भारत में भी अब वर्ष में दो बार एडमिशन देने का यूजीसी का सटीक फैसला

भारत वैश्विक अध्ययन गंतव्य बनने की ओर अग्रसर!
यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में सत्र 2024-25 से अब साल में दो बार एडमिशन दिए जा सकेंगे- जुलाई-अगस्त व जनवरी-फरवरी

भारत में भी विदेशी विश्वविद्यालय की तर्ज़ पर साल में दो बार एडमिशन, शिक्षित भारत विकसित भारत का आगाज होगा, विजन 2047 की ओर कदम बढ़े- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनियां के हर देश में उसके विकसित होने के मानदंड रूपी पहियों में शिक्षा भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जो भारत में आदि अनादि काल से उसकी मिट्टी में ही अदृश्य रूप से कूट-कूट कर भरा है। यानी जिसका जन्म भारत की भूमि पर हुआ है। उसनें पूरे विश्व में इतिहास रचा है, चाहे पूर्व पीढ़ियां ही क्यों ना हो उनका वह पैतृक गुण आगे की पीढ़ियों में भी समाता रहता है जिसके हम कई उदाहरणों में से अभी दो दिन पूर्व का भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स के रूप में दे सकते हैं और रामायण महाभारत गीता जैसे अनेकों ग्रंथों के रचयिताओं के रूप में भी दे सकते हैं। शिक्षा को नई शिक्षा नीति 2020 में एक सूत्र में बांधा गया है जिसमें हर सूत्र की कड़ियों को उचित समय पर खोला जाता है।

इसी कड़ी में दिनांक 11 जून 2024 को यूजीसी प्रमुख ने यूनिवर्सिटी कॉलेज में सत्र 2024-25 से अब साल में दो बार एडमिशन के लिए सिस्टम की घोषणा कर दी है, जो एनईपी 2020 का ही एक अंग है। जिसमें शिक्षा प्राप्त करने वालों की संख्या में तो वृद्धि होगी ही, परंतु अब विद्यार्थियों का साल भी बर्बाद होने से बच जाएगा जो रेखांकित करने वाली बात है। सबसे बड़ा इसका दूरगामी प्रभाव विजन 2047 को सामर्थ बनाने में होगा, क्योंकि भारत में भी विदेशी विश्वविद्यालयों की तर्ज़ पर साल में दो बार एडमिशन, शिक्षित भारत विकसित भारत का आगाज करेगा। विजन 2047 की ओर तेज़ी से कदम बढ़ेंगे। इसीलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारत वैश्विक अध्ययन गंतव्य बनने की ओर अग्रसर हो रहा है।

साथियों बात अगर हम यूनिवर्सिटी कॉलेज में वर्ष में दो बार एडमिशन ले सकने की घोषणा की करें तो, अब भारतीय विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों को अब विदेशी विश्वविद्यालयों की तर्ज पर वर्ष में दो बार प्रवेश देने की अनुमति होगी।विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इस योजना को मंजूरी दे दी है। अब 2024-25 शैक्षणिक सत्र से दो एडमिशन साइक‍िल जुलाई-अगस्त और जनवरी-फरवरी होंगे। यूजीसी के प्रमुख ने बताया कि यदि भारतीय विश्वविद्यालय वर्ष में दो बार प्रवेश दे सकें तो इससे कई छात्रों को लाभ होगा, जैसे कि वे छात्र जो बोर्ड के परिणामों की घोषणा में देरी, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं या व्यक्तिगत कारणों से जुलाई-अगस्त सत्र में विश्वविद्यालय में प्रवेश से चूक गए थे, वो नये सत्र में दाख‍िला ले सकते हैं विश्वविद्यालय में द्विवार्षिक प्रवेश से छात्रों को प्रेरणा बनाए रखने में मदद मिलेगी, क्योंकि यदि वे करेंट साइकल में प्रवेश से चूक जाते हैं तो उन्हें प्रवेश के लिए एक पूरा वर्ष इंतजार नहीं करना पड़ेगा। द्विवार्षिक प्रवेश के साथ, उद्योग भी वर्ष में दो बार अपने कैंपस में भर्ती कर सकते हैं, जिससे स्नातकों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। यूजीसी प्रमुख ने बताया कि द्विवार्षिक प्रवेश से उच्च शिक्षा संस्थानों को अपने संसाधन वितरण, जैसे संकाय, प्रयोगशाला, कक्षाएं और सहायक सेवाओं की योजना अधिक कुशलता पूर्वक बनाने में मदद मिलेगी। यही नहीं विश्वविद्यालय की गतिविध‍ियां भी तेज रहेंगी।

