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नया आयकर अधिनियम 2025 संसद में पेश होगा- बिल वित्त पर बनी संसदीय स्थाई समिति के पास भेजने की संभावना
नए बिल में संभावित कुछ ऐसे प्रावधान प्रस्तावित है जो कार्यकारी आदेशों के माध्यम से कटौती या छूट की सीमा और राशियों को बदलने की अनुमति देंगे- अधिवक्ता के.एस. भावनानी
अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनिया के सभी देशों के विकास के साधन के रूप में प्राथमिकता वित्त को दी जाती है तथा वित्त का ढांचा बजट के पहियों पर आत्मा के रूप में समाहित होता है, जो किसी भी देश के विकास की दिशा को निर्धारित करता है, उसे सशक्त बनाता है, क्योंकि देश के विकास की राह पर चलने के लिए रुपए/डॉलर की आवश्यकता होती है, जो बजट के माध्यम से तय किया जाता है कि किस क्षेत्र में कितना पैसा मिलेगा। अभी हमने 1 फरवरी 2025 को बजट के सभी प्रावधानों का बारीकी से अध्ययन करके देखें कि किस क्षेत्र को कितना एलोकेशन किया गया है। चूँकि बजट में माननीय वित्तमंत्री ने घोषणा की थी कि एक सप्ताह के भीतर एक नया आयकर अधिनियम 2025 लाया जाएगा।
इसलिए ही आज दिनांक 7 फरवरी 2025 को देर रात्रि केंद्रीय वित्तीय कैबिनेट ने आयकर अधिनियम 2025 (डायरेक्ट टैक्स कोड 2025) को मंजूरी दी। इसे अब संभावित सोमवार को संसद के पटल पर रखा जाएगा व वित्त पर संसदीय स्थाई समिति के पास भेजने की प्रबल संभावना है। जिसमें नए बिल में संभावित कुछ ऐसे प्रावधान प्रस्तावित है जो कार्यकारी आदेशों के माध्यम से कटौती या छूट की सीमा और राशियों को बदलने की अनुमति देंगे। इसलिए आज हम मीडियम उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, वित्तीय कैबिनेट ने नए आयकर अधिनियम 2025 (डायरेक्ट टैक्स कोड 2025) को मंजूरी दी।
साथियों बात अगर हम नए आयकर अधिनियम 2025 को लागू करने की करें तो, पीएम की अध्यक्षता वाली केंद्रीय वित्तीय कैबिनेट ने नए इनकम टैक्स बिल 2025 (डायरेक्ट टैक्स कोड बिल 2025) को मंजूरी दे दी है। इस बिल को केंद्रीय कैबिनेट ने शुक्रवार देर रात मंजूरी दी है। मीडिया के मुताबिक यह बिल अब सोमवार को केंद्रीय वित्तमंत्री 9 फरवरी 2025 को लोकसभा में पेश करेंगी। लोकसभा में इस बिल को फिलहाल स्थायी समिति को भेजा जा सकता है। संसद से मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही यह बिल छह दशक पुराने इनकम टैक्स कानून 1961 की जगह लेगा अर्थात नया इनकम टैक्स कानून बन जाएगा। वित्तमंत्री ने इस बिल के बारे में जानकारी देते हुए कहा था कि इसके पास होने से डायरेक्ट टैक्स कानून सरल बन जाएंगे। मौजूदा कानून के अस्पष्ट प्रावधान इसमें नहीं होंगे और इससे इनकम टैक्स से जुड़े मुकदमों की संख्या कम होगी।
बता दें कि संसद के मौजूदा बजट सत्र का पहला चरण 13 फरवरी को खत्म हो रहा है। सत्र 10 मार्च को फिर शुरू होगा और चार अप्रैल तक चलेगा। नया बिल इनकम टैक्स से जुड़े उन सभी संशोधनों और धाराओं से मुक्त होगा जो अब प्रासंगिक नहीं है। साथ ही भाषा ऐसी होगी कि लोग इसे टैक्स एक्सपर्ट की सहायता के बिना समझ सकें। इस बिल में प्रावधान और स्पष्टीकरण या कठिन वाक्य नहीं होंगे। इससे मुकदमेबाजी कम करने में भी मदद मिलेगी और इस तरह विवादित टैक्स डिमांड में कमी आएगी। दरअसल, इनकम टैक्स लॉ लगभग 60 साल पहले 1961 में बनाया गया था और तब से समाज में, लोगों के पैसे कमाने के तरीके और कंपनियों के कारोबार करने के तरीके में बहुत सारे बदलाव हुए हैं। समय के साथ आयकर अधिनियम में संशोधन किए गए। देश के सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने में तकनीकी प्रगति और बदलावों को देखते हुए, पुराने आयकर अधिनियम को पूरी तरह से बदलने की सख्त जरूरत है। नए बिल के लागू करने का मकसद भाषा और अनुपालन प्रक्रियाओं को सरल बनाना है। कहने का मतलब है कि नए कानून में इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव की संभावना नहीं है, क्योंकि यह आमतौर पर वित्त अधिनियम के माध्यम से किया जाता है।
