हावड़ा। पर्युषण पