हिंदुस्तान उर्वरक और रसायन लिमिटेड के बरौनी प्लांट में यूरिया उत्पादन शुरू

नयी दिल्ली। हिंदुस्तान उर्वरक और रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) के बिहार स्थित बरौनी कारखाने में यूरिया का उत्पादन शुरू हो गया है। अत्याधुनिक गैस आधारित बरौनी उर्वरक कारखाना फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एफसीआईएल) और हिंदुस्तान फर्टिलाइजर्स कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचएफसीएल) की बंद पड़ी यूरिया इकाइयों को पुनर्जीवित करने की पहल का हिस्सा है। घरेलू स्तर पर उत्पादित यूरिया की उपलब्धता बढ़ाने के लिए एफसीआईएल और एचएफसीएल की बंद इकाइयों का पुनरुद्धार वर्तमान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में रहा है। इस इकाई में गत मंगलवार से उत्पादन शुरु हुआ ।

सरकार ने हिंदुस्तान उर्वरक और रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल)की बरौनी इकाई को पुनर्जीवित करने के लिए 8,387 रुपये के अनुमानित निवेश की मंजूरी दी है। इस प्लांट की 12.7 लाख टन प्रति वर्ष की यूरिया उत्पादन क्षमता होगी। एचयूआरएल संयुक्त उद्यम कंपनी है जिसे कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), एनटीपीसी लिमिटेड (एनटीपीसी), इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) और एफसीआईएल/एचएफसीएल के साथ मिलकर गोरखपुर, सिंदरी और बरौनी इकाइयों को पुनर्जीवित करने के लिए अधिकृत किया गया है।

इस कार्य के लिए 25,000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। एचयूआरएल के तीनों संयंत्रों के शुरू होने से देश में 38.1 लाख टन प्रति वर्ष स्वदेशी यूरिया उत्पादन बढ़ेगा और यूरिया उत्पादन में भारत को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने में मदद मिलेगी। इस परियोजना से न केवल किसानों को उर्वरक की उपलब्धता में सुधार आयेगा बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के अलावा सड़कों, रेलवे, सहायक उद्योग आदि जैसे बुनियादी ढांचे के विकास सहित क्षेत्र में अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगी।

एचयूआरएल संयंत्रों में डीसीएस (डिस्ट्रिब्यूटेड कंट्रोल सिस्टम), ईएसडी (आपातकालीन शटडाउन सिस्टम) और पर्यावरण निगरानी प्रणाली आदि से लैस अत्याधुनिक ब्लास्ट प्रूफ कंट्रोल रूम जैसी कई अनूठी विशेषताएं हैं। इसमें 65 मीटर लंबाई और दो मीटर ऊंचाई वाला देश का पहला एयर ऑपरेटेड बुलेट प्रूफ रबर डैम भी है। इन संयंत्रों में कोई बाहरी अपशिष्ट जल निपटान नहीं है। सिस्टम अत्यधिक प्रेरित, समर्पित, अच्छी तरह से प्रशिक्षित ऑपरेटरों द्वारा संचालित होते हैं। यह सुविधा उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडिशा राज्यों में यूरिया की मांग को पूरा करने के उद्देश्य से दुनिया की सर्वोत्तम तकनीकों को एकीकृत करती है।

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