वाराणसी । यहां आपको वास्तु शास्त्र की कुछ प्रमुख बातें बताई जा रही है। जिससे की आपको नई मकान बनाते वक्त सुविधा हो सके और आप अपने नए मकान को सनातनी वास्तु शास्त्र के मुताबिक बना सके।
* घर का द्वार किसी अन्य द्वार के ठीक सामने न बनाएँ।
* ईशान कोण किसी भी भवन का मुख कहलाता है, अतः इसे सदैव पवित्र रखें।
* रसोई घर मुख्य द्वारा के ठीक सामने न बनाएँ।
* पूजा घर शौचालय व रसोई घर पास-पास न बनाएँ।
* विद्युत उपकरण आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में रखें।
* घर के आँगन में तुलसी का पौधा लगाएँ और आँगन का कुछ भाग मिटटी वाला भी रखें।
* घर में टूटे-फूटे बर्तन, टूटा दर्पण, टूटी चारपाई न रखें।
* रात्रि में बर्तन जूठे न रखें।
* दर्पण, बाशबेसिन व नल ईशान कोण में रखें।
* सैप्टिक टैंक वायव्य कोण में बनाएँ
* बच्चों के अध्ययन की दिशा उत्तर और पूर्व होती है, अतः अध्ययन के समय उत्तर या पूर्व की तरफ मुख रखें।
* कभी भी बीम के नीचे न बैंठे या पलंग न लगाएँ।
* जल निकास उत्तर पूर्व में रखें।
* बन्द घड़ियां घर में न रखें ये गृह स्वामी का भाग्य मन्दा करती हैं।
* पूजाघर व शौचालय सीढ़ी के नीचे न बनाएँ।
* शयन करते समय सिर दक्षिण या पूर्व में रखें।
* अन्नागार, गौशाला, रसोईघर, गुरुस्थल व पूजाघर के ऊपर शयन कक्ष न बनाएँ।
* पूजाघर में देव प्रतिमा एक बित्ते (दस अंगुल) से बड़ी न रखें।
* भोजन करते समय मुख उत्तर या पूर्व की तरफ रखें।
* शयन कक्ष में युगल पक्षियों का जोड़ा प्रेम मुद्रा में रखें।
* जिस मकान में सूर्य की किरणें नहीं पड़तीं व वायु का प्रवेश नहीं होता वह अशुभ होता है।
* जो घर पूर्व व उत्तर में नीचा एवं दक्षिण व पश्चिम में उठान वाला होता है वह उन्नति का कारक होता है।
* घर के पूर्व में गड्डा हो, दक्षिण में मन्दिर हो, पश्चिम में जल हो और उत्तर में गहरी खाई हो तो शत्रुओं से भय रहता है।
* घर में कुत्ता या मुर्गा नहीं रखना चाहिए, देवतागण वहां का अन्न ग्रहण नहीं करते।
* सीढ़ियाँ दक्षिण या पश्चिम में बनाएँ।
* नए भवन का निर्माण करते समय सभी सामग्रियां नई ही उपयोग में लानी चाहिए।
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ज्योर्तिविद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848