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वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फतेह

पूरे विश्व में बाबा गुरु नानक देव के अवतरण दिवस 27 नवंबर 2023 के इंतजार में श्रद्धा भाव से आंखें बिछाए भक्तगण
प्रातः काल अमृत वेले की मधुर बेला पर दैनिक प्रभात फेरी में धन गुरु नानक सारा जग तारिया की गूंज – एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर भारत अनेक धर्मों की आध्यात्मिक आस्था का प्रतीक रहा है, जो आदि अनादि काल से हर धर्म जाति के रीति रिवाजों से भाव विभोर होकर हर धर्म के गुरुओं महात्माओं महापुरुषों के उत्सव मनाते हैं। जिसमें हर धर्म के लोग भी शामिल होते हैं, जो अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि भी है। इसलिए ही भारत को धर्मनिरपेक्ष, अनेकता में एकता वाला स्वर्ण भारत कहा जाता है। ऐसे ही पावन पलों में से एक बाबा गुरु नानक देव जयंती 27 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी परंतु दीपावली के बाद शुरू हुए कार्तिक मास में प्रतिदिन प्रात: काल अमृतवेले की मधुर बेला पर सिख समाज व सिंधी समाज की ओर से दैनिक प्रभात फेरी का आयोजन किया जा रहा है।

जिसमें धन गुरु नानक सारा जग उतारिए और वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फतेह के नारों से हर राज्य हर शहर और अनेक देशों में वहां की धरती गूंज उठी है और हो भी क्यों ना, क्योंकि 27 नवंबर 2023 को गुरु नानक देव जी का 554 वा अवतरण दिवस मनाया जाएगा, जिसकी खुशी से पूरा कार्तिक मास अनेक उत्सव के साथ मनाया जा रहा है इसी कड़ी में हमारे छोटे से गोंदिया शहर में भी रोज प्रातः कालीन अमृत वेले सिख समाज व सिंधी समाज द्वारा प्रभात फेरी निकालकर अलग-अलग क्षेत्र में के अंतर्गत भ्रमण कर प्यासी रूहों को तृप्त करने की कोशिश कर रहे हैं। चूंकि रोज प्रभात फेरी में भक्तगण आनंदित हो रहे हैं, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से और मेरी ग्राउंड रिपोर्टिंग के आधार पर हम चर्चा करेंगे, पूरे विश्व में बाबा गुरु नानक देव के 554 वें अवतरण दिवस 27 नवंबर 2023 के इंतजार में आंखें बिछाए भक्तगण। प्रातः काल अमृत वेले की मधुर बेला पर दैनिक प्रभात फेरी में धन गुरु नानक सारा जग उतारिए की गूंज।

साथियों बात अगर हम गुरु नानक देव जयंती के उपलक्ष में कार्तिक माह से लेकर प्रभात फेरी पर्व मनाने की करें तो, इस दिन प्रात: काल स्नान करके प्रभात फेरी की शुरुआत की जाती है। इसके साथ ही सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारे में भजन और कीर्तन करते हैं। इसके साथ ही गुरु नानक जी को विशेष रूप से रुमाल भी सजाया जाता है। पूरे गुरुद्वारों को दीपों से सजाया जाता है। प्रार्थना सभा के बाद लंगर का आयोजन करने के साथ सेवा दान किया जाता है। इसके साथ ही गुरबाणी का पाठ किया जाता है। गुरु नानक देव के पावन प्रकाशोत्सव पर सिख समाज के लोगों ने दिवाली के चंद्र से लेकर प्रभात फेरी निकाली जाती है। प्रभातफेरी में सिख समुदाय तथा सिन्धी समुदाय के महिला पुरुष एवं बच्चों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहें है। प्रभातफेरी गुरुद्वारों से निकलकर नगर में भ्रमण करते हुए वापस गुरुद्वारा पहुंच रही है।

प्रभात फेरी में शामिल महिलाएं, बच्चे व बुजुर्ग ढोलक बजाते धन गुरु नानक, धन गुरु नानक की गूंज से माहौल भक्तिमय हो गया। संगत ने दुख भंजन तेरा नाम जी ठाकुर गाइए आतम रंग, मारेया सिक्का जगत विच नानक निर्मल पंथ चलाया, सब ते वड्डा सतगुर नानक जिन कल राखी मेरी आदि शबदों का गायन किया। इधर प्रकाश उत्सव के उपलक्ष्य में हर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से हर कस्बे में प्रभातफेरी निकालजा रही है। रोजाना सुबह 5 बजे पूरे कस्बे में प्रभात फेरी 27 नवंबर तक निकाली जाएगी। प्रभातफेरी में गुरु नानक देवजी की महिमा का गुणगान किया जाता है। प्रभातफेरी गुरुद्वारा परिसर से शुरू होकर कस्बे के गली-मोहल्ले से होते हुए वापस गुरुद्वारा पहुंचकर समाप्त होती है।

सिख समुदाय के लोगों का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस के अवसर पर मनाया जाता है। कहा जाता है कि कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष कि पूर्णिमा तिथि पर गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। इस साल कार्तिक पूर्णिमा 27 नवंबर को है, इसलिए 27 नवंबर को ही सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी जयंती मनाई जाएगी। गुरु नानक देव की जयंती को गुरु पर्व और प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सिख लोग गुरुद्वारे जाकर गुरुग्रंथ साहिब का पाठ करते हैं। गुरु पर्व पर सभी गुरुद्वारों में भजन, कीर्तन होता है और प्रभात फेरियां भी निकाली जाती हैं।

