कोलकाता। राज्य के बहुचर्चित शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में तमाम अड़चनों के बावजूद सीबीआई जांच का आदेश देकर सुर्खियों में आए कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश अभिजीत गांगुली को आम लोग भगवान की तरह मानने लगे हैं। शुक्रवार को न्यायमूर्ति गांगुली की एकल पीठ में एक मामले की सुनवाई चल रही थी। दोनों पक्षों के वकीलों के बीच तीखी नोकझोंक हो रही थी तो दूसरी ओर एक महिला अपने बच्चे को साथ लेकर हाथ जोड़े खड़ी थी। चेहरे पर मायूसी आंखों में निराशा और सामान्य कपड़े में उस महिला पर अचानक न्यायाधीश की नजर पड़ गई। उन्होंने सुनवाई रुकवाई और महिला से पूछा कि क्या बात है।
उसके बाद से महिला ने बताया कि उसका नाम मिताली दास है। वह बीरभूम से आई है। 2018 में उनके पति ने केस किया था। उसके बाद न्यायमूर्ति गांगुली के निर्देश पर वह जिला कोर्ट में पहुंची थी जहां 10 हजार के बजाय आठ हजार रुपये की वित्तीय मदद देने के निर्देश दिए गए थे लेकिन इससे उसे और उसके दिव्यांग बच्चे के इलाज में असुविधा हो रही है। उसने यह भी बताया कि वह हाईकोर्ट आई है जिसकी वजह से जिला जज भी नाराज हैं। इसके बाद न्यायमूर्ति गांगुली ने कहा चिंता नहीं करें।
इसके बाद न्यायमूर्ति गांगुली ने कहा कि जिला जज ने जो आठ हजार रुपये देने के निर्देश दिए हैं उसकी कॉपी मुझे दीजिए। मिताली ने बताया कि 2019 में हाईकोर्ट ने पति को निर्देश दिया था कि हर महीने 10 हजार रुपये देना होगा लेकिन जिला जज सुशील गुप्ता ने उसे घटाकर आठ हजार कर दिया है। इसके बाद न्यायाधीश ने कहा कि आपके पति क्या करते हैं। तब महिला ने बताया कि वह पेशे से शिक्षक हैं। उसके बाद जस्टिस ने अपने पेशकार से कहा कि इन के मामले को नोट करिए और पूरा अपडेट मुझे दीजिए।