कोलकाता: पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा की तस्वीर पिछले साल की तुलना में एकदम उलट नजर आ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए कोई भी वर्चुअल संबोधन नहीं हुआ और ना ही भाजपा के वरिष्ठ केंद्रीय नेताओं के कोलकाता दौरे का कोई कार्यक्रम ही बना। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का दावा है कि तृणमूल ने ‘दुर्गा पूजा को एक तरह के पार्टी कार्यक्रम में बदल दिया है।
यही कारण है कि उनके स्वयं के उत्सव में चुप्पी का माहौल हैं। वहीं, सत्तारूढ़ दल के नेता इस दावे पर पलटवार करते हुए कहते हैं कि भाजपा ने बंगाल की दुर्गा पूजा और उसकी संस्कृति को कभी भी समझा ही नहीं और इस त्योहार के लिए उसका सारा उत्साह सिर्फ उसके ‘निहित चुनावी हितों’ को साधने का एक तरीका मात्र था।
कुछ शीर्ष भाजपा नेताओं ने कहा कि पूजा पंडालों के आयोजकों को सत्ताधारी पार्टी ने ‘डराया’ और उनसे कहा कि वे अपने कार्यक्रमों में भाजपा कार्यकर्ताओं को शामिल न करें। भाजपा के बंगाल प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का कहना है कि पार्टी के नेता जानबूझकर अपने कार्यकर्ताओं की (सुरक्षा की) खातिर ही दुर्गा पूजा में सक्रिय भागीदारी से बच रहे हैं।
भाजपा नेताओं के आरोपों और दावों पर प्रतिक्रिया करते हुए, तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय ने कहा कि भाजपा दुर्गा पूजा और इससे जुड़ी आम बंगालियों की भावनाओं को समझने में विफल रही है। दमदम के इस लोकसभा सांसद ने कहा, ‘दुर्गा पूजा मुख्य रूप से एक बंगाली त्योहार है. पिछले साल, बीजेपी ने इसे बड़े पैमाने पर मनाने की कोशिश की, जिसमें पीएम मोदी और अन्य वरिष्ठ नेता भी शामिल थे लेकिन चुनाव के बाद वे बुरी तरह से निराश हो गए और उन्होंने अपनी रुचि खो दी।
वे बंगाली मानस से कभी नहीं जुड़ ही नहीं सके. दुर्गा पूजा के लिए उनके मन में कभी कोई प्यार नहीं था, यह उनके लिए एक राजनीतिक कार्यक्रम भर था। तृणमूल के राज्य महासचिव कुणाल घोष ने भी तृणमूल द्वारा दुर्गा पूजा समारोहों पर कब्जा किये जाने के बारे में भाजपा के दावों को खारिज कर दिया। घोष का दावा है, ‘बंगाल के लोगों ने दीदी (ममता बनर्जी) में मां दुर्गा को देखा है।
उन्होंने उन सब को भाजपा नामक फासीवादी ताकत से बचाया है। उन्हें दीदी पर किसी और से कहीं ज्यादा भरोसा है। इसलिए, वे उन्हें अपनी पूजा का उद्घाटन करने के लिए बुला रहे हैं। भाजपा लोगों के साथ ऐसा संबंध विकसित करने में विफल क्यों रही? उनके शीर्ष नेता कहां है? मुझे लगता है उनके (मोदी) के पास अब बंगाल और बंगालियों के लिए कोई समय नहीं है।