मुंबई (अनिल बेदाग) : वेनस अल्सर, जिसे वैरिकोज अल्सर भी कहा जाता है, एक प्रकार का घाव है जो पैरों पर उत्पन्न होता है। यह तब होता है जब नसों में खून का प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता है, जिससे पैरों में दबाव बढ़ जाता है और घाव बन जाते हैं। टखनों के पास त्वचा में सूजन और जलन होने लगती है, त्वचा का रंग बदलता है, पैरों में भारीपन और दर्द महसूस होता है, घाव धीरे-धीरे ठीक होता है।
मुंबई के जेजे अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर शिवराज इंगोले का कहना है कि इस बीमारी का उपचार कंप्रेशन थेरेपी से किया जाता है जिसके लिए कंप्रेशन बैंडेज और स्टॉकिंग्स का उपयोग करें। इससे सूजन कम होती है और खून का प्रवाह सुधरता है।
घाव की देखभाल जरूरी है। घाव को साफ रखें और नियमित रूप से ड्रेसिंग बदलें।संक्रमण को रोकने के लिए एंटीसेप्टिक क्रीम का उपयोग करें। सूजन और दर्द कम करने के लिए डॉक्टर द्वारा दी गई दवाइयां लें। अगर संक्रमण हो, तो एंटीबायोटिक्स का सेवन करें।
इस बीमारी के उपचार में इंटरवेंशनल प्रक्रियाएं अपनाई जाती है। पहला है स्क्लेरोथेरेपी: नसों में एक विशेष द्रव डालकर उन्हें बंद करना। दूसरा है एंडोवेनस एब्लेशन: लेजर या रेडियोफ्रीक्वेंसी का उपयोग करके नसों को बंद करना। फोम स्क्लेरोथेरेपी: बड़े नसों के लिए फोम के रूप में द्रव डालना।
सर्जिकल प्रबंधन में नसों को हटाने के लिए शल्य चिकित्सा (वेइन स्ट्रिपिंग और लिगेशन)। त्वचा की ग्राफ्टिंग: बड़े या न ठीक होने वाले घावों के लिए त्वचा का प्रत्यारोपण। यह ध्यान देना भी जरूरी है कि पैर ऊंचा रखें और नियमित व्यायाम करें। स्वस्थ आहार लें और त्वचा की उचित देखभाल करें। लंबी अवधि तक खड़े या बैठे न रहें।
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