कोलकाता। पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी की तरह खुले तौर पर तो नहीं, लेकिन बीरभूम जिला अध्यक्ष अनुब्रत मंडल से पार्टी नेतृत्व के दूर होने के संकेत मिल रहे हैं। मंडल वर्तमान में पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के मवेशी घोटाले के कथित संबंध के लिए न्यायिक हिरासत में है। पार्टी के जिला नेतृत्व को स्पष्ट निर्देश आ गया है कि महीने के अंत तक जिले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की उपस्थिति वाले पार्टी और प्रशासनिक कार्यक्रमों में मंडल की कोई भी तस्वीर प्रदर्शित नहीं की जाए।
पार्टी सूत्रों के अनुसार शनिवार शाम को पार्टी की जिला कमेटी की बैठक में इस बाबत स्पष्ट निर्देश दिया गया। यह निर्णय लेने के दो कारण हैं। पहला कारण यह है कि जिला अध्यक्ष की तस्वीरें प्रदर्शित करने से कुछ कानूनी अड़चनें आ सकती हैं, जिसे विपक्षी दल एक मुद्दा बना सकते हैं। दूसरा, यह स्पष्ट नहीं है कि मंडल कब वापस आएंगे। नेतृत्व चाहता है कि मंडल की अनुपस्थिति में बीरभूम नेतृत्व स्वतंत्र रूप से काम करे।
उन्होंने स्वीकार किया कि यह निर्देश पार्टी की बीरभूम जिला समिति के कई सदस्यों के लिए आश्चर्य की बात है। तृणमूल कांग्रेस ने पार्थ चटर्जी को पिछले साल जुलाई में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा राज्य में शिक्षक भर्ती घोटाले में उनकी कथित संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के बाद उनको मंत्री पद से हटा दिया था। हालांकि मवेशी तस्करी घोटाले के सिलसिले में पिछले साल अगस्त में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा मंडल की गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री सहित पार्टी नेतृत्व उनके साथ खड़ा है।
जेल जाने के बाद भी मंडल पार्टी के बीरभूम जिला अध्यक्ष बने रहे। राज्य के नगरपालिका मामलों और शहरी विकास मंत्री और कोलकाता के मेयर फिरहाद हाकिम ने तो मंडल को बीरभूम का शेर तक कह डाला। हालांकि सीबीआई ने अदालत में हकीम के उस बयान का इस्तेमाल मंडल के खिलाफ किया। राजनीतिक पर्यवेक्षकों को भी लगता है कि मुख्यमंत्री की बैठक में मंडल की तस्वीर नहीं लगाने का फैसला इस बात का संकेत है कि धीरे-धीरे पूर्व कद्दावर नेता से पार्टी की दूरी का सिलसिला शुरू हो गया है।