वाराणसी । पितृपक्ष के दौरान पूरे 15 दिनों तक घर में सात्विक माहौल होना चाहिए। इस दौरान घर में मांसाहारी भोजन नहीं बनाना चाहिए। हो सके तो इन दिनों लहसुन और प्याज का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
पितृपक्ष में श्राद्धकर्म करने वाले व्यक्ति को पूरे 15 दिनों तक बाल और नाखून नहीं कटवाने चाहिए। साथ ही इन लोगों को ब्रह्माचार्य का पालन भी करना चाहिए।
माना जाता है कि पितृपक्ष के दौरान पूर्वज पक्षी के रूप में धरती पर आते हैं। इसलिए उन्हें सताना नहीं चाहिए। ऐसा करने से पूर्वज नाराज हो जाते हैं बल्कि पितृपक्ष में पशु-पक्षियों की सेवा करनी चाहिए।
पितृपक्ष के दौरान न सिर्फ मांसाहारी बल्कि कुछ शाकाहारी चीजों खानी भी वर्जित मानी जाती है। इन दिनों लौकी, खीरा, चना, जीरा और सरसों का साग नहीं खाने की मनाही होती है।
पितृपक्ष में किसी भी तरह का मांगलिक कार्य नहीं करनी चाहिए। शादी, मुंडन, सगाई और गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य पितृपक्ष में वर्जित माने जाते हैं। पितृपक्ष के दौरान शोकाकुल का माहौल होता है इसलिए इन दिनों कोई भी शुभ कार्य करना अशुभ माना जाता है।
ज्योतिर्विद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848