तारकेश कुमार ओझा , खड़गपुर : अपने जीवन काल में छह हजार से अधिक शवों का अंतिम संस्कार कर जीवंत किवदंति बन चुके दिवंगत मोहन लाल दत्ता को उनकी मृत्यु वार्षिकी पर शहरवासियों ने याद किया । स्थानीय नगरपालिका की ओर से आयोजित श्रद्धांजलि सभा में खरीदा स्थित मंदिर तालाब श्मशान घाट पर बने उनके स्मारक पर स्व . दत्ता को चाहने वालों का जमावड़ा लगा । लोगों ने दिवंगत आत्मा को नमन किया । स्मारक पर माल्यार्पण करने वालों में पूर्व सभासद कल्याणी घोष , दीपेंदु पाल और दत्ता के छोटे भाई विजन लाल दत्ता प्रमुख रहे । शहर के खरीदा निवासी मोहन लाल दत्ता पेशे से रेलवे कर्मचारी थे । वे रेल महकमे के विद्युत विभाग में फोरमैन पद पर कार्यरत थे । महज 18 साल की उम्र में किसी शव का असम्मानजनक तरीके से शवदाह किए जाने की घटना ने उनके मानस पर ऐसा असर डाला कि शवों का सम्मानजनक तरीके से अंतिम संस्कार करने को ही उन्होंने अपने जीवन का ध्येय बना लिया। वे आजीवन इस पर कायम रहे।
मोहन लाल के छोटे भाई विजन लाल दत्ता ने बताया कि यह कार्य वे बिल्कुल निश्शुल्क करते थे । अनुमान के मुताबिक अपने जीवन में उन्होंने छह हजार से अधिक शवों का अंतिम संस्कार किया । 2012 में उनका निधन हो गया , हालांकि जीवन के आखिरी दिन भी वे एक शव के अंतिम संस्कार में जुटे रहे । उनके इस नेक कार्य के चलते लोगों ने उन्हें ” श्मशानबंधु ” की उपाधि दी थी । उनके योगदान को देखते हुए स्थानीय नगरपालिका प्रशासन ने तीन साल पहले खरीदा स्थित मंदिर तालाब श्मशान घाट पर उनका स्मारक तैयार किया था । तभी से हर साल उनकी मृत्यु वार्षिकी पर माल्यार्पण कार्यक्रम आयोजित किया जाता है ।