अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट 2023- भारत ने सिरे से खारिज किया

भारत ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा जारी धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट 2023 को, पक्षपाती व भारत के सामाजिक ताने-बाने की समझ का अभाव बताया अंतरराष्ट्रीय सूचकांकों व रिपोर्टों में भारत को रैंकिंग में पिछड़ा व खास नॉरेटिव से गड़ने को रेखांकित कर उपाय ढूंढना जरूरी- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर पिछले कुछ वर्षों से दुनियां देख रही है कि भारत के बढ़ते विकास प्रौद्योगिकी, शिक्षा, स्वास्थ्य, अंतरिक्ष सहित सभी क्षेत्रों में इतिहास रचने की गाथा के नए-नए अध्याय जोड़ गए हैं, जिसमें भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा में चार चांद लगे हैं। विकसित देश भारत को बॉस व ऑटोग्राफ लेने की नजरों से देखते हैं, उसके बाद भी दशकों से हम देख रहे हैं कि विभिन्न क्षेत्रों में आए वैश्विक सूचकांकों व रिपोर्टों में भारत को अति पिछड़ा बताया जाता है। कई सूचकांकों व रिपोर्ट्स में यहां तक के हमारे पड़ोसी मुल्कों से भी हमारा सूचकांक बहुत नीचे होता है, जो सरासर दिखता है कि कहीं ना कहीं कोई गलती जरूर हुई है, उसके बाद भारत उन सूचकांकों व रिपोर्ट्स को खारिज करता है। जिस पर वे एजेंसियां अपने डाटा दिखाती है, जिसके आधार पर उन्होंने रिपोर्ट्स बनाई है। यह बात आज हम इसीलिए कर रहे हैं क्योंकि दिनांक 26 जून 2024 को अमेरिकी विदेशी विभाग द्वारा प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट 2023 जारी की गई है, जो 1 जनवरी से 31 दिसंबर 2023 अवधि में लिए गए डाटा कलेक्शन के आधार पर तैयार की गई है, जिसमें खास नॉरेटिव गढ़ते हुए चुनिंदा घटनाओं को बताया गया है व अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत बढ़ाने की बात कही गई है।

इस रिपोर्ट को दिनांक 28 जून 2024 को साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विदेश विभाग के प्रवक्ता ने सीधे तौर पर खारिज कर दिया है। बता दें इस रिपोर्ट में अमेरिका ने धार्मिक स्वतंत्रता पर उंगली उठाते हुए भारत को फटकार लगाई है। मीडिया में आई इस रिपोर्ट के अनेक हिस्सों को मैंने पढ़कर यह पाया कि इसमें मणिपुर हिंसा, धारा 370, मोब लिंचिंग, बुलडोजर, गैर सरकारी संगठनों द्वारा ईसाईयों के खिलाफ हिंसा सहित अनेक मामलों को शामिल किया गया है। हालांकि यह रिपोर्ट उपलब्ध डाटा के आधार पर बनाई गई होगी परंतु मेरा मानना है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष व अनेक जाति धर्म के मिले-जुले तानों बानो से बना देश है जिसकी यह सबसे बड़ी उपलब्धि है कि सब एक साथ रह रहे हैं। वैसे तो बर्तन भी खनखनाते रहते हैं तो आवाज जरूर आती है, इसका मतलब यह नहीं है कि वह साथ रहने के बाद भी बर्तन खूब टकराते हैं, व एक टोकरी में रहना पसंद नहीं करते, अगर कुछ दंगों के उदाहरण हैं तो कुछ अच्छी बातों के भी उदाहरण है। चूंकि अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा दी गई रिपोर्ट 2023 को भारत ने सिरे से खारिज कर दिया है व भारत ने अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट 2023 को पक्षपाती व भारत के सामाजिक ताने-बाने की समझ का अभाव बताया है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, अंतरराष्ट्रीय सूचकांकों और रिपोर्टों में भारत को रैंकिंग में पिछड़ा व खास नॉरेटिव से गड़ने को रेखांकित कर उपाय ढूंढना जरूरी है।

