शाबाश ऑफिसर! कार्यालय में बुजुर्ग शख्स को इंतजार करवाया- अधिकारी ने कर्मचारियों को दी अनोखी सजा

डिजिटल युग में हर सरकारी व निजी कार्यालयों के अधिकारियों को इस अधिकारी से सीख लेने की जरूरत
सरकारी कार्यालयों में छोटे-छोटे कामों के लिए कर्मचारियों द्वारा जनता को चक्कर लगवाने के लिए सजा का अध्यादेश लाना जरूरी- अधिवक्ता के.एस. भावनानी

अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर भारत को बौद्धिक क्षमता का धनी माना जाता है, परंतु भ्रष्टाचार स्वार्थ मलाई कामचोरी व जनता को चक्कर खिलाने में माहिर करीब सभी कार्यालयों के अनेकों कर्मचारी अपनी बौद्धिक क्षमता का गलत इस्तेमाल अपने, निजी आरामदायक सुविधाओं के लिए चंद् रूपयों के लिए आम जनता, विशेष रूप से बुजुर्गों को भी अपनी टेबल के चक्कर खिलाने में माहिर होते हैं, जो देश की प्रतिष्ठा को धूमिल करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते, इसका अनुभव मैंने स्वयं भी अनेकों शासकीय कार्यालय में चक्कर खाकर महसूस किया है कि करीब-करीब हर अधिकारी चक्कर खिलानें में माहिर होता है। हमारा पीएम या पूरा मंत्रिमंडल चाहे कितनी भी बातें भ्रष्टाचार के खिलाफ कर लें परंतु जमीनी स्तर पर असर अभी भी कम नहीं हो रहा है। चंद रूपयों यानी चाय पानी के लिए टेबल के 10 चक्कर खाना ही पड़ता है या फिर मजबूरी से किसी दलाल के माध्यम से काम करना पड़ता है जो अत्यंत ही चिंताजनक है, जो हमारे पीएम के सपनों को चकनाचूर करने में लगे हुए हैं।

इसलिए इस आलेख के माध्यम से मैं 20 दिसंबर 2024 तक चलने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में एक विधेयक अधिसूचित करने का सुझाव देता हूं जो सीधा कार्यालय के टेबलों के चक्कर खिलाने वाले बाबूओं, कर्मचारियों और अधिकारियों, अधीक्षकों व सीईओ को द्वारा सीसीटीवी कैमरे में देखकर भी कुछ एक्शन नहीं लेकर मूक दर्शक बने रहते हैं उनके खिलाफ भी सीधे केस दर्ज करवा कर निलंबित कर देने का प्रावधान सहित संपूर्ण आचार संहिता की धाराओं को शामिल कर विधेयक को यदि इस शीतकालीन सत्र में पेश करना संभव नहीं हो तो, पूरी तैयारी के साथ अगले वर्ष 2025 के बजट सत्र में पेश किए जाने की सख़्त जरूरत है।

आज हम इस विषय पर चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि दिनांक 17 दिसंबर 2024 को पूरे सोशल मीडिया में एक क्लिप बहुत ही तीव्र गति से सर्कुलेट हो रही है जिसमें एक बुजुर्ग को कोई फाइल पास कराने के लिए कार्यालय में चक्कर काटने पड़ रहे है, पर उसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इतना तक कि अधीक्षक या सीईओ या उच्चाधिकारी ने सीसीटीवी में देखकर संबंधित कर्मचारियों को हिदायत देने के बावजूद उस बुजुर्ग का काम नहीं हुआ तो अधिकारी ने पूरे स्टाफ को एक अनोखी सजा दी, जिसका संज्ञान पूरे भारत के शासकीय व निजी अधिकारियों को लेना समय की मांग है। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से व उपलब्ध इमेज का प्रयोग करके इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, सरकारी कार्यालयों में छोटे-छोटे कामों के लिए कर्मचारियों द्वारा जनता को चक्कर लगवाने वाले कर्मचारियों के लिए सजा का अध्यादेश लाना जरूरी है।

साथियों बात अगर हम सोशल मीडिया में 17 दिसंबर 2024 शाम से वायरल एक क्लिप की करें तो, दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के नोएडा से अनोखा मामला सामने आया है। वहां के सीईओ ने कर्मचारियों की लापरवाही पर कड़ा एक्शन लेते हुए आवासीय भूखंड विभाग के स्टाफ को आधे घंटे तक खड़े होकर काम करने का फरमान सुना दिया। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया व चैनलों के अनुसार एक बुजुर्ग दंपती अपनी समस्या के समाधान के लिए प्राधिकरण के आवासीय भूखंड विभाग पहुंचे थे, लेकिन घंटों इंतजार के बावजूद उनका काम नहीं हो सका, जिसके बाद सीईओ ने कर्मचारियों को ये सजा सुनाई।