उन्होंने आगे कहा कि दुनियां भर के विश्वविद्यालय पहले से ही द्विवार्षिक प्रवेश प्रणाली का पालन कर रहे हैं। यदि भारतीय उच्च शिक्षा संस्थान द्विवार्षिक प्रवेश चक्र को अपनाते हैं, तो हमारे उच्च शिक्षा संस्थान अपने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और छात्र आदान-प्रदान को बढ़ा सकते हैं। परिणाम स्वरूप, हमारी ग्लोबल कॉम्पिट‍िशन में सुधार होगा और हम वैश्विक शैक्षिक मानकों के अनुरूप होंगे। उन्होंने कहा कि यदि उच्च शिक्षा संस्थान द्विवार्षिक प्रवेश को अपनाते हैं तो उन्हें प्रशासनिक पेचीदगियों, उपलब्ध संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए अच्छी योजना बनाने तथा वर्ष के अलग-अलग समय में प्रवेश पाने वाले छात्रों के सुचारु संक्रमण के लिए निर्बाध सहायता प्रणाली प्रदान करने पर काम करना होगा। उच्च शिक्षा संस्थान द्विवार्षिक प्रवेश की उपयोगिता को तभी अधिकतम कर सकते हैं, जब वे संकाय सदस्यों, कर्मचारियों और छात्रों को संक्रमण के लिए पर्याप्त रूप से तैयार करें। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालयों के लिए द्विवार्षिक प्रवेश देना अनिवार्य नहीं होगा और जिन उच्च शिक्षा संस्थानों के पास आवश्यक बुनियादी ढांचा और शिक्षण संकाय है, वे इस अवसर का उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए द्विवार्षिक प्रवेश देना अनिवार्य नहीं होगा, यह वह लचीलापन है जो यूजीसी उच्च शिक्षा संस्थानों को प्रदान करता है जो अपने छात्रों की संख्या बढ़ाना चाहते हैं और उभरते क्षेत्रों में नए कार्यक्रम पेश करना चाहते हैं। छात्रों को साल में दो बार प्रवेश देने में सक्षम होने के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों को अपने संस्थागत नियमों में उपयुक्त संशोधन करना होगा।

साथियों बात अगर हम भारत के वैश्विक अध्ययन गंतव्य बनने की ओर अग्रसर होने की करें तो यूजीसी प्रमुख ने कहा, दुनियां भर के विश्वविद्यालय पहले से ही द्विवार्षिक प्रवेश प्रणाली का पालन कर रहे हैं। यदि भारतीय उच्च शिक्षा संस्थान द्विवार्षिक प्रवेश चक्र को अपनाते हैं, तो हमारे उच्च शिक्षा संस्थान अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोग और छात्र आदान-प्रदान को बढ़ा सकते हैं। परिणाम स्वरूप, हमारी वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सुधार होगा और हम वैश्विक शैक्षिक मानकों के अनुरूप होंगे। उन्होंने कहा, यदि उच्च शिक्षा संस्थान द्विवार्षिक प्रवेश को अपनाते हैं, तो उन्हें प्रशासनिक पेचीदगियों, उपलब्ध संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए अच्छी योजना बनाने तथा वर्ष के अलग-अलग समय में प्रवेश पाने वाले छात्रों के साथ सुचारु तरीके से तालमेल बैठाने की खातिर निर्बाध सहायता प्रणाली प्रदान करनी होगी। उच्च शिक्षा संस्थान द्विवार्षिक प्रवेश की उपयोगिता को तभी अधिकतम कर सकते हैं, जब वे संकाय सदस्यों, कर्मचारियों और छात्रों को बदलाव के लिए पर्याप्त रूप से तैयार करें उन्होने हालांकि स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालयों के लिए साल में दो बार प्रवेश देना अनिवार्य नहीं होगा और जिन उच्च शिक्षण संस्थानों के पास आवश्यक ढांचा और शिक्षक संकाय है, वे इस अवसर का लाभ उठा सकते हैं।उन्होंने कहा, उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए द्विवार्षिक प्रवेश देना अनिवार्य नहीं होगा, यह वह लचीलापन है जो यूजीसी उन उच्च शिक्षा संस्थानों को प्रदान करता है जो अपने छात्रों की संख्या बढ़ाना चाहते हैं और उभरते क्षेत्रों में नए कार्यक्रम पेश करना चाहते हैं।

