अमेरिकी मूल्यों से लबरेज, बेहतरीन टीम के साथ व्हाइट हाउस में आ रहे हैं ट्रंप….! प्रशासन में भारतवंशियों का दबदबा!

ट्रंप की बेहतरीन टीम में शामिल साथी भारत को एक सहयोगी के रूप में देखते हैं?
ट्रंप के आते ही बांग्लादेश मामले पर सख़्ती, ब्रिक्स करेंसी पर लगाम व भारत से अटूट दोस्ती प्रगाढ़ होने की संभावना- अधिवक्ता के.एस. भावनानी

अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर सारी दुनियाँ की नजरे अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्हाइट हाउस जाकर पद संभालने पर लगी हुई है। क्योंकि उनके चुने जाने भर से ही इजराइल हमास का 60 दिवसीय युद्ध विराम लागू हो गया है। ब्रिक्स सम्मेलन में डॉलर के स्थान पर ब्रिक्स कर्रेंसी का विचार, बांग्लादेश, चीन, पाकिस्तान पर नकेल कसने की बातों सहित अनेक निर्णयों पर एक्शन रिएक्शन की संभावना का बाजार गर्म हो गया है, तो दूसरी ओर ट्रंप प्रशासन के लिए की जा रही महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति जिसकी चर्चा हम नीचे पैराग्राफ में करेंगे, मूल भारतवंशियों की झोली में आई है। जिसमें हम देख रहे हैं कि ट्रंप की बेहतरीन टीम में अभी तक शामिल साथी भारत को एक सहयोगी के रूप में देखते हैं।

इसलिए बांग्लादेश के इस्कॉन पीठाधीश की गिरफ्तारी, जमानत रद्द कर जेल भेजने तथा अन्यों की गिरफ्तारी व भारत, बांग्लादेश संबंधों की खराबी के एक्शन पर रिएक्शन देखने को मिल सकता है तो वहीं दूसरी ओर ब्रिक्स सम्मेलन में डॉलर के स्थान पर ब्रिक्स करेंसी लाने के विचार पर भी रिएक्शन आ गया है। शनिवार दिनांक 30 नवंबर 2024 को देर शाम ट्रंप का बयान आया कि भारत सहित 9 देशों को खुली चेतावनी देकर कहा ऐसा हुआ तो 100 पेर्सेंट टैरिफ लगाकर अमेरिकी बाजार उन देशों के लिए बंद कर देंगे, सहित अन्य मुद्दों पर पूरी दुनियाँ की नजरें लगी हुई है। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से, इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, अमेरिकी मूल्यों से लबरेज, बेहतरीन टीम के साथ पद संभालने व्हाइट हाउस में आ रहे हैं ट्रंप… ट्रंप प्रशासन में भारतवंशियों का दबदबा दिखने की संभावना?

साथियों बात अगर हम ट्रंप प्रशासन के व्हाइट हाउस आने व भारतवंशियों के ट्रंप प्रशासन में दबदबा दिखने की संभावना की करें तो, अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों की धमक लगातार बढ़ती जा रही है। वे शीर्ष अमेरिकी कंपनियों के उच्च पदों से लेकर देश की राजनीति में भी अहम पदों तक पहुंच रहे हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने आगामी प्रशासन के लिए अब तक कई भारतवंशियों को नामित कर चुके हैं। जबकि ट्रंप के पूर्व आध्यात्मिक सलाहकार जानी मूर ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि भारतीय अमेरिकी समुदाय रिपब्लिकन नेता के दूसरे कार्यकाल के केंद्र में होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने काश पटेल को एफबीआई डायरेक्टर पद के लिए नामित किया। पटेल ट्रंप के प्रशासन में कानून और सुरक्षा को मजबूत करेंगे।

ट्रंप ने विवेक रामास्वामी को डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी के लिए चुना है। साथ ही, तुलसी गबार्ड और जय भट्टाचार्य को भी महत्वपूर्ण भूमिकाएं मिली है। उषा वेंस ट्रंप प्रशासन की नई सेकंड लेडी बनेंगी। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को संघीय जांच ब्यूरो के डायरेक्टर पद के लिए अपने निकट सहयोगी एवं विश्वासपात्र काश पटेल को नामित किया। यह चयन ट्रंप के इस दृष्टिकोण के अनुरूप है कि सरकार की कानून प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है। साथ ही ट्रंप ने अपने विरोधियों के विरुद्ध प्रतिशोध की इच्छा जताई है। ऐसे में इस पद के लिए पटेल का चयन मायने रखता है। काश पटेल की नियुक्ति ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही।

पटेल अमेरिका में कानून व्यवस्था और नेशनल सिक्योरिटी को मजबूत करने पर फोकस करेंगे। 44 वर्षीय पटेल 2017 में तत्कालीन ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन के अंतिम कुछ हफ्तों में अमेरिका के कार्यवाहक रक्षा मंत्री के चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में भी काम कर चुके हैं। पेशे से वकील पटेल का संबंध गुजरात में वडोदरा से रहा है। पटेल भारत में अयोध्या में बने राम मंदिर को लेकर दिए बयान की वजह से भी चर्चा में रहे थे। निर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने विवेक रामास्वामी को नए डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी के लिए चुना है। बिजनेसमैन रामास्वामी का काम सरकार को सलाह देना होगा। भारतवंशी रामास्वामी करोड़पति शख्स हैं और एक दवा कंपनी के फाउंडर भी हैं। वे राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी का उम्मीदवार बनने की दौड़ में शामिल थे लेकिन बाद में उन्होंने अपनी दावेदारी वापस ले ली। इसके बाद उन्होंने ट्रंप का समर्थन करने का फैसला किया था।

