शाबाश डोम्माराजू गुकेश! 18 वर्ष की उम्र में 18वीं वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप को जीतकर शतरंज की दुनिया में तूफान मचा दिया!

भारत के डी गुकेश ने चीन की यंगेस्ट 22 वर्षीय बादशाहत को खत्म कर,18.6 वर्षीय यंगेस्ट वर्ल्ड चेस चैंपियन बने
भारत का लोहा पूरी दुनिया ने माना- दुनिया के यंगेस्ट वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप उम्र 18.5 वर्ष का भारतीय रिकॉर्ड तोड़ने में अब 100 वर्ष लग सकते हैं- अधिवक्ता के.एस. भावनानी

अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर भारत की बौद्धिक क्षमता का हर क्षेत्र में लोहा पूरी दुनिया ने देखा है, जो कुछ वर्षों से पूरे दम खम से आगे बढ़कर उच्च स्तर पर रिकॉर्ड बना रहा है, नए-नए अध्याय जुड़तें जा रहे हैं, चाहे वह प्रौद्योगिकी, संचार, विज्ञान, स्वास्थ्य, स्पेस सहित सभी क्षेत्र हो या फिर शिक्षा व खेल क्षेत्र हो, अनेक नवाचार नवोन्मेश से हैरत अंगेज सफलताएं मिल रही है, उसी क्रम में दिनांक 12 दिसंबर 2024 को देर शाम सिंगापुर में हो रही 18वीं वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप में मात्र 18.6 वर्ष के डोम्माराजू गुकेश ने यह चैंपियनशिप जीतकर शतरंज की दुनिया में तूफान मचा दिया है। इतनी कम उम्र में यह जीत दर्ज कर उन्होंने दिखा दिया है कि कैसे एक बच्चा भी बड़ों-बड़ों को हराकर भारत की झोली में यह जीत का तमगा डालकर अविस्मरणीय नया अध्याय जोड़ सकता है, जो पूरी दुनिया के लिए चौकाने वाला हैरत अंगेज कारनामा है।

इतनी कम उम्र में जो जीत का रिकॉर्ड है, यह मेरा मानना है कि आने वाले 100 वर्षों में भी शायद इस रिकॉर्ड को कोई तोड़ नहीं पाएगा, क्योंकि अभी तक रूस के दिग्गज गैरी कास्पारोव सबसे कम उम्र के शतरंज चैंपियन थे जिन्होंने आज से 39 वर्ष पूर्व 1985 में भारत 22 वर्ष की उम्र में यह ख़िताब उन्होंने जीता था परंतु भारतीय सपूत डी गुकेश ने मात्र 18.6 वर्ष की उम्र में खिताब जीतकर करीब 3.5 वर्ष आगे बढ़ गए हैं जिसे तोड़ना शायद बहुत मुश्किल काम है। चूँकि भारत ने चीन की यंगेस्ट 22 वर्ष बादशाहत को खत्म कर 18.5 वर्ष यंगेस्ट वर्ल्ड चेस चैंपियन बने हैं, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, शाबाश डोम्माराजू गुकेश 18 वर्ष की उम्र में 18वीं वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप जीत कर शतरंज की दुनिया में तूफान मचा दिया है।

साथियों बात अगर हम 18वीं विश्व शतरंज चैंपियनशिप प्रतियोगिता सिंगापुर में भारत के 18 वर्षीय डी गुकेश के इतिहास रचने की करें तो, उन्होंने अपने शानदार खेल से 18वें वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप को जीतकर इतिहास रच दिया है। डी गुकेश ने सिर्फ 18 साल की उम्र में यह कारनामा कर दिखाया है। ऐसा करने वाले गुकेश दुनिया के सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बने हैं। गुकेश ने खिताबी मुकाबले में चीन के डिंग लिरेन को हराकर यह उपलब्धि हासिल की है। डी गुकेश ने चैंपियनशिप मुकाबले के 14वें और आखिरी राउंड में चीन के चैंपियन डिंग लिरेन को कड़ी टक्कर दी, लेकिन अंतिम बाजी भारत के डी गुकेश ने जीतकर खिताब को अपने नाम कर लिया। गुकेश ने 14 बाजी के इस मुकाबले की आखिरी क्लासिकल बाजी जीतकर लिरेन के 6.5 के मुकाबले जरूरी 7.5 अंक के साथ खिताब जीता।

