गंगा अवतरण दिवस के उपलक्ष्य में आभासी संगोष्ठी संपन्न

उज्जैन। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में मां गायत्री, गंगा अवतरण दिवस के उपलक्ष्य में विषय- भारतीय संस्कृति और परंपरा में जल संरक्षण एवं राष्ट्रीय संरक्षक डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा के वैवाहिक वर्षगांठ पर शुभकामनाएं देने हेतु अंतर्राष्ट्रीय आभासी संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय संरक्षक हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन, डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने अपने मंतव्य में कहा, मां गायत्री एवं मंत्र का महत्व हमें तीनों लोकों से जोड़ता है। भूलोक और देवलोक और पाताल लोक, उसकी महिमा अनुपम है। आपने जल की महिमा एवं संरक्षण की बात कही। मुख्य अतिथि सुरेश चंद्र शुक्ल ‘शरद आलोक ‘ओसलो नार्वे ने कविता के माध्यम से डॉ. शर्मा को बधाई दी और कहा कि हमें जल का संरक्षण करना चाहिए।

अध्यक्षता हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य एवं महामंत्री, नागरी लिपि परिषद्, दिल्ली, डॉ. हरि सिंह पाल ने अध्यक्षीय भाषण में कहा, हमें प्राणदायिनी नदियों को प्रदूषित होने से बचाना है और इसके लिए नई पीढ़ी को प्रेरित करना हमारा कर्तव्य है। विशिष्ट अतिथि बृजकिशोर शर्मा, पूर्व शिक्षा अधिकारी एवं अध्यक्ष, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा, समाज और राष्ट्र के सुख के लिए कार्य करने का उदाहरण है गंगा दशहरा। विशेष वक्ता डॉ. प्रभु चौधरी, महासचिव, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा कि समाज का दायित्व है कि देश को राष्ट्रहित में जल को संरक्षित करे। हमारे जीवन में जन्म से मृत्यु तक गंगाजल का विशेष महत्व बतलाया तथा गायत्री परिवार की जानकारी प्रदान की। विशेष अतिथि पदमचंद गांधी जयपुर ने कहा कि पिता सौ शिक्षकों से भी बड़ा होता है। बच्चों को जन्म से मार्गदर्शन प्रदान करता है।

विशिष्ट वक्ता डॉ. जया सिंह, रायपुर, ने कहा कि पिता अपरिभाषित है, पिता के ऋण से हम नहीं उबर सकते। विशेष अतिथि डॉ. दक्षा जोशी, अहमदाबाद, उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने बधाई कवितामय में कहा की गागर से लेकर सागर तक, प्यार से लेकर विश्वास तक, जीवन भर आपकी जोड़ी बनी रहे। विशिष्ट वक्ता डॉ. अनसूया अग्रवाल, छत्तीसगढ़, मुख्य संयोजक, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा सनातन धर्म में इस दिवस पर हरिद्वार वाराणसी गढ़मुक्तेश्वर प्रयागराज आदि में स्नान का विशेष महत्व है। विशेष अतिथि डॉ. अरुणा शुक्ला, उपप्राचार्य नांदेड़ ने कहा हमें प्लास्टिक की बोतल का पानी नहीं पीना चाहिए बल्कि मटके का उपयोग करना चाहिए। राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. बालासाहेब तोरस्कर ने कहा, हमारे जीवन में पिता भगवान से भी बढ़कर होते हैं।

संचालक डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद, कार्यकारी अध्यक्ष, महिला इकाई राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया। कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रीय प्रवक्ता, सुंदरलाल जोशी, उज्जैन की स्वरचित सरस्वती वंदना से हुआ, उन्होंने गाया- कोई कहता ब्रह्मा की पुत्री कोई, कहता ब्राह्मणी। स्वागत भाषण एवं प्रस्तावना डॉ. प्रभु चौधरी, महासचिव, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने एवं आभार व्यक्त करते हुए डॉ. शहनाज शेख महाराष्ट्र, राष्ट्रीय सचिव राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा, मेरा बाप कम नहीं, मेरी मां से।

कार्यक्रम में डॉ. राजश्री शर्मा, उज्जैन, रमा शर्मा, जापान डॉ. अरुणा शराफ, डॉ. धर्मेंद्र वर्मा, रितु शर्मा, दिव्या श्री प्रभा, सरोज दवे भोपाल, रजनी प्रभा पटना, सन्ध्या सिंह पुणे, डॉ. प्रभा दीपक शर्मा, लखनऊ आदि ने भी डॉ. शर्मा दम्पति को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं प्रदान की। संगोष्ठी में अनेक विद्वान उपस्थित रहे।

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