साथियों बात अगर हम प्रभात फेरी के इतिहास और महत्व की करें तो प्रभात फेरी का इतिहास काफी पुराना है। लेकिन खासतौर से सिख धर्म में प्रभात फेरी को अधिक अहमियत मिली है। आज भी न सिर्फ सिख बल्कि दूसरे समुदायों के लोग भी गुरुपूरब से पहले ही प्रभात फेरियां शुरू करते हैं, ताकि गली-गली घूमकर सिख गुरुओं की सीख को लोगों तक पहुंचाया जाए। तड़के-तड़के गुरुद्वारों से निशान साहिब लेकर जत्थे गलियों में निकलते हैं। जहां-जहां से प्रभात फेरी निकलती है वहां-वहां अब लोग चाय के साथ-साथ खाने-पीने के स्टॉल भी लगाते हैं। स्पेशल बैंड परफॉर्मेंस होती है। गतका अखाड़े परफॉर्म करते हैं। अब इन प्रभात फेरियों में हजारों लोग जुड़ने लगे कुछ लोगों का मानना है कि प्रभात फेरी का मकसद उन आलसी लोगों को सुबह समय से जगाना भी है जो अपने स्वार्थ के लिए भगवान को भूल चुके हैं। सुबह का समय भगवान को याद करने का होता है, ताकि आने वाला जीवन अच्छा बीते लेकिन कुछ लोग अपने आलस्य के चक्कर में आराधना से दूर होते जा रहे हैं।

साथियों बात अगर हम बाबा गुरुनानक देव की जीवनी की करें तो, गुरुनानक देव जी सिखों के प्रथम गुरु थें। इनके जन्म ‌दिवस को गुरुनानक जयंती के रूप में मनाया जाता है। नानक जी का जन्म 1469 में कार्तिक पूर्णिमा को पंजाब (पाकिस्तान) क्षेत्र में रावी नदी के किनारे स्थित तलवंडी नाम गांव में हुआ। नानक जी का जन्म एक हिंदू परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम कल्याण या मेहता कालू जी था और माता का नाम तृप्ती देवी था। 16 वर्ष की उम्र में इनका विवाह गुरदासपुर जिले के लाखौकी नाम स्‍थान की रहने वाली कन्‍या सुलक्‍खनी से हुआ। इनके दो पुत्र श्रीचंद और लख्मी चंद थें। दोनों पुत्रों के जन्म के बाद गुरुनानक देवी जी अपने चार साथी मरदाना, लहना, बाला और रामदास के साथ तीर्थयात्रा पर निकल पड़े। ये चारों ओर घूमकर उपदेश देने लगे। 1521 तक इन्होंने तीन यात्राचक्र पूरे किए, जिनमें भारत, अफगानिस्तान, फारस और अरब के मुख्य मुख्य स्थानों का भ्रमण किया।

इन यात्राओं को पंजाबी में उदासियाँ कहा जाता है। गुरुनानक देव जी मूर्तिपूजा को निरर्थक माना और हमेशा ही रूढ़ियों और कुसंस्कारों के विरोध में रहें। नानक जी के अनुसार ईश्वर कहीं बाहर नहीं, बल्कि हमारे अंदर ही है। तत्कालीन इब्राहीम लोदी ने इनको कैद तक कर लिया था। आखिर में पानीपत की लड़ाई हुआ, जिसमें इब्राहीम हार गया और राज्य बाबर के हाथों में आ गया। तब इनको कैद से मुक्ति मिली।गुरुनानक जी के विचारों से समाज में परिवर्तन हुआ। नानक जी ने करतारपुर (पाकिस्तान) नामक स्‍थान पर एक नगर को बसाया और एक धर्मशाला भी बनवाई। नानक जी की देह त्याग 22 सितंबर 1539 ईस्वी को हुआ। इन्‍होंने अपनी मृत्यु से पहले अपने शिष्य भाई लहना को अपना उत्तराधिकारी बनाया, जो बाद में गुरु अंगद देव नाम से जाने गए।

साथियों बात अगर हम बाबा गुरु नानक देव के उपदेशों की करें तो, किरत करो नाम जपो और बांट कर खाओ, अर्थात अपना जीवनयापन करने के लिए हमें कार्य करना चाहिए, उस परमात्मा की बंदगी भजन और कीर्तन करना चाहिए और हमेशा खाना बांट कर खाना चाहिए। सो क्यों मंदा आखिए जित जमी राजन,अर्थात यह शब्द गुरु जी ने समाज में महिलाओं की स्तर को ऊंचा उठाने के लिए कहे थे कि उस औरत को हम बुरा कैसे कह सकते हैं जो एक राजा को भी जन्म देती है। गुरु जी ने और उपदेश दिया था कि इस संसार में जो कुछ भी हो रहा है वह उस परमात्मा के हुक्म के अनुसार हो रहा है। सब कुछ उस परमात्मा के हुक्म के अधीन ही है उस हुक्म के बाहर कुछ भी नहीं हो रहा और इंसान के जीवन में सुख और दुख जो कुछ भी घटता है वह उसके द्वारा किए गए कर्मों के अनुसार ही होती हैं।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फतेह। पूरे विश्व में बाबा गुरु नानक देव के अवतरण दिवस 27 नवंबर 2023 के इंतजार में श्रद्धा भाव से आंखें बिछाए भक्तगण।प्रातः काल अमृत वेले की मधुर बेला पर दैनिक प्रभात फेरी में धन गुरु नानक सारा जग तारिया की गूंज।

Kishan
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

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