वाराणसी। सर्प स्तोत्र का पाठ करने से काल सर्प दोष से निजात मिलती है और सर्प का भय नहीं रहता
श्री नवनाग स्तोत्र :-
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शङ्खपालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा
अर्थ :- अनंत, वासुकी, शेषनाग, पद्मनाभ, कंबल, शंखपाल, धृतराष्ट्र और तक्षक यह नाग देवता के प्रमुख नौ नाम माने गये हैं।
एतानि नवनामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायङ्काले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषतः
अर्थ :- जो लोग नित्य ही सायंकाल और विशेष रूप से प्रातःकाल इन नामों का उच्चारण करते हैं।
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्
अर्थ :- उन्हें सर्प और विष से कोई भय नहीं रहता तथा उनकी सब जगह विजय होती है, अर्थात सफलता मिलती हैं।
ज्योतिर्विद रत्न वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 99938 74848
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च कर, फॉलो करें।