दरअसल, नोएडा प्राधिकरण के सीईओ ने अपने ऑफिस में लगे सीसीटीवी कैमरे की स्क्रीन पर बुजुर्ग दंपती को काफी देर तक खड़े देखा तो तुरंत आवासीय भूखंड विभाग को निर्देश दिया कि उनकी समस्या का समाधान किया जाए, लेकिन उसके बावजूद 15-20 मिनट बाद जब सीईओ ने फिर से सीसीटीवी पर नजर डाली तो बुजुर्ग दंपति तब भी खड़े दिखे, इस पर नाराज सीईओ आवासीय विभाग पहुंचे और कर्मचारियों की लापरवाही पर कड़ी फटकार लगाई। सीईओ ने कर्मचारियों को कहा, जब आप खड़े होकर काम करेंगे तभी बुजुर्गों की परेशानी को समझ पाएंगे। इसके बाद उन्होंने सभी कर्मचारियों को आधे घंटे तक खड़े होकर काम करने का निर्देश दिया। निर्देश के अनुसार, स्टाफ ने खड़े होकर काम किया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।

सोशल मीडिया पर हो रही है तारीफ : कर्मचारियों को लापरवाही के लिए दी गई सजा की हर तरफ तारीफ की जा रही है। लोग इस पर अलग-अलग तरह के कमेंट कर रह हैं। कई लोगों की कहना है कि इस तरह अफसर यदि कर्मचारियों को सजा दें तो कर्मचारी अपने काम के प्रति लापरवाह नहीं रहेंगे।

साथियों बात अगर हम बुजुर्गों के लिए एक एक्स्ट्रासिटी के समकक्ष कानून, सूचीगत जातियों की सुरक्षा के लिए बनाए गए अनुसूचित जाति व जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 2019 के समकक्ष बुजुर्गों के सम्मान के लिए कानून बनाने की करें तो जिस तरह सामाजिक सौहार्द पूर्णता समानता को कायम रखने के लिए एस्ट्रासिटी (अमेंडेड) कानून  2019 बनाया गया है जिसका डर हमेशा उपद्रवी लोगों में बना रहता है या फिर कभी नए फौजदारी अधिनियम 2023 में क्राइम को रोकने अनेक धाराओं का डर लोगों में बना हुआ है उसी तर्ज पर मेरा सुझाव है कि लोकसभा के शीतकालीन सत्र या फिर अगले महीने 2025 के बजट सत्र में बुजुर्गों के साथ होने वाली क्रूरता, दुष्परिणाम, दुर्व्यवहार, अपमान व दुत्कार पर लगाम लगाने के लिए वरिष्ठ नागरिक (अत्याचार, अपमान, दुर्व्यवहार व दुराचार) विधेयक 2024 बनाकर पेश किया जाए जिसे सभी पार्टियाँ एक मत होकर 544/0 मतदान से पारित करेंगी ऐसा मुझे पूर्ण विश्वास है।

साथियों बात अगर हम 20 दिसंबर 2024 को समाप्त होने वाले शीत सत्र या जनवरी 2025 के चौथे सप्ताह से शुरू होने वाले बजट सत्र में प्राथमिकता से इस विधेयक को अधिसूचित करने की करें तो, हम प्रस्तावित कानून में वरिष्ठ नागरिक (कार्यालयों में चक्कर खिलाना अत्याचार अपमान दुर्व्यवहार निवारण) विधेयक 2024 की जरूरत है, हमारा देश महान संतानों की भूमि है। यहां शासकीय व निज़ी कार्यालयों में बुजुर्गों, दिव्यांगों व सामान्य नागरिकों की उचित देखभाल करने की अपेक्षा की जाती है, लेकिन पीड़ादायक है कि नैतिक मूल्यों में इस कदर गिरावट आ गई है कि अपना सुख-चैन व भ्रष्टाचार के बल पर, अपने परिवार को आरामदायक जिंदगी देने आम नागरिकों को अपने कार्यालय में टेबल के चक्कर काटने के लिए छोड़ देते हैं, जो न सिर्फ दुखद है, बल्कि सामाजिक और नैतिक मूल्यों में निरंतर आ रही गिरावट का प्रतीक भी है।

हमारे सामाजिक मूल्यों में तेजी से आ रहे बदलाव की वजह से आज बुजुर्गों को अपने छोटे-छोटे कामों के लिए शासकीय कार्यालय के चक्कर काटने, वरना काम नहीं होने पर अदालतों की शरण में आना पड़ रहा है। इस तरह के उद्दंड शासकीय कर्मचारियों को सजा के रूप में आदेश भी अदालत दे रही हैं, लेकिन यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। सामाजिक मूल्यों में आ रहे ह्रास का ही नतीजा है कि दर बदर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ दिया जा रहा है या फिर सुरक्षित व जल्द काम करने के लिए रिश्वत की अपेक्षा की जाती है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि शाबाश ऑफिसर!- कार्यालय में बुजुर्ग शख्स को इंतजार करवाया- अधिकारी ने स्टाफ को दी अनोखी सजा- मरते दम तक याद रखेंगे। डिजिटल युग में हर सरकारी व निजी कार्यालयों के अधिकारियों को इस अधिकारी से सीख लेने की जरूरत सरकारी कार्यालय में छोटे-छोटे कामों के लिए कर्मचारियों द्वारा जनता को चक्कर लगवाने के लिए सजा का अध्यादेश लाना जरूरी है।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च करफॉलो करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

10 − 2 =