सामाजिक जिम्मेदारी और कर्तव्य की भावना ‘कर्तव्य बोध’ को बढ़ावा देता है तथा शिक्षार्थियों को दीक्षा पोर्टल और उल्लास मोबाइल ऐप/पोर्टल के माध्यम से क्षेत्रीय भाषाओं में शैक्षिक सामग्री तक पहुंचने के लिए प्रोत्साहित करता है। शिक्षार्थियों और स्वयंसेवी शिक्षकों को प्रदान किए जाने वाले प्रमाणपत्रों से उनका आत्मविश्वास और प्रेरणा बढ़ती है, जिससे निरंतर प्रगति होती है। उल्लास योजना का उद्देश्य भारत को ‘जन-जन साक्षर’ बनाना है। यह योजना ‘कर्तव्य बोध’ (कर्तव्य) की भावना पर आधारित है और इसे स्वैच्छिक सेवा के माध्यम से क्रियान्वित किया जा रहा है।कार्यान्वयन अवधि भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2022-2027 के दौरान के कार्यान्वयन लिए योजना को मंजूरी दे दी है।

साथियों बात अगर हम सबसे बड़ी चुनौती शिक्षा की करें तो, आजादी के पश्चात् भारत सरकार के समक्ष शिक्षा के क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती थी कि किस प्रकार स्कूल जाने वाले छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और मूलभूत सेवाएं दी जाए। इस चुनौती की समाधान के लिए सरकार ने 1968 और 1986 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की गई और तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के कुशल नेतृत्व में संविधान संशोधन के माध्यम से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए शिक्षा को एक मौलिक अधिकार बनाया गया और एनडीए सरकार द्वारा सर्व शिक्षा अभियान का संचालन भी किया गया। हालांकि, जैसे ही भारत 21वीं सदी में प्रवेश कर रहा है, निस्संदेह उसे आधुनिक दुनिया की जरूरतों में शिक्षा और रोज़गार को बढ़ावा देने वाली एक सकारात्मक और समग्र नीति की आवश्यकता है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाने के लिए एक परामर्श प्रक्रिया शुरू हुई जो लगभग 5 वर्षों तक चली और इसमें शिक्षा क्षेत्र से जुड़े सभी हितधारक जैसे विद्यालय, शिक्षक, छात्र और गैरसरकारी संस्थाओं के विचारों को भी सुना गया जिसका परिणाम था की 2020 में एक व्यापक और समग्र राष्ट्रीय शिक्षा निति की संरचना की गई जिसका उद्देश्य है भारत को विश्व गुरु बनाना। हमारे पीएम के अथक प्रयासों से भारत में 34 वर्षों बाद एक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्रियान्वयन किया, जिसका लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक प्राथमिक शिक्षा में 100 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात और उच्च शिक्षा में 50 प्रतिशत जीईआर हासिल किया जाए। इस नीति के माध्यम से शिक्षा में मूलभूत सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए निवेश के प्रावधान भी किए गए हैं। जिसके परिणाम स्वरूप भारत सरकार द्वारा सकल घरेलु उत्पाद का 6 प्रतिशत हिस्सा शिक्षा और छात्रों के विकास में उपयोग किया जायेगा।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन करें इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि शाबाश ग्रामीण भारत! ग्रामीण महिलाओं की साक्षरता दर 2023-24 में बढ़कर 77.5 प्रतिशत हुई- संसद में रिपोर्ट पेश समग्र शिक्षा अभियान, साक्षरता भारत, पढ़ना लिखना अभियान, उल्लास बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ सहित अनेक योजनाओं ने असर दिखाया है। महिलाएं शिक्षा क्षेत्र के महत्व को समझ रही हैं, जिनकी रोशनी से पूरा भारत रोशन हो रहा है।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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