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* ईशान दिशा में पति पत्नि शयन करे तो रोग होना अवश्यंभावी है।
* सदा पूर्व या दक्षिण की तरफ सिर करके सोना चाहिए।
* उत्तर या पश्चिम की तरफ़ सिर करके सोने से शरीर में रोग होते हैं तथा आयु क्षीण होती है।
* दिन में उत्तर की ओर तथा रात्रि में दक्षिण की ओर मुख करके मल मूत्र का त्याग करना चाहिए।
* दिन में पूर्व की ओर तथा रात्रि में पश्चिम की ओर मुख करके मल मूत्र का त्याग करने से आधा शीशी रोग होता है।
* दिन के दूसरे और तीसरे प्रहर यदि किसी वृक्ष, मंदिर आदि की छाया मकान पर पड़े तो वह रोग उत्पन्न करती है।
* एक किसी मार्ग या गली का अंतिम मकान कष्टदायक होता है।
* घर की सीढ़ियां (पग) खंभे, खिड़किया, दरवाजे आदि की, इंद्र काल राजा, इस क्रम से गणना करे यदि अंत में काल आए तो अशुभ समझना चाहिए।
* दीपक का मुख पूर्व अथवा उत्तर की ओर रहना चाहिए।
* दंत धावन, भोजन और छौरकर्म सदा पूर्व अथवा उत्तर की ओर मुख करके ही करने चाहिए।
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ज्योर्तिविद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848