जहां नारियों की पूजा होती है वहां देवता निवास करतें हैं- डॉ. शेख
उज्जैन। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना इकाई छत्तीसगढ़ द्वारा आयोजित राष्ट्रीय आभासी संगोष्ठी 7वां अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस समारोह उदयपुर की आयोजन बैठक एवं काव्य गोष्ठी का विषय मातृशक्ति राष्ट्र शक्ति रखा गया था। मुख्य अतिथि के रूप में आभासी संगोष्ठी में डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे, महाराष्ट्र ने कहा कि भारतीय संस्कृति में माता व नारी को उच्च स्थान दिया गया है। प्राचीन काल से कहा गया है कि, “जहां नारियों की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं” आज नारी को सफल, शक्तिशाली और सहनशीलता बताया गया है। परिस्थितियों से प्रताड़ित आज की नारी कुछ हद तक भयभीत भी है। सावित्रीबाई फुले ने स्त्री को शिक्षित करके पुरूषों के बराबर खड़ा किया। आज शिक्षित नारी के पास नौकरी है, उसकी आर्थिक स्थिति उन्नत भी है। साथ ही उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति महिलाओं को शक्तिशाली बनाएगी।
विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. प्रभु चौधरी, महासचिव, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा कि नारी अपने आप में शक्तिशाली है और इस नारी शक्ति को सम्मानित करना हमारा परम कर्तव्य है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन आगामी 8 मार्च 2024 को राजस्थान की नगरी उदयपुर में किया जाएगा। विशिष्ट वक्ता के रूप में उपस्थित रजनी प्रभा ने कहा कि, मध्य काल में स्त्रियों की स्थिति बदल गई थी। चौखट से बाहर उनके लिए कोई दुनिया नहीं थी। पर आज की नारी हर दृष्टिकोण से संपन्न है, सक्षम हैं। मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित डॉ. शिवा लौहारिया, राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि, स्त्रियों का अपना क्षेत्र है। सभी नारियां अपने-अपने क्षेत्र में आगे हैं। डॉ. प्रभा त्रिपाठी लखनऊ ने कहा कि, भारतीय संविधान में महिलाओं को समान अधिकार प्राप्त है। इसलिए शिक्षित महिला से राष्ट्र विकसित होगा। विशिष्ट वक्ता के रूप में राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. रश्मि चौबे ने कहा कि, मैं भारत की नारी हूं कभी दुर्गा, कभी कल्पना चावला, बन जाती हूं काव्य पाठ किया। साथ ही उन्होंने कहा कि महिला सशक्त है वह अबला नहीं है। डॉ. प्रभु शर्मा, रामकृष्ण महाविद्यालय के प्राचार्य ने अपना काव्य पाठ किया।
” नारी ने नर को जन्म दिया
नर से उसे नरोत्तम किया
राधा बन गई श्याम के संग
सीता बनी बन बन भटकी”
शोधार्थी कविता ने भी अपना काव्य पाठ किया – “मैं गगन को देखने दूर जाना चाहती हूं”। अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. अनसूया अग्रवाल, डी.लिट् , प्राचार्य, महाप्रभु वल्लभाचार्य महाविद्यालय महासमुंद, रायपुर, छत्तीसगढ़ ने कहा कि निश्चित रूप से नारी सशक्त हो गई है तकनीकी के क्षेत्र में भी काफी आगे बढ़ चुकी है। किरण बेदी, बछेंद्री पाल, कल्पना चावला जैसे सभी नारियां किचन से लेकर संसार तक संभाल रही हैं। राष्ट्रपति पद पर महिला ही आसीन है। बौद्धिक व निर्णय क्षमता नारी को आगे तक ले जा सकती हैं।
कार्यक्रम का प्रारंभ डॉ. संगीता पाल, कच्छ, गुजरात की सरस्वती वंदना से हुआ। स्वागत उद्बोधन नम्रता ध्रुव, सहायक प्राध्यापक, रायपुर, छत्तीसगढ़ के द्वारा किया गया। प्रस्तावना डॉ. शहनाज शेख के द्वारा की गई। कार्यक्रम का सफल एवं सुंदर संचालन करते हुए डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक, सह प्राध्यापक ग्रेसियस कॉलेज ऑफ एजुकेशन रायपुर, छत्तीसगढ़ एवं राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता ने नारी शक्तियों का बखान किया। आभार समारोह की आयोजक डॉ. रेनू सिरोया कुमुदिनी राष्ट्रीय महासचिव महिला इकाई उदयपुर ने व्यक्त किया।
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