कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट न्याय का मंदिर कम और राजनीति का अखाड़ा अधिक बनता जा रहा है। शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में एक के बाद एक सीबीआई जांच का आदेश देने वाले न्यायाधीश अभिजीत गांगुली के बाद अब एक और न्यायाधीश की पीठ का बहिष्कार तृणमूल कांग्रेस समर्थित वकीलों ने सोमवार से शुरू कर दिया है। न्यायालय के गेट पर सुबह 10:30 बजे कोर्ट खुलते ही तृणमूल समर्थक वकीलों का जमावड़ा और नारेबाजी शुरू हो गई थी। उन्होंने न्यायाधीश के कोर्ट के बाहर गेट जाम कर दिया और किसी को भी अंदर जाने से रोकने लगे। इसकी वजह से जस्टिस मंथा की एकल पीठ में सुनवाई ठप हो गई। हालांकि बाकी वकीलों ने तृणमूल समर्थक वकीलों के इस बर्ताव को लेकर विरोध जताया।
वरिष्ठ अधिवक्ता कौस्तुभ बागची ने इसे लेकर न्यायमूर्ति मंथा से हस्तक्षेप की मांग की और मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव से भी इस मामले में हस्तक्षेप कर ऐसा बर्ताव करने वाले वकीलों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। मुख्य न्यायाधीश ने भी इस मामले में नाराजगी जाहिर करते हुए वकीलों के इस बर्ताव पर सवाल खड़ा किया है। केंद्र सरकार के डिप्टी सॉलिसिटर जनरल बिलबदल भट्टाचार्य ने कोर्ट रूम नंबर 13 जिसमें जस्टिस मंथा बैठकर सुनवाई करते हैं उसका जिक्र करते हुए मुख्य न्यायाधीश के खंडपीठ में कहा कि वकीलों के इस बर्ताव से बहुत ही गलत संदेश जा रहा है।
अधिवक्ता श्रीजीव चक्रवर्ती ने न्यायालय में वकीलों के इस बर्ताव का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाला है। वरिष्ठ अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य ने भी मामले में मुख्य न्यायाधीश का ध्यानाकर्षण किया और इस पर तुरंत हस्तक्षेप की मांग की। इसके बाद न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव ने बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को तलब किया है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर इस मामले को सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाया जाएगा। ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राज्य के महाधिवक्ता सोमेंद्र नाथ मुखर्जी हैं।
मुख्य न्यायाधीश ने उनसे पूछा कि किसी भी जज की बेंच का बहिष्कार कैसे किया जा सकता है। हालांकि सोमेंद्र नाथ मुखर्जी ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है। वह खोज खबर ले रहे हैं। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा कि विरोध प्रदर्शन तत्काल खत्म करिए नहीं तो कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि अगर इसकी वीडियो और फोटो सुप्रीम कोर्ट चली गई तो सबके लिए समस्या हो जाएगी।
उल्लेखनीय है कि इसके पहले शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार को लेकर जब न्यायाधीश अभिजीत गांगुली एक के बाद एक सीबीआई जांच के आदेश दे रहे थे तब भी तृणमूल समर्थित वकीलों ने कई दिनों तक कोर्ट में ऐसा किया था। हालांकि बाद में सीबीआई जांच शुरू होते ही राज्य में दुनिया के सबसे बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ और पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की करीबी के घर से करोड़ों रुपये नगदी मिले।