यूपी बोर्ड का परिणाम घोषित, छात्राओं ने फिर मारी बाजी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद ने शनिवार को वर्ष 2021 की बोर्ड परीक्षा में दसवीं और बारहवीं के नतीजे घोषित कर दिए हैं। बोर्ड के 100 वर्ष के इतिहास में पहली बार हाईस्कूल में 99.53 व इंटर में 97.88 फीसद उत्तीर्ण हुए हैं। हाईस्कूल और इंटर दोंनो परीक्षाओं में छात्राओं ने एक बार फिर बाजी मारी है।

हाईस्कूल में 29 लाख 96 हजार 31 परीक्षार्थियों में से 29 लाख 82 हजार 055 परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए हैं। छात्राओं का परिणाम 99.55 प्रतिशत और छात्रों का परिणाम 99.52 प्रतिशत रहा है। वहीं, इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षा का परिणाम 97.88 प्रतिशत रहा। इंटरमीडिएट में 26 लाख 10 हजार 247 में से 25 लाख 54 हजार 813 परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए हैं। छात्रों का परिणाम 97.47 और छात्राओं का परिणाम 98.40 प्रतिशत रहा।

शिक्षा निदेशक माध्यमिक विनय कुमार पांडेय ने बताया कि हाईस्कूल परीक्षा के लिए कुल 29 लाख 96 हजार 31 विद्यार्थी पंजीकृत थे, उनमें से 29 लाख 82 हजार 55 उत्तीर्ण हुए हैं। इनमें 16 लाख 68 हजार 868 छात्र व 13 लाख 13 हजार 187 छात्राएं हैं। ऐसे ही इंटर के लिए 26 लाख 10 हजार 247 विद्यार्थी पंजीकृत थे, उनमें से 25 लाख 54 हजार 813 उत्तीर्ण हुए हैं। इनमें 14 लाख 37 हजार 33 छात्र व 11 लाख 17 हजार 780 छात्राएं हैं।

हाईस्कूल में एक फीसद से कम यानी 0.47 और इंटरमीडिएट में 2.13 फीसद छात्र-छात्राएं ऐसे हैं, जो अनुत्तीर्ण हुए हैं। निदेशक का कहना है कि ये वे विद्यार्थी हैं जो तय फार्मूले की परीक्षाओं में अनुपस्थित थे या विदहेल्ड हैं यानी जिन विद्यार्थी के अभिलेख पूरे नहीं हैं या उनके अंकपत्र आदि त्रुटिपूर्ण हैं, वे सब फेल हो गए हैं।

बोर्ड ने ऐसे छात्र-छात्राएं जो तय फार्मूले के तहत न्यूनतम उत्तीर्णांक नहीं पा सके, किंतु आंतरिक मूल्यांकन में उत्तीर्ण हैं, उन्हें सामान्य प्रोन्नति दी गई है। साथ ही ऐसे परीक्षार्थी जिनके 9वीं व 11वीं के वार्षिक परीक्षा या फिर 10वीं व 12वीं की प्री-बोर्ड परीक्षा के अंक उपलब्ध नहीं थे, उन्हें भी बिना अंकों के प्रोन्नत किया है।

माध्यमिक शिक्षा निदेशक विनय कुमार पांडेय ने बताया कि बोर्ड परीक्षा की मेरिट तैयार नहीं की गई है। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के चलते बोर्ड परीक्षाएं आयोजित नहीं की जा सकीं। सरकार के निर्देश पर बोर्ड ने परीक्षा को निरस्त करते हुए परीक्षार्थियों को बिना परीक्षा के ही उत्तीर्ण करने का निर्णय लिया।

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