अखंड अमेरिका बनाम अखंड भारत

क्या मेक अमेरिका ग्रेट अगेन और मेक इन इंडिया के टकराव की संभावना है?
अखंड अमेरिका में नए देशों को जोड़ने की बात हो रही है, जबकि अखंड भारत में भारत से अलग हुए हिस्सों को फिर मिलाने की बात है- अधिवक्ता के.एस. सनमुखदास भावनानी

अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर आदि अनादि काल से प्राचीन भारत से लेकर नए भारत तक व अखंड भारत से लेकर आज के भारत तक के विचारों सभ्यता संस्कृति विरासत की तारीफ दुनिया भर में होती रहती है। भारत के वसुधैव कुटुम्बकम का उल्लेख भारतीय उपनिषदों और अन्य प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। इस अवधारणा का मूल यह है कि पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्राणी एक परिवार का हिस्सा हैं और हमें सभी के साथ प्रेम और समानता का व्यवहार करना चाहिए। यह सिद्धांत जीवन के सभी पहलुओं पर लागू होता है,चाहे वह व्यक्तिगत हो, पारिवारिक हो, या सामाजिक।परंतु अंग्रेजों की बुरी नजर भारत पर पड़ी और भारत विखंडित होते चला गया जो आज भी अखंड भारत की ओर प्रयास कर रहा है।

परंतु ठीक वैसी ही सोच को 20 जनवरी 2025 को 47वें राष्ट्रपति की शपथ ग्रहण कर व्हाइट हाउस में प्रवेश करने वाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हो चली है, उन्होंने अखंड अमेरिका की संकल्पना की है। जिसमें पनामा ग्रीनलैंड कनाडा मैक्सीको का क्षेत्र, हालांकि यह पूरे देश कभी भी अमेरिका के हिस्से नहीं रहे, बल्कि स्वतंत्र देश हैं उनको मिलाकर ट्रंप एक अखंड अमेरिका की परिकल्पना कर रहे हैं। हालांकि यह संभव होता है या नहीं, जबकि अनेकों वर्षों पूर्व से ही पूर्व राष्ट्रपति भी यह चर्चा कर चुके हैं। ठीक वैसे ही अभी कुछ समय पूर्व ही सरसंचालक ने यह बात कह कर फिर से विषय को चर्चा में लेकर आए थे जबकि अभी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अभी 4 दिन पूर्व ही अखंड अमेरिका की वकालत की है।

ठीक उसी तरह अब ट्रंप मेक अमेरिका ग्रेट अगेन की बात कर रहे हैं जो हमारे, पीएम लंबे समय से मेक इन इंडिया की बात कर रहे हैं। यानी कुल मिलाकर अमेरिका उसी राह की और सोच रहा है जिस पर भारत चल रहा है। यानी दोनों देशों के सुप्रीमो के विचार एक ही दिशा में जा रहे हैं यानी गंभीरता से मिल रहे हैं जिसके सकारात्मक परिणाम दृढ़ संबंधों को बल मिला है, परंतु अपने-अपने देश के हितों को देखते हुए अमेरिका ग्रेट अगेन वह भारत के मेक इन इंडिया में टकव की स्थिति भी हो सकती है, जिसकी चर्चा हम नीचे पैराग्राफ में करेंगे। चूँकि क्या अमेरिका भारत की सोच मिल रही है? इस लॉजिक को देखते हुए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, अखंड अमेरिका बनाम अखंड भारत तथा अखंड अमेरिका में नए देश को जोड़ने की बात हो रही है जबकि अखंड भारत में भारत से ही अलग हुए हिस्सों को पूर्ण मिलने की बात है।

साथियों बात अगर हम 20 जनवरी 2025 को शपथ ग्रहण करने वाले ट्रंप के अखंड अमेरिका के बयान से पूरी दुनिया में खलबली की करें तो, राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद डोनाल्ड ट्रंप अपने नए मिशन पर हैं। मेक अमेरिका ग्रेट अगेन का नारा देने वाले ट्रंप अब अमेरिका को अखंड अमेरिका बनाने चले हैं, ऐसा वो सिर्फ कह नहीं रहे उनके पास इसके लिए पूरा प्लान तैयार है, जिसकी झलक उन्होंने हाल के बयानों में दिखाई है। ट्रंप ने मंगलवार को अपने ट्रुथ मीडिया पर अमेरिका का एक नया मैप शेयर किया जिसमें उन्होंने कनाडा को अमेरिका का हिस्सा दिखाया।अमेरिका में राष्ट्रपति पद के शपथ ग्रहण से पहले डोनाल्ड ट्रंप जिस तरह के बयान दे रहे हैं, उनसे पूरी दुनिया में हलचल मची है। पहले उन्होंने कनाडा को 51वां अमेरिकी राज्य बनाने की इच्छा जताई, फिर ग्रीनलैंड व पनामा नहर को हासिल करने की चाहत दिखाई और अब मेक्सिको की खाड़ी का नाम बदलकर अमेरिका की खाड़ी करने की बात कही है।