यह बाजी हालांकि अधिकांश समय ड्रॉ की ओर जाती दिख रही थी। गुकेश की खिताबी जीत से पहले रूस के दिग्गज गैरी कास्पारोव सबसे कम उम्र के विश्व शतरंज चैंपियन थे जिन्होंने 1985 में अनातोली कार्पोव को हराकर 22 साल की उम्र में खिताब जीता था। 12 साल के बाद किसी भारतीय ने इस खिताब को अपने नाम करने में कामयाबी हासिल की है। इससे पहले दिग्गज विश्वनाथन आनंद ने 2012 में चेस वर्ल्ड चैंपियनशिप का खिताब जीता था। गुकेश यह खिताब जीतने वाले दूसरे भारतीय हैं। बुधवार को वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप की 13वीं बाजी में 68 चाल के बाद गुकेश को गेम ड्रॉ खेलना पड़ा था। तब स्कोर 6.5-6.5 से बराबरी पर था। गुकेश ने तीसरा, 11वां और 14वां गेम जीता। वहीं लिरेन ने पहला और 12 वां गेम जीता बाकी सभी गेम ड्रॉ रहे।

उन्होंने लिरेन को 14वें गेम में से हराया। इसी के साथ स्कोर 7.5-6.5 हो गया और गुकेश चैंपियन बन गए। गुकेश की वर्ल्ड चैंपियनशिप मैच की यात्रा पिछले साल दिसंबर में शुरू हुई जब उन्होंने चेन्नई ग्रैंडमास्टर्स टूर्नामेंट जीतकर कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में जगह बनाई थी। कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में फाबियानो कारूआना और हिकारू नाकामुरा की अमेरिकी जोड़ी को प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन गुकेश ने सभी को पछाड़ते हुए कैंडिडेट्स टूर्नामेंट जीतकर शतरंज की दुनिया में तूफान मचा दिया था और इनमें आर प्रज्ञाना नंदा भी शामिल थे। तब गुकेश की उम्र मात्र 17 साल थी। वह कैंडिडेट्स चेस टूर्नामेंट जीतने वाले सबसे युवा प्लेयर थे।

शतरंज की दुनिया में नया इतिहास रचने वाले डी गुकेश चैंपियन बनते ही फूट-फूट कर रो पड़े, जो खिलाड़ी हमेशा शांत दिखता रहा है, वह विश्व चैंपियन बनने के बाद अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख सका। डी गुकेश ने कहा भी कि यह ऐसी उपलब्धि थी, जिसका सपना तो सभी देखते हैं, उन्होंने भी देखा था लेकिन वे इतनी जल्दी चैंपियन बन जाएंगे, इसकी उम्मीद नहीं की थी, शायद यही वजह है कि वे आंसू नहीं रोक पाए। भारत के डी गुकेश ने गुरुवार को फीडे वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप के फाइनल में गत चैंपियन डिंग लिरेन को हराया। दोनों खिलाड़ी एक दिन पहले तक 6.5-6.5 से बराबरी पर थे। गुरुवार को 14वीं बाजी खेली गई, जिसमें डिंग लिरेन ने सफेद मोहरों से शुरुआत की, गुकेश ने इस निर्णायक बाजी में दबाव पर नियंत्रण रखा और गत चैंपियन को हराकर ट्रॉफी अपने नाम कर ली है।

साथियों बात अगर हम भारत चीन के खिलाड़ियों के बीच टफ शतरंज चालों की करें तो, यह बाजी अधिकांश समय ड्रॉ की ओर जाती दिख रही थी। विश्लेषकों ने मैच के टाईब्रेकर में जाने की पूरी संभावना जता दी थी लेकिन गुकेश धीरे-धीरे अपनी स्थिति मजबूत कर रहे थे। यह लिरेन की एकाग्रता में क्षणिक चूक थी जिससे ड्रॉ की ओर बढ़ रही बाजी का नतीजा निकला और जब ऐसा हुआ तो पूरा शतरंज जगत हैरान हो गया। 55वीं चाल में गलती कर बैठे लिरेनइन, दोनों खिलाड़ियों के पास आखिरी समय में बस एक रूक (हाथी) और एक बिशप (ऊंट) बचा था, जिसे उन्होंने एक दूसरे को गंवाया, अंत में गुकेश के दो प्यादों के मुकाबले लिरेन के पास सिर्फ एक प्यादा बचा था और चीन के खिलाड़ी ने हार मानकर खिताब भारतीय खिलाड़ी की झोली में डाल दिया।