साल में दो बार छात्रों को प्रवेश देने में सक्षम होने के लिए, उच्च शिक्षा संस्थानों को अपने संस्थागत नियमों में उपयुक्त संशोधन करने होंगे। वर्तमान में, विश्वविद्यालय और कॉलेज हर साल जुलाई-अगस्त में नियमित मोड में छात्रों को प्रवेश देते हैं, इसलिए भारत में सभी उच्च शिक्षा संस्थान (एचईआई) जुलाई-अगस्त में शुरू होने वाले और मई-जून में समाप्त होने वाले शैक्षणिक सत्र का पालन करते हैं। पिछले साल, यूजीसी ने छात्रों को एक शैक्षणिक वर्ष के दौरान जनवरी और जुलाई में दो बार मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा (ओडीएल) और ऑनलाइन मोड में प्रवेश देने की अनुमति दी थी। आगे कहा कि पिछले साल के फैसले से लगभग पांच लाख छात्रों को एक पूर्ण शैक्षणिक वर्ष की प्रतीक्षा किए बिना डिग्री पाठ्यक्रमों में शामिल होने में मदद मिली थी। यूजीसी के चेयरमैन ने कहा कि दुनियां भर की यूनिवर्सिटीज पहले से ही साल में दो बार प्रवेश ले रही हैं। यदि भारत के उच्च शिक्षण संस्थान भी इसे अपनाते हैं तो हमारे संस्थान अंतरराष्ट्रीय सहयोग और छात्र आदान-प्रदान बढ़ा सकते हैं। इससे हमारी प्रतिस्पर्धा में सुधार होगा।

हम वैश्विक मानकों के अनुरूप होंगे। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थान साल में दो बार प्रवेश की प्रणाली अपनाते हैं तो उन्हें प्रशासनिक पेचीदगियों, उपलब्ध संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए अच्छी योजना बनाने तथा वर्ष के अलग-अलग समय में प्रवेश पाने वाले छात्रों के साथ सुचारु तरीके से तालमेल बैठाने के लिए निर्बाध सहायता प्रणाली प्रदान करनी होगी, उन्होंने कहा, यूजीसी द्वारा ओडीएल और ऑनलाइन मोड के लिए एक वर्ष में दो चक्र प्रवेश की अनुमति देने के बाद, यूजीसी पोर्टल पर एचईआई द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, जुलाई 2022 में कुल 19,73,056 छात्रों ने पंजीकरण किया और जनवरी 2023 में ओडीएल और ऑनलाइन कार्यक्रमों में अतिरिक्त 4,28,854 छात्र शामिल हुए। उन्होंने कहा, अर्धवार्षिक प्रवेश से सकल नामांकन अनुपात में काफी वृद्धि हो सकती है और भारत को वैश्विक अध्ययन गंतव्य बनाया जा सकता है, जैसा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में परिकल्पित किया गया है।

साथियों बात अगर हम इसके पूर्व अप्रैल में घोषित ग्रेजुएट वाला भी नेट परीक्षा देने के नियम की करें तो, स्नातक डिग्री वाले भी दे सकेंगे यूजीसी नेट परीक्षा। इससे पहले अप्रैल में यूजीसी चीफ ने ऐलान किया था कि चार साल के ग्रेजुएशन डिग्री वाले स्टूडेंट सीधे नीट क्वालीफाई सकते हैं और पीएचडी कर सकते हैं। जूनियर रिसर्च फेलोशिप के साथ या उसके बिना पीएचडी की डिग्री लेने के लिए उम्मीदवारों को अपने चार साल के ग्रेजुएशन कोर्स में कम से कम 75 प्रतिशत अंक लाने होंगे। पहले नेट के लिए उम्मीदवार को न्यूनतम 55 प्रतिशत अंकों के साथ मास्टर डिग्री की जरूरत होती थी, लेकिन अब 4 साल की स्नातक डिग्री वाले छात्र भी इस परीक्षा में शामिल हो सकते हैं। पिछले साल, यूजीसी ने छात्रों को एक शैक्षणिक वर्ष के दौरान जनवरी और जुलाई में दो बार ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग और ऑनलाइन मोड में एडमिशन लेने की अनुमति दी थी।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत में भी अब वर्ष में दो बार एडमिशन देने का यूजीसी का सटीक फ़ैसला। भारत वैश्विक अध्ययन गंतव्य बनने की ओर अग्रसर!यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में सत्र 2024-25 से अब साल में दो बार एडमिशन दिए जा सकेंगे- जुलाई-अगस्त व जनवरी-फरवरी भारत में भी विदेशी विश्वविद्यालय की तर्ज़ पर साल में दो बार एडमिशन, शिक्षित भारत विकसित भारत का आगाज होगा- विजन 2047 की ओर कदम बढ़े।

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