जीवन के सारे रहस्य खोल देती हैं हथेली की ये प्रमुख रेखाएं

वाराणसी। सभी जातकों की हथेली में तीन रेखाएं मुख्य रूप से दिखाई देती हैं। ये तीनों रेखाएं जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा के नाम से जानी जाती है।यहां से होती है इन 3 मुख्य रेखाओं की उत्पत्ति

1. गुरु पर्वत यानी तर्जनी उंगली के निचले भाग के बाद जो गहरी रेखा निकलती है और शुक्र पर्वत यानी अंगूठे के निचले भाग को घेरे हुए मणिबंध तक ऊपरी भाग पर समाप्त होती है। वह रेखा जीवन रेखा कहलाती है।

2. यदि मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा लगभग एक ही स्थान से प्रारंभ होती है। यदि इन रेखाओं के उत्पत्ति स्थान के बीच थोड़ा अंतर हो तो व्यक्ति स्वतंत्र विचारोंवाला होता है।

3. हृदय रेखा – तर्जनी उंगली या मध्यमा उंगली के नीचले भाग के आस-पास से शुरू होकर जो रेखा कनिष्का यानी सबसे छोटी उंगली के निचले भाग की तरफ जाती है, उसे हृदय रेखा कहते हैं।

* छोटी जीवन रेखा कम उम्र और लंबी जीवन रेखा लंबी उम्र की तरफ इशारा करती है। टूटी हुई जीवन रेखा अशुभ मानी जाती है। लेकिन इस रेखा के साथ ही कोई अन्य रेखा समानांतर रूप से चल रही हो तो इसका अशुभ प्रभाव नष्ट हो सकता है।

* लंबी, गहरी, पतली और साफ जीवन रेखा शुभ होती है। जीवन रेखा पर क्रॉस का चिह्न अशुभ होता है। यदि जीवन रेखा शुभ है तो व्यक्ति की आयु लंबी होती है और उसका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।

* यदि दोनों हाथों में जीवन रेखा टूटी हुई हो तो व्यक्ति को असमय मृत्यु समान कष्टों का सामना करना पड़ सकता है। यदि एक हाथ में जीवन रेखा टूटी हो और दूसरे हाथ में यह रेखा ठीक हो तो इसे किसी गंभीर बीमारी का संकेत माना जाता है।

* यदि किसी व्यक्ति के हाथ में जीवन रेखा श्रृंखलाकार या अलग-अलग टुकड़ों से जुड़ी हुई या बनी हुई हो तो व्यक्ति निर्बल हो सकता है। ऐसे लोग स्वास्थ्य की दृष्टि से भी परेशानियों का सामना करते हैं। ऐसा विशेषत: तब होता है, जब हाथ बहुत कोमल हो। जब जीवन रेखा के दोष दूर हो जाते हैं तो व्यक्ति का जीवन सामान्य हो जाता है।

* यदि जीवन रेखा से कोई शाखा गुरु पर्वत क्षेत्र यानी इंडेक्स फिंगर के निचले भाग की ओर उठती दिखाई दे या गुरु पर्वत में जा मिले तो इसका अर्थ यह समझना चाहिए कि व्यक्ति को कोई बड़ा पद या व्यापार-व्यवसाय में तरक्की प्राप्त होती है।

* यदि जीवन रेखा से कोई शाखा शनि पर्वत क्षेत्र यानी मध्यमा उंगली के निचले भाग तक उठकर भाग्य रेखा के साथ-साथ चलती दिखाई दे तो इसका अर्थ यह होता है कि व्यक्ति को धन-संपत्ति का लाभ हो सकता है।

* यदि जीवन रेखा, हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा तीनों प्रारंभ में मिली हुई हो तो व्यक्ति भाग्यहीन, दुर्बल और परेशानियों से घिरा होता है।

* यदि जीवन रेखा को कई छोटी-छोटी रेखाएं काटती हुई नीचे की ओर जाती हो तो यह व्यक्ति के जीवन में परेशानियों को दर्शाता है। यदि इस तरह की रेखाएं ऊपर की तरफ जा रही हों तो व्यक्ति को सफलता मिलती है।

* यदि जीवन रेखा गुरु पर्वत से प्रारंभ हुई हो तो व्यक्ति अति महत्वाकांक्षी होता है। ये लोग अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।

* यदि टूटी हुई जीवन रेखा शुक्र पर्वत के भीतर की ओर मुड़ती है तो यह अशुभ लक्षण होता है। ऐसी जीवन रेखा किसी बड़े संकट से सामना होने की सूचना देती है।

* यदि जीवन रेखा अंत में दो भागों में विभाजित हो गई हो तो व्यक्ति की मृत्यु जन्म स्थान से दूर होती है।

* अंगूठे के नीचेवाले भाग को शुक्र पर्वत और शुक्र के दूसरी ओर चंद्र पर्वत होता है। जिस व्यक्ति के हाथ में जीवन रेखा चंद्र पर्वत तक जाती है उसका जीवन अस्थिर हो सकता है। यदि इस प्रकार की जीवन रेखा कोमल हाथों में हो और मस्तिष्क रेखा भी ढलान लिए हुए हो तो व्यक्ति का स्वभाव स्थिर होता है।

* जीवन रेखा पर वर्ग का चिह्न हो तो यह व्यक्ति के जीवन की रक्षा करता है। आयु के संबंध में जीवन रेखा के साथ ही स्वास्थ्य रेखा, हृदय रेखा, मस्तिष्क रेखा और अन्य छोटी-छोटी रेखाओं पर भी विचार किया जाता है।

* जीवन रेखा जहां-जहां श्रृंखलाकार होगी, उस आयु में व्यक्ति किसी बीमारी से ग्रसित हो सकता है।

पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री

ज्योर्तिविद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848

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