वर्ल्ड हेरिटेज घोषित किए जाने पर शांतिनिकेतन में खुशी की लहर

  • लोगों ने कहा गुरुदेव की संस्कृति संरक्षित करने की जिम्मेदारी बढ़ गई

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित शांतिनिकेतन और विश्व भारती विश्वविद्यालय को यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया है। इसे लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो खुशी जाहिर की है। इसके साथ ही शांतिनिकेतन के लोगों में भी खुशी की लहर है। विश्व धरोहर सूची में शांतिनिकेतन को शामिल किए जाने की घोषणा होते ही पूरे क्षेत्र के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई। गुरुदेव द्वारा स्थापित विश्व भारती विश्वविद्यालय यहीं पर अवस्थित है।

इसके कुलपति विद्युत चक्रवर्ती ने कहा कि गुरुदेव की धरोहर को विश्व स्तर पर मिली यह पहचान अद्वितीय है। उन्होंने कहा कि विश्व भारती की ओर से शांतिनिकेतन की खूबियों के संबंध में वीडियो भेजा गया था। इसमें बताया गया था कि कैसे गुरुदेव द्वारा स्थापित क्षेत्र और विश्व भारती संस्थान पूरी दुनिया को शांति सुरक्षा और विकास का रास्ता दिखा सकता है। इसके बाद यूनेस्को समिति की बैठक में इसे सहमति मिली।

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विश्वविद्यालय की ओर से बताया गया है कि भारत सरकार के आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया (एएसआई) की ओर से शांतिनिकेतन पर 19 पन्ने का डिजिटल ब्राउसर तैयार कर यूनेस्को भेजा गया था। भारत सरकार ने लगातार इस संबंध में संपर्क बनाए रखा था जिसकी वजह से यह सफलता हासिल हुई है। वर्ल्ड हेरीटेज कमिटी के तीन सदस्यों ने शांतिनिकेतन का दौरा किया था और विश्वविद्यालय में घूम फिर कर देखा था।

इसके अलावा गुरुदेव के परिवार के सदस्यों में तो और अधिक खुशी की लहर है। ठाकुर परिवार के सदस्य सुप्रिया ठाकुर ने कहा कि यह एक अद्भुत उपलब्धि है। अब हमारी और यहां के लोगों कीजिम्मेवारी और बढ़ गई है। इस ऐतिहासिकता की रक्षा करने के लिए हमें और प्रयासरत होना होगा।शांतिनिकेतन के आश्रम में कुमार घोष रहते हैं। यहां गरीबों, दीन दुखियों और जरूरतमंदों की सेवा सुश्रुसा होती है।

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उन्होंने कहा, “हमें गौरव हो रहा है कि गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर के सपने के संस्थान और जगह को विश्व धरोहर में स्थान मिला है। वैश्विक स्तर पर इसकी स्वीकृति निश्चित तौर पर हमारी जिम्मेवारियों को और बढ़ता है। इसके मौलिक स्वरूप को संजो कर रखना अब हम सब की जिम्मेवारी बन गई है। बोलपुर के रहने वाले मशहूर कारोबारिक गौरांग राय भी इस उपलब्धि पर खुश हैं।

उन्होंने कहा, “यह न केवल गौरवान्वित करने वाला पल है बल्कि अद्भुत आनंद का एहसास हो रहा है। विश्व भारती विश्वविद्यालय आज दुनिया का एकमात्र लिविंग विश्वविद्यालय है जिसमें भारतीय सभ्यता संस्कृति के आधार पर विश्व को रास्ता दिखाने का जरिया है। बोलपुर शांतिनिकेतन के रहने वाले लोग इससे बेहद खुश हैं।

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