उनके माता-पिता केरल से अमेरिका चले गए थे। सिनसिनाटी, ओहियो में जन्मे और पले-बढ़े, भारतीय मूल के बिजनेस मैन राष्ट्रीय स्तर के टेनिस खिलाड़ी थे। डेमोक्रेटिक पार्टी की पूर्व सदस्य तुलसी गबार्ड डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस (डीएनआई) के रूप में सेवाएं देंगी। गबार्ड चार बार सांसद रह चुकी हैं। 2020 में वह राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए उम्मीदवार भी थीं। गबार्ड के पास पश्चिम एशिया और अफ्रीका के संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में तीन बार तैनाती का अनुभव है। वह हाल ही में डेमोक्रेटिक पार्टी को छोड़कर रिपब्लिकन पार्टी में शामिल हुई थीं। ट्रंप ने भारतीय अमेरिकी वैज्ञानिक जय भट्टाचार्य को देश के टॉप हेल्थ रिसर्च एवं वित्त पोषण संस्थानों में से एक, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) के निदेशक के रूप में चुना है।

इसके साथ ही भट्टाचार्य, ट्रंप द्वारा शीर्ष प्रशासनिक पद के लिए नामित होने वाले पहले भारतीय अमेरिकी बन गए हैं। डॉ. भट्टाचार्य रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर के साथ मिलकर राष्ट्र के मेडिकल रिसर्च की दिशा में मार्गदर्शन करेंगे। भारतीय अमेरिकी वकील उषा चिलुकुरी वेंस उस समय चर्चा में आईं, जब उनके पति जे.डी. वेंस को रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार नामित किया गया। ट्रंप-वेंस की जीत के साथ, 38 साल की उषा अमेरिका की सेकंड लेडी बनने वाली हैं। इस भूमिका में उषा पहली भारतीय-अमेरिकी होंगी। उषा, ओहियो के सीनेटर जे.डी. वेंस (39) के साथ खड़ी थीं, जब ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद समर्थकों को संबोधित किया।

साथियों बात अगर हम भारत बांग्लादेश तनाव व अल्पसंख्यकों पर अत्याचार में अमेरिकी प्रभाव की करें तो, हाल के दिनों बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न की खबरों और सनातन जागरण मंच के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ़्तारी के बाद भारत और बांग्लादेश के राजनयिक रिश्तों में कड़वाहट साफ दिख रही है। इस मामले को लेकर बांग्लादेश और भारत, दोनों एक दूसरे के खिलाफ टिप्पणी कर चुके हैं। दोनों जगह एक दूसरे के खिलाफ अभियान और विरोध प्रदर्शन भी देखने को मिले हैं।

ताजा घटनाक्रम के बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ प्रमुख लोगों और विश्लेषकों ने यह सवाल उठाना शुरू कर दिया है कि क्या सरकार अल्पसंख्यकों के साथ हो रही घटनाओं को आंतरिक और कूटनीतिक तौर पर ठीक तरह से संभाल पाने में पूर्ण सक्षम है? ऐसे में अमेरिका से एक बड़ा बयान आया है, जिसमें कहा गया है कि, अमेरिका की बाइडेन सरकार ने बांग्लादेश पर अधिक ध्यान नहीं दिया है। यह समय बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के अस्तित्व पर खतरे की तरह है। लेकिन ट्रंप अब आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं आपको यकीन दिलाता हूं कि ट्रंप के पहले कार्यकाल में धार्मिक स्वतंत्रता मानवाधिकारों में शीर्ष प्राथमिकता थी। अमेरिका और भारत के बीच ऐसा सहयोग देखने को मिलेगा, जो अभी तक कभी भी नहीं देखने को मिला था।

साथियों बात अगर हम ब्रिक्स सम्मेलन में ब्रिक्स करेंसी लाने पर विचार के रिएक्शन की करें तो, भारत समेत 9 देशों को ट्रंप की खुली चेतावनी, ट्रंप ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के अपने हैंडल पर लिखा, डॉलर से दूर होने की ब्रिक्स देशों की कोशिश में हम मूकदर्शक बने रहें, यह दौर अब ख़त्म हो गया है, हमें इन देशों से प्रतिबद्धता की जरूरत है कि वे न तो कोई नई ब्रिक्स मुद्रा बनाएंगे, न ही ताकतवर अमेरिकी डॉलर की जगह लेने के लिए किसी दूसरी मुद्रा का समर्थन करेंगे, वरना उन्हें 100 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ेगा।

उन्होंने लिखा अगर ब्रिक्स देश ऐसा करते हैं तो उन्हें शानदार अमेरिकी अर्थव्यवस्था में अपने उत्पाद बेचने को विदा कहना होगा, वे किसी दूसरी जगह तलाश सकते हैं। इसकी कोई संभावना नहीं है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार में ब्रिक्स अमेरिकी डॉलर की जगह ले पाएगा और ऐसा करने वाले किसी भी देश को अमेरिका को गुडबॉय कह देना चाहिए। बीते अक्तूबर में रूस के शहर कज़ान में ब्रिक्स की बैठक हुई थी और उस दौरान भी इस ब्लॉक की ओर से अपनी मुद्रा बनाने से जुड़े कयास लगाए जा रहे थे।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अमेरिकी मूल्यों से लबरेज बेहतरीन टीम के साथ व्हाइट हाउस में आ रहे हैं ट्रंप….! प्रशासन में भारतवंशियों का दबदबा! ट्रंप की बेहतरीन टीम में शामिल साथी भारत को एक सहयोगी के रूप में देखते हैं? ट्रंप के आते ही बांग्लादेश मामले पर सख़्ती, ब्रिक्स करेंसी पर लगाम व भारत से अटूट दोस्ती प्रगाढ़ होने की संभावना।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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