डिंग लिरेन ने 55वीं चाल में गलती की जब उन्होंने हाथी की अदला-बदली की और गुकेश ने तुरंत इसका फायदा उठाया और अगली तीन बाजी में मुकाबला खत्म हो गया। गुकेश ने गुरुवार को निर्णायक बाजी से पहले तीसरे और 11वें दौर में जीत हासिल की थी। 32 वर्षीय लिरेन ने शुरुआती बाजी के अलावा 12वीं बाजी अपने नाम की थी। अन्य सभी बाजियां ड्रॉ रही साथियों बात अगर हम डी गुकेश के जीवन व उन्हें मिले पुरस्कारों के बारे में जानने की करें तो, गुकेश डी का पूरा नाम डोम्माराजू गुकेश है। वह चेन्नई के रहने वाले हैं। गुकेश का जन्म चेन्नई में 7 मई 2006 को हुआ था।उन्होंने 7 साल की उम्र में ही शतरंज खेलना शुरू कर दिया था। उन्हें शुरू में भास्कर नागैया ने कोचिंग दी थी। नागैया इंटरनेशनल चेस खिलाड़ी रहे हैं और चेन्नई में चेस के होम ट्यूटर हैं। इसके बाद विश्वनाथन आनंद ने गुकेश को खेल की जानकारी देने के साथ कोचिंग दी।

गुकेश के पिता डॉक्टर हैं और मां पेशे से माइक्रो बायोलॉजिस्‍ट हैं। गुकेश को मिले 11.45 करोड़ रुपए। इंटरनेशनल चेस फेडरेशन के 138 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब एशिया के 2 खिलाड़ी वर्ल्ड चैंपियन के खिताब के लिए आमने-सामने थे। क्लासिकल गेम में एक जीत पर प्लेयर को 1.69 करोड़ रुपए मिले। यानी 3 गेम जीतने पर गुकेश को 5.07 करोड़ और 2 गेम जीतने पर लिरेन को 3.38 करोड़ रुपए सीधे ही मिल गए। बाकी प्राइज मनी दोनों प्लेयर्स में बराबर बांटी गई, यानी गुकेश को 11.45 करोड़ और लिरेन को 9.75 करोड़ रुपए का इनाम मिला।

साथियों बात अगर हम डी गुकेश को राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री द्वारा दी गई बधाई की करें तो, राष्ट्रपति ने कहा- विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीतने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बनने पर गुकेश को हार्दिक बधाई। उन्होंने भारत को बहुत गौरवान्वित किया है। उनकी जीत शतरंज की महाशक्ति के रूप में भारत की साख को दर्शाती है। गुकेश ने बहुत बढ़िया काम किया है। हर भारतीय की ओर से मैं कामना करती हूं कि आप भविष्य में भी इसी तरह सफल होते रहें। प्रधानमंत्री ने आज गुकेश डी को सबसे कम उम्र के विश्व शतरंज चैंपियन बनने पर बधाई दी। उन्होंने गुकेश की इस उपलब्धि को ऐतिहासिक और अनुकरणीय बताया।

एक्स पर अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ के हैंडल की एक पोस्ट का जवाब देते हुए, उन्होंने कहा : ऐतिहासिक और अनुकरणीय! गुकेश डी को उनकी उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए बधाई। यह उनकी अद्वितीय प्रतिभा, कड़ी मेहनत और अटूट दृढ संकल्प का परिणाम है। उनकी जीत ने न केवल शतरंज के इतिहास में उनका नाम दर्ज कराया है, बल्कि लाखों युवा प्रतिभाओं को बड़े सपने देखने और उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रेरित भी किया है। उनके भविष्य के प्रयासों के लिए मेरी शुभकामनाएं।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि शाबाश डोम्माराजू गुकेश- 18 वर्ष की उम्र में 18वीं वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप, सिंगापुर को जीतकर शतरंज की दुनिया में तूफान मचा दिया! भारत के डी गुकेश ने चीन की यंगेस्ट 22 वर्षीय बादशाहत को ख़त्म कर, 18.5 वर्षीय यंगेस्ट वर्ल्ड चेस चैंपियन बने। भारत का लोहा पूरी दुनिया ने माना- दुनिया के यंगेस्ट वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप उम्र 18.5 वर्ष का भारतीय रिकॉर्ड तोड़ने में अब 100 वर्ष लग सकते हैं।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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