साथियों बात अगर हम 26 जून 2024 को जारी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट 2023 को समझने की करें तो, दुनियां भर में धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने साल 2023 के लिए अपनी रिपोर्ट जारी की है। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर सालाना रिपोर्ट जारी करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया भर में लोग इसकी रक्षा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। इस रिपोर्ट में दुनिया के करीब 200 देशों में धार्मिक स्थिति का आकलन किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आज की तारीख में करोड़ों लोग धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान नहीं कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हेट स्पीच, धार्मिक रूप से अल्पसंख्यक समुदायों के घरों और पूजा स्थलों को ध्वस्त करने के मामले बढ़े हैं। रिपोर्ट में भारत धर्मांतरण विरोधी क़ानून को लेकर भी चिंता जताई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में साल 2023 में भी धार्मिक स्वतंत्रता की स्थितियां लगातार खराब रही हैं।

इसमें कहा गया है कि सत्ताधारी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने भेदभावपूर्ण राष्ट्रवादी नीतियों को बढ़ावा देने का काम किया, जिसने समाज में घृणा को बढ़ाने का काम किया है। रिपोर्ट कहती है कि अल्पसंख्यक धर्मों के ख़िलाफ हो रही सांप्रदायिक हिंसा से निपटने में पार्टी नाकाम रही है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में यूएपीए, एफसीआरए, सीएए, धर्मांतरण विरोधी और गोहत्या को लेकर जो क़ानून हैं, उनके चलते धार्मिक अल्पसंख्यकों और उनकी वकालत करने वालों लोगों को निशाना बनाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन भी न्यूज आउटलेट या एनजीओ ने धार्मिक अल्पसंख्यकों को लेकर बात की है, उन पर एफसीआरए के तहत सख्त निगरानी रखी गई है। इसमें सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च नाम की एक एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस को फरवरी, 2023 में रद्द करने का ज़िक्र किया गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक ये एनजीओ सामाजिक, धार्मिक और जातीय स्तर पर हो रहे भेदभाव पर रिपोर्ट करने का काम करते हैं, लेकिन गृह मंत्रालय ने इसका एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया। इसमें कहा गया है, इसी तरह अधिकारियों ने न्यूज क्लिक के पत्रकारों के घर और दफ्तरों पर छापेमारी की इसमें तीस्ता सीतलवाड़ भी शामिल हैं, जिन्होंने साल 2002 में हुए गुजरात दंगों के समय एक धर्म विरोधी हिंसा पर रिपोर्टिंग की थी। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023 में भारत में ग़ैर सरकारी संगठनों ने एक विशेष धर्म के ख़िलाफ हिंसा की 687 घटनाओं का ज़िक्र किया, जिसमें लोगों को धर्मांतरण क़ानून के तहत हिरासत में रखा हुआ है। इन घटनाओं के कुछ उदाहरण भी रिपोर्ट में दिए गए हैं। धार्मिक स्वतंत्रता वाली इस रिपोर्ट में मणिपुर हिंसा का भी ज़िक्र है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जून 2023 में मणिपुर राज्य में हिंसा हुई, जिसके चलते हज़ार लोगों को विस्थापित होना पड़ा।

रिपोर्ट के मुताबिक इस हिंसा के लिए देश के गृह मंत्री को बड़े पैमाने पर आलोचना का सामना करना पड़ा, जिसमें यूएन के विशेषज्ञ भी शामिल थे। उनका कहना था कि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई। इसके अलावा मणिपुर में जारी हिंसा के चलते देश को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा। साल 2019 में केंद्र की सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया था, जो राज्य को कुछ विशेष अधिकार देता था। साथ ही केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बाँट दिया था। रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर महीने में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सिख एक्टिविस्ट हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय अधिकारियों के शामिल होने का आरोप लगाया था।

इसके बाद नवंबर महीने में अमेरिका में गुरपतवंत सिंह पन्नू को मारने की भी कोशिश की गई। इससे पहले 2021 में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाले देशों के लिए ‘कंट्रीज ऑफ पर्टीकुलर कंसर्न’ यानी सीपीसी की सूची जारी की थी। धार्मिक आज़ादी का आकलन करने वाले एक अमेरिकी पैनल ‘यूएस कमिशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ़्रीडम’ के इस लिस्ट में भारत का नाम शामिल करने का सुझाव दिया था लेकिन इसके बावजूद बाइडन प्रशासन ने भारत का नाम सूची में शामिल नहीं किया था। इस सूची में पाकिस्तान, चीन, तालिबान, ईरान, रूस, सऊदी अरब, एरिट्रिया, ताज़िकिस्तान, तुर्केमेनिस्तान और बर्मा सहित 10 देशों को शामिल किया गया था। इससे पहले जारी हुई रिपोर्ट्स में भी इसी तरह की बातें कही गई थीं।

