कोलकाता। विश्वभारती ने अपने परिसर में बुधवार से चार दिवसीय ‘पौष उत्सव’ के आयोजन की घोषणा की है, लेकिन विश्वविद्यालय ने वर्षों से लगने वाले ‘पौष मेला’ पर चुप्पी साधी हुई है। वार्षिक विरासत मेला ‘पौष मेला’ में पश्चिम बंगाल में स्थित शांति निकेतन में बनी कलाकृतियों आदि का प्रदर्शन होता है। मेले में भाग लेने और दर्शक के रूप में देश-विदेश से लाखों लोग आते हैं। केन्द्रीय विश्वविद्यालय ने मंगलवार को एक नोटिस जारी करके कहा कि चार दिवसीय ‘पौष उत्सव’ के लिए बैतालिक (संगीतमय जुलूस), प्रार्थनाएं, स्थापना दिवस समारोह और क्रिसवोत्सव (क्रिसमस) मुख्य कार्यक्रम होंगे।
अभी तक परंपरागत रूप से ‘पौष उत्सव’ का आयोजन ‘पौष मेला’ के साथ किया जाता था, लेकिन इस साल मेले के संबंध में कोई घोषणा नहीं हुई है। अधिसूचना पर नाराजगी जाहिर करते हुए विश्वभारती विश्वविद्यालय संकाय एसोसिएशन का कहना है कि वह ‘‘प्रशासन के हालिया लुका-छुपी की वह कटु आलोचना करता है। अभी तक, विश्वविद्यालय ने आधिकारिक रूप से हमें नहीं बताया है कि वह ‘पौष मेला’ का आयोजन नहीं कर रही है। विश्वभारती ने भोलपुर नगर निगम और शांतिनिकेतन ट्रस्ट से ‘पौष मेला’ आयोजित करने में दिखाई गई दिलचस्पी पर जवाब देने तक की न्यूनतम सभ्यता भी नहीं दिखाई।’’
विश्वभारतीय के एक अधिकारी ने बताया कि विश्वविद्यालय ने कोविड-19 महामारी और ओमीक्रोन के बढ़ते मामलों के मद्देनजर लगातार दूसरे साल मेला आयोजन नहीं करने का फैसला लिया है। इस पर संकाय एसोसिएशन के एक सदस्य ने कहा, ‘‘सबसे बड़ी बात, अगर कुछ एहतियात बरते जाएं, तो सरकार की ओर से मेले के आयोजन पर कोई रोक नहीं है।
सच तो यह है कि सरकार की अनुमति और सहयोग से गंगासागर मेला और पुस्तक मेलों का आयोजन किया जा रहा है।’’ दूसरी बात, अगर कोविड-19 या ओमीक्रोन का कोई खतरा है भी, जैसा कि विश्वभारती के अधिकारियों ने दावा किया है, तो ऐसे में विश्वविद्यालय ही ‘पौष उत्सव’ में सैकड़ों की संख्या में लोगों को क्यों बुला रहा है, क्या उसमें खतरा नहीं है।’’