उन्होंने अपना नौ सूत्री एजेंडा भी पेश किया है, जिसमें अपनी तमाम योजनाओं का जिक्र किया है। हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि ग्रीनलैंड और पनामा नहर को लेकर वह सैन्य कार्रवाई भी करेंगे, तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया। मगर कनाडा और मेक्सिको पर उन्होंने आर्थिक दबाव बनाने की बात जरूर कही। जिससे वैश्विक कूटनीति को लेकर तमाम तरह की आशंकाएं पनपने लगी हैं। इन सबका शुरुआती संकेत यही है कि ट्रंप अशांति पैदा करने वाली अपनी पुरानी कार्यशैली पर ही विश्वास कर रहे हैं। दुनिया भर में अमेरिका को लेकर जो सहमति रही है, वह उसे भी बदलना चाह रहे हैं। दरअसल, दूसरे विश्व युद्ध के बाद अमेरिकी सत्ता रिपब्लिकन के हाथों में रही हो या डेमोक्रेट के हाथों में, वे यह स्पष्ट रहे हैं कि अपनी विदेश नीति में अमेरिका कभी विस्तारवादी ताकत के रूप में दिखाई न पड़े, मगर डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान अमेरिका की इस छवि के प्रतिकूल दिख रहे हैं।

साथियों ग्रीनलैंड बेशक डेनमार्क का हिस्सा है, लेकिन वहां अमेरिका के कई खुफिया अड्डे हैं, एक अंतरिक्ष इकाई है और बैटरी व हाईटेक उत्पादों के निर्माण में जरूरी खनिज के भंडार हैं। ट्रंप अपने बयानों से अमेरिका के लिए ग्रीनलैंड की अहमियत बता रहे हैं और यह जता रहे हैं कि रूस और चीन से पहले वहां अमेरिका की पकड़ सुनिश्चित होनी चाहिए। जाहिर है, जैसे-जैसे यह मसला आगे बढ़ेगा, ग्रीनलैंड-डेनमार्क पर ट्रंप को यह संतुष्ट करने का दबाव बढ़ेगा कि वहां हर हाल में अमेरिकी हित सुरक्षित रखे जाए। रही बात पनामा नहर की, तो ट्रंप को आशंका है कि पनामा का झुकाव चीन की ओर बढ़ रहा है, उनका मानना है कि अमेरिकी जहाजों से यहां तुलनात्मक रूप से ज्यादा फीस ली जा रही है, उसके दो बंदरगाहों का प्रबंधन भी हांगकांग की दो कंपनियों के पास है।

चूंकि इस नहर पर पहले अमेरिका का ही नियंत्रण था, जिसे सन् 1977 में पनामा के हवाले कर दिया गया, इसलिए डोनाल्ड ट्रंप का मानना है कि यहां हर हाल में अमेरिका का दावा सबसे ऊपर होना चाहिए। इसमें जहां कनाडा और मेक्सिको के साथ उसका आर्थिक मुद्दा जुड़ा है, तो पनामा और ग्रीनलैंड के साथ चीन की प्रतिस्पर्द्धा का मसला, चूंकि ट्रंप का एजेंडा शुरू से ‘अमेरिका फर्स्ट’, यानी सबसे पहले अमेरिका का रहा है, इसलिए वह बेबाकी से अमेरिकी हितों को तवज्जो देने के दावे कर रहे हैं। इन सबसे अन्य देश जरूर अचंभित हैं, क्योंकि एक महाशक्ति होने के नाते अमेरिका की कभी भी ऐसी विदेश नीति नहीं रही है, इससे आशंका यह जताई जाने लगी है कि ट्रंप के इस दूसरे कार्यकाल में क्या चीन की तरह अमेरिका भी विस्तारवादी नीतियों का पोषण करेगा?

साथियों बात अगर हम अखंड भारत की करें तो, देश में अखंड भारत को लेकर बहस लंबे समय से होती रही है। नए संसद भवन के अंदर भी अखंड भारत की एक तस्वीर लगी है।इस पर काफी विवाद भी हुआ था। तब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि संसद में जो लगा है, वो अशोक के साम्राज्य को दिखा रहा है, पर ये अखंड भारत क्या है? अखंड भारत को लेकर तीन तरह के कॉन्सेप्ट हैं- पहला: ऐसा भारत जिसमें पाकिस्तान और बांग्लादेश भी हों। दूसराः ऐसा भारत जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश के अलावा नेपाल, भूटान, तिब्बत, म्यांमार, अफगानिस्तान और श्रीलंका भी हों, तीसरा : ऐसा भारत जिनमें पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, तिब्बत, म्यांमार, अफगानिस्तान और श्रीलंका के साथ-साथ कंबोडिया, मलेशिया, वियतनाम और इंडोनेशिया भी हो।

कब-कब खंड-खंड हुआ भारत?- पाकिस्तान : 1947 में बंटवारा हुआ,भारत और पाकिस्तान दो अलग-अलग देश बने। बांग्लादेश : पहले पाकिस्तान का हिस्सा था।1971 में बांग्लादेश एक अलग मुल्क बना, नेपाल : 1904 में गोरखाओं और अंग्रेजों में एक संधि हुई, इससे नेपाल अलग देश बना। भूटान : ब्रिटेन ने 1907 में भूटान में उग्येन वांगचुक की राजशाही स्थापित कर दी। तिब्बत : 1914 में मैकमोहन लाइन बनी। इससे तिब्बत चीन का हिस्सा बन गया। श्रीलंका : ब्रिटेन का कब्जा था, लेकिन वो अलग देश मानता रहा, 1948 में श्रीलंका आजाद हुआ। म्यांमार : भारत से 10 साल पहले 1937 में ब्रिटेन ने बर्मा (म्यांमार) को आजाद कर दिया। अफगानिस्तान : 1876 में रूस-ब्रिटेन की संधि से ये बफर स्टेट बना। 1919 में आजादी मिली।

साथियों बात अगर हम अखंड भारत से एरिया, आबादी, अर्थव्यवस्था, सांसद के नजरिया से देखे तो, कैसा होगा अखंड भारत?-
एरिया : भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान, तिब्बत, म्यांमार और श्रीलंका अखंड भारत में आते हैं तो देश का कुल क्षेत्रफल 83.97 लाख वर्ग किलोमीटर का होगा।
आबादी : मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक, अखंड भारत की आबादी 170 करोड़ से ज्यादा होगी। 55 करोड़ मुस्लिम और 100 करोड़ हिंदू होंगे, मुस्लिम आबादी 32 प्रतिशत और हिंदू 60 प्रतिशत से कम होंगे।
अर्थव्यवस्था : अखंड भारत की जीडीपी 300 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की होगी। सबसे ज्यादा जीडीपी भारत की ही होगी। अभी भारत की जीडीपी 272 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है।

संसद : ये सभी देश अखंड भारत का हिस्सा बनते हैं तो देश में 3 हजार 283 सांसद होंगे। इनमें सबसे ज्यादा 795 सांसद भारत में होंगे। दूसरे नंबर पर म्यांमार होगा, जहां 664 सांसद होंगे, पर क्या ये मुमकिन है? फिलहाल तो बिल्कुल नहीं, क्योंकि सभी देश आजाद है। सबका अपना संविधान है, सबकी अपनी राजनीतिक व्यवस्था है। ये सारे देश फिर से एकजुट होंगे और भारत में मिलेंगे, इसकी गुंजाइश बेहद कम है।

साथियों बात अगर हम मेक अमेरिका ग्रेट अमेरिका व मेक इन इंडिया के टकराव की संभावना की करें तो अमेरिका फर्स्ट’ और ‘मेक इन इंडिया’ का टकराव? ट्रंप का रुख कई मुद्दों पर पहले से कड़ा होगा, जैसे अवैध अप्रवासन पर सख्ती, सभी आयातों पर ऊंचा टैरिफ, और यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए आर्थिक सहायता को रोकना, उन्होंने मुस्लिम बहुल देशों पर यात्रा प्रतिबंध लगाने की भी बात कही है। भारत के लिए इसका क्या मतलब है? सबसे पहले, यह समझना जरूरी है कि अमेरिकी नीति-निर्माता हर सुबह भारत के बारे में नहीं सोचते। ट्रंप और पीएम के बीच दोस्ताना संबंध हैं, लेकिन ‘अमेरिका फर्स्ट’ और ‘मेक इन इंडिया’ का मिलन थोड़ा टकराव ला सकता है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पुरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अखंड अमेरिका बनाम अखंड भारत। क्या मेक अमेरिका ग्रेट अगेन और मेक इन इंडिया के टकराव की संभावना है?अखंड अमेरिका में नए देशों को जोड़ने की बात हो रही है, जबकि अखंड भारत में भारत से अलग हुए हिस्सों को फिर मिलाने की बात है।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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