साथियों बात अगर हम भारत द्वारा अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी रिपोर्ट 2023 को खारिज करने की करें तो, भारत ने इसे बेहद पक्षपात पूर्ण बताया है। 28 जून 2024 को नई दिल्ली में मीडिया को जानकारी देते हुए, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि इसमें भारत के सामाजिक ताने-बाने की समझ का अभाव है और यह स्पष्ट रूप से वोट बैंक के विचारों और एक निर्देशात्मक दृष्टिकोण से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि यह अभ्यास अपने आप में आरोप-प्रत्यारोप, गलत बयानी, तथ्यों का चयनात्मक उपयोग, पक्षपाती स्रोतों पर निर्भरता और एकतरफा सोच का मिश्रण है, जिसमें अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत बढ़ने की बात कही गई थी। एक खास तरह की नैरेटिव गढ़ने के लिए इस रिपोर्ट में चुनिंदा घटनाओं को चुना गया है। धार्मिक स्वतंत्रता पर ज्ञान दे रहे अमेरिका को भारत ने फिर लगाई फटकार, कहा- पुरानी घटनाओं के माध्यम से गढ़ा गया नैरेटिव। उन्होंने आगे कहा कि रिपोर्ट भारतीय न्यायालयों द्वारा दिए गए कुछ कानूनी निर्णयों की अखंडता को भी चुनौती देती प्रतीत होती है, जैसा कि पहले भी कई बार हुआ है, अमेरिका द्वारा जारी यह रिपोर्ट बहुत ही पक्षपातपूर्ण है।

अमेरिकी रिपोर्ट अपने आप में आरोपों, गलत बयानी, तथ्यों के चयनात्मक उपयोग, पक्षपातपूर्ण स्रोतों पर निर्भरता और मुद्दों के एकतरफा प्रक्षेपण का मिश्रण है। रिपोर्ट में एक खास तरह की नैरेटेव को गढ़ने के लिए पुराने घटनाओं का हवाला दिया गया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट स्पष्ट रूप से वोट बैंक के विचारों और एक निर्देशात्मक दृष्टिकोण से प्रेरित है। हालांकि भारत इस तरह की रिपोर्ट्स को पहले से ख़ारिज करता रहा है। पहले के अपने बयानों में भारत के विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने वाले आयोग को पक्षपाती बताया था। भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना था कि सालाना रिपोर्ट में भारत को लेकर दुष्प्रचार किया जा रहा है। मालूम हो कि अमेरिका ने बुधवार को धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट जारी कर कहा था कि भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत बढ़ रही है। रिपोर्ट में भारत में अल्पसंख्यक समूहों पर हिंसक हमलों का आरोप लगाया गया है। इसमें मणिपुर में मई 2023 में शुरू हुई हिंसा का भी हवाला दिया गया है।

साथियों बात अगर हम रिपोर्ट तैयार करने के कारणों और प्रक्रिया की करें तो, रिपोर्ट क्यों और कैसे तैयार की जाती है। राज्य विभाग 1998 के अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम (पीएल 105-292) की धारा 102(बी) के अनुपालन में कांग्रेस को यह वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करता है, जैसा कि संशोधित किया गया है। यह रिपोर्ट 1 जनवरी से 31 दिसंबर, 2023 के बीच की अवधि को कवर करती है। अमेरिकी दूतावास सरकारी अधिकारियों, धार्मिक समूहों, गैर-सरकारी संगठनों, पत्रकारों, मानवाधिकार निगरानी कर्ताओं, शिक्षाविदों, मीडिया और अन्य लोगों से प्राप्त जानकारी के आधार पर देश के अध्यायों के प्रारंभिक मसौदे तैयार करते हैं।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट 2023- भारत ने सिरे से खारिज किया। भारत ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा जारी धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट 2023 को, पक्षपाती व भारत के सामाजिक ताने-बाने की समझ का अभाव बताया। अंतरराष्ट्रीय सूचकांकों व रिपोर्टों में भारत को रैंकिंग में पिछड़ा व खास नॉरेटिव से गड़ने को रेखांकित कर उपाय ढूंढना जरूरी है।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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