बता दें कि साल 2010 में प्रत्यक्ष कर संहिता विधेयक, 2010 संसद में पेश किया गया था। इसे जांच के लिए स्थायी समिति के पास भेजा गया था। हालांकि, 2014 में सरकार बदलने के कारण विधेयक निरस्त हो गया। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार (7 फरवरी, 2025) को नए इनकम टैक्स बिल को मंजूरी दे दी, यह बिल छह दशक पुराने आईटी अधिनियम की जगह लेगा। नया बिल इनकम टैक्स से जुड़े उन सभी संशोधनों और धाराओं से मुक्त होगा जो अब प्रासंगिक नहीं हैं। साथ ही भाषा ऐसी होगी कि लोग इसे टैक्स एक्सपर्ट की सहायता के बिना समझ सकें। इस बिल में प्रावधान और स्पष्टीकरण या कठिन वाक्य नहीं होंगे। इस से मुकदमेबाजी कम करने में भी मदद मिलेगी और इस तरह विवादित टैक्स डिमांड में कमी आएगी।
साथियों बात अगर हम विकसित भारत की ओर कदम बढ़ाने, अर्थव्यवस्था को गति देने, 7 फरवरी 2025 को आरबीआई द्वारा रेपो रेट में कमी करने की करें तो आरबीआई ने शुक्रवार को सुस्त पड़ रही अर्थव्यवस्था को गति देने के मकसद से लगभग पांच साल बाद प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.25 प्रतिशत घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया। रेपो रेट घटने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (ईएमआई) में कमी आने की उम्मीद है।
मार्च तिमाही के लिए स्थिर हैं : ब्याज दरें मार्च तिमाही के लिए छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ। बता दें कि सुकन्या समृद्धि योजना के तहत जमा पर 8.2 प्रतिशत की ब्याज दर है। तीन साल की सावधि जमा पर दर तीसरी तिमाही में दी जा रही 7.1 प्रतिशत पर है। इसके अलावा पीपीएफ और डाकघर बचत जमा योजनाओं की ब्याज दरें भी क्रमश: 7.1 प्रतिशत और चार प्रतिशत पर बरकरार रखी गई हैं। वहीं, किसान विकास पत्र पर ब्याज दर 7.5 प्रतिशत जब राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (एनएससी) पर ब्याज दर 7.7 प्रतिशत पर बरकरार है। मासिक आय योजना में निवेश पर 7.4 प्रतिशत ब्याज मिलता है। अगर पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) और सुकन्या समृद्धि जैसी छोटी बचत योजनाओं में निवेश करते हैं तो ये खबर आपको निराश कर सकती है। दरअसल, सरकार नए वित्त वर्ष यानी एफ वाय 26 की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून की अवधि के लिए छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दर कम कर सकती है। बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक(आरबीआई) ने रेपो रेट में कटौती की है। इसके बाद खपत को बढ़ावा देने के लिए वित्त मंत्रालय अगले वित्तीय वर्ष में छोटी बचत योजनाओं के लिए दरें कम करने पर विचार कर सकता है। बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर में सरकारी सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी गई है।
साथियों बात अगर हम अर्थव्यवस्था को गति देने में भारत के बहुत बड़े उद्योग समूह द्वारा पुत्र की शादी को साधारण रूप से कर 10 हज़ार करोड़ सरकार को दान देने की करें तो, एक उद्योग समूह के चेयरमैन के छोटे बेटे जीत और दिवा शाह परिणय सूत्र में बंध गए हैं। अरबपति उद्योगपति ने न केवल शादी को साधारण रखा बल्कि 10 हज़ार करोड़ रुपये का दान भी दिया। उनके दान का बड़ा हिस्सा हेल्थकेयर, एजुकेशन और स्किल डेवलपमेंट पर खर्च होने वाला है। समूह का ये प्रयास समाज के सभी वर्गों को किफायती विश्व स्तरीय अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों की सुविधा मुहैया कराने पर केंद्रित है। इसके अलावा किफायती शीर्ष स्तरीय के-12 स्कूलों और सुनिश्चित रोजगार क्षमता के साथ अपग्रेडेड ग्लोबल स्किल एकेडमी के नेटवर्क तक पहुंच का प्रयास किया जाएगा।
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अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि केंद्रीय वित्तीय कैबिनेट ने नए आयकर अधिनियम 2025 (डायरेक्ट टैक्स कोड 2025) को मंजूरी दी। नया आयकर अधिनियम 2025 संसद में पेश होगा-बिल वित्त पर बनी संसदीय स्थाई समिति के पास भेजने की संभावना। नए बिल में संभावित कुछ ऐसे प्रावधान प्रस्तावित है जो कार्यकारी आदेशों के माध्यम से कटौती या छूट की सीमा और राशियों को बदलने की अनुमति देंगे।
(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)
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