अमेरिका का भव्य अद्भुत अक्षरधाम मंदिर दुनियां में अभूतपूर्व दुर्गम रिकॉर्ड कायम करेगा
अमेरिका में 185 एकड़ में फैले अक्षरधाम मंदिर में भारतीय कला, वास्तुकला, संस्कृति व आध्यात्मिकता का संचार पाने का स्वर्णिम अवसर होगा – एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया
किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर आदि अनादि काल से भारत संस्कृति, वास्तुकला व आध्यात्मिकता का गढ़ रहा है जो हजारों वर्ष पूर्व के भारतीय इतिहास में हमें देखने को मिलता है। समय का चक्र चलता रहा और पावन भारतीय भूमि ने अनेक विपत्तियों के साथ अंग्रेजों का शासन अखंड भारत का विघटन भी देखा और सामाजिक उतार-चढ़ाव के चक्र ऐसे चले कि अनेक भारतीय नागरिक पूरी दुनियां में अलग अलग देश में जाकर बसते चले गए और उनका कुनबा बढ़ने के साथ, रिश्तेदार, जानकार, जान पहचान वाले अन्य लोगों सहित नौकरी पेशे के हित में लाखों भारतीय विदेश में बसते चले गए, परंतु उनकी जड़े तो भारत से ही थी। उन्होंने वैश्विक स्तर पर पूरी दुनियां में अपनी खुशबू बिखेर दी, बौद्धिक क्षमता, नेतृत्व कला अपनी संस्कृति आध्यात्मिकता के गुणों से अनेक देशों में वहां के नागरिकों को प्रभावित कर उन देशों के सबसे प्रमुख पदों पर जाकर आसीन हुए हैं।
यहां तक कि ब्रिटेन, सिंगापुर के पीएम और अमेरिका के उपराष्ट्रपति सहित अनेक देशों में अनेक प्रमुख राजनीतिक शासकीय पदों पर विराजमान हैं। यह सब तो हम जानते ही हैं परंतु दिनांक 25 सितंबर 2023 को देर शाम अमेरिका में दुनियां के दूसरे सबसे बड़े मंदिर अक्षरधाम का उद्घाटन 8 अक्टूबर 2023 को होने की जानकारी मीडिया में आने से भारत सहित पूरे विश्व में निवासी भारतवंशियों के हृदय गर्व से झूम उठे। खासकर भारत से सात समंदर पार विश्व के दूसरे सबसे बड़े मंदिर के बारे में जानने के लिए जिज्ञासा उठ पड़ी है। इसके उद्घाटन में अनेक देशों, अमेरिकी शासन व राजनीति के कुछ प्रमुख चेहरे भी होंगे।
मेरा एक सुझाव है कि इस गौरवविंत क्षण का साक्षी बनने के लिए भारत सरकार के प्रमुख और अमेरिकी सरकार के प्रमुख की उपस्थिति सुनिश्चित करने की कोशिश की जाए तो अभूतपूर्व इतिहास बन जाएगा। चूंकि अमेरिका में 8 सितंबर 2023 को दुनियां के दूसरे सबसे बड़े मंदिर का उद्घाटन हो रहा है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे। अमेरिका में 185 एकड़ में फैले अक्षरधाम मंदिर से भारतीय कला, वास्तुकला संस्कृति व आध्यात्मिकता का संचार पानें का स्वर्णिम अवसर होगा।
साथियों बात अगर हम इस हिंदू मंदिर के बारे में जानने की करें तो, इस मंदिर का डिजाइन भारत में ही किया गया था। यूरोप के कई हिस्सों से पत्थर निकाले गए और फिर भारत भेजा गया, जहां इसे तराशा गया। फिर इसे अमेरिका भेज दिया गया। भारत के बाहर निर्मित दुनियां के सबसे बड़े हिंदू मंदिर का उद्घाटन 8 अक्टूबर को न्यू जर्सी में होने वाला है। न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर से लगभग 90 किमी दक्षिण में या वाशिंगटन डीसी से लगभग 289 किमी दूर उत्तर में, न्यू जर्सी के छोटे रॉबिन्सविले टाउनशिप में बीएपीएस स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर को 12,500 से अधिक की वॉलंटियर्स द्वारा बनाया गया है। अपने जटिल डिजाइन, आध्यात्मिक महत्व और स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता के साथ, स्वामीनारायण अक्षरधाम मानव समर्पण, परंपरा और कलात्मकता के प्रमाण के रूप में खड़ा है। इस ग्रैंड टेंपल का निर्माण 2015 में शुरू हुआ था। इसका उद्घाटन 8 अक्टूबर 2023 को महंत स्वामी महाराज और अन्य लोगों की ओर से किया जाएगा। मंदिर का डिज़ाइन प्राचीन ज्ञान का सच्चा प्रमाण है, जिसमें हिंदू धर्मग्रंथों और संस्कृति से लिए गए तत्व शामिल हैं।
इसकी विस्मयकारी विशेषताओं में 10, हज़ार मूर्तियाँ, भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों और नृत्य रूपों की जटिल नक्काशी और भी बहुत कुछ हैं। यह वास्तुशिल्प उत्कृष्ट कृति उस समृद्ध विरासत का प्रतिबिंब है जो इसका प्रतिनिधित्व करती है। प्रभावशाली 255 फीट x 345 फीट x 191 फीट माप वाला, न्यू जर्सी अक्षरधाम मंदिर संभवतः विश्व स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है, जो केवल कंबोडिया के अंगकोर वाट से पीछे है। मंदिर परिसर में एक मुख्य मंदिर, 12 उप-मंदिर, नौ शिखर (शिखर जैसी संरचनाएं) और नौ पिरामिड शिखर हैं, जिसमें पारंपरिक पत्थर वास्तुकला का अब तक का सबसे बड़ा अण्डाकार गुंबद है। यह मंदिर भारत के बाहर आधुनिक समय में बना दूसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है। इस मंदिर को बनाने में चार तरह के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। इसमें लाइम स्टोन, पिंक सैंडस्टोन, मार्बल ग्रेनाइट का इस्तेमाल हुआ है। लाइमस्टोन को बुल्गारिया और तुर्की, मार्बल को ग्रीस और इटली, ग्रेनाइट को भारत और चीन से लाया गया था। सैंडस्टोन भी भारत से लाया गया। मंदिर परिसर में एक ब्रह्मकुड भी है, जिसमें भारत की पवित्र नदियों और अमेरिका की नदियों का पानी है।
साथियों बात अगर हम मंदिर की आध्यात्मिकता और इतिहास की करें तो, एक स्वयंसेवक नेमीडिया से कहा, मेरे गुरु और उन्होंने मेरे लिए जो किया, यही कारण था कि मैं सब कुछ छोड़कर यहां आ पाई। वह मेरी प्रेरणा थे। उन्होंने बहुत प्रेरणादायक जीवन जीया है। अपनी भारतीय संस्कृति को प्रदर्शित करने और फैलाने के लिए यहां एक स्मारक, एक महामंदिर बनाया गया। आगे कहा कि यह मेरी पहचान का एक हिस्सा है कि मैं एक हिंदू-अमेरिकी के रूप में कौन हूं? यह किसी बड़ी चीज का हिस्सा बनने का एक तरीका था। कुछ ऐसा जो आने वाली पीढ़ियों को प्रभावित करेगा। यह सिर्फ मेरे लिए कुछ नहीं है, बल्कि यह आपको धन्यवाद कहने और जीवन भर के लिए प्रभाव डालने का एक छोटा सा तरीका है।
यह मंदिर अमेरिका का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर, स्वामीनारायण अक्षरधाम है। इसे बनाने में करीब 15 वर्ष लगे। यह 183 एकड़ में फैला हुआ है। भारत के बाहर बनाया गया यह भव्य मंदिर19वीं सदी के हिंदू आध्यात्मिक गुरु भगवान स्वामीनारायण को समर्पित है। मंदिर में भारतीय इतिहास को तराशा गया है। मंदिर को सभी श्रद्धालुओं के लिए खोला जाएगा। इससे वे भारतीय कला, वास्तुकला और संस्कृति सीखेंगे। यह मंदिर इस राष्ट्र के ताने-बाने को जोड़ता है। यह न केवल कई अमेरिकियों के लिए जश्न मनाने का गर्व का क्षण है। यह एक ऐसा स्थान होगा जहां हम सबको ला सकते हैं। वे न केवल संस्कृति, कला के बारे में सीखेंगे, बल्कि तीन दिन से लेकर तीन साल तक के 12,500 से अधिक स्वयंसेवकों की भक्ति के बारे में भी जानेंगे।
इस मंदिर को प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार बनाया गया है और इसमे मूर्तियों एवं प्रतिमाओं, भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों और नृत्य रूपों की नक्काशी सहित प्राचीन भारतीय संस्कृति को दर्शाया गया है।भारत के बाहर बनाया गया 12वीं सदी में निर्मित अंकोरवाट मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है, जो 500 एकड़ में फैला है। यह यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन) का विश्व धरोहर स्थल है। नई दिल्ली स्थित अक्षरधाम मंदिर 100 एकड़ में बना है। इसे 2005 में आम लोगों के लिए खोला गया था। स्वामी ने कहा कि, हमारे आध्यात्मिक नेता (प्रमुख स्वामी महाराज) का दृष्टिकोण था कि पश्चिमी गोलार्ध में एक ऐसा स्थान होना चाहिए जो न केवल हिंदुओं के लिए, न केवल भारतीयों के लिए, न केवल कुछ समूहों के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए होना चाहिए। जहां लोग आ सकें और हिंदू परंपरा में आधारित कुछ मूल्यों, सार्वभौमिक मूल्यों को सीख सकें। यहां इतिहास को तराशा जा रहा है। मंदिर को सभी आगंतुकों के लिए खोला जाएगा। इससे वे भारतीय कला, वास्तुकला और संस्कृति सीखेंगे। यह मंदिर इस राष्ट्र के ताने-बाने को जोड़ता है। यह न केवल कई अमेरिकियों के लिए जश्न मनाने का गर्व का क्षण है, लेकिन जब मैं अपने पड़ोसी जो को लेकर आया तो वह भी भारतीय संस्कृति, भारतीय कला और विशेष रूप से हिंदू धर्म के बारे में जानने के लिए बहुत उत्सुक था। यह एक ऐसा स्थान होगा जहां हम उन्हें ला सकते हैं।
साथियों बात अगर हम हिंदू मंदिर के उद्घाटन की करें तो, न्यू जर्सी अक्षरधाम में एक स्वयंसेवक ने मीडिया को बताया कि यह स्मारकीय स्थान सभी को सांत्वना और शांति प्रदान करेगा। बता दें कि यह उद्घाटन समारोह लगभग एक हफ्ते तक चलेगा, जिसमें कई अमेरिकी कांग्रेसियों, सीनेटरों बाइडन प्रशासन के अधिकारियों के साथ-साथ राज्य के गर्वनर शामिल होंगे। एक रोचक बात यह है कि नई दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड मिला हुआ है। यह मंदिर 100 एकड़ में फैला हुआ है। वहीं, अमेरिका का अक्षरधाम मंदिर भी रिकॉर्ड तोड़ने के लिए तैयार है। स्वामीनारायण संस्था ने भारत, ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, केन्या, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में लगभग 1,400 मंदिरों का निर्माण किया है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अमेरिका में दुनियां का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर बनकर तैयार – उद्घाटन 8 अक्टूबर 2023 को होगा। अमेरिका का भव्य अद्भुत अक्षरधाम मंदिर दुनियां में अभूतपूर्व दुर्गम रिकॉर्ड कायम करेगा। अमेरिका में 185 एकड़ में फैले अक्षरधाम मंदिर में भारतीय कला, वास्तुकला संस्कृति व आध्यात्मिकता का संचार पाने का स्वर्णिम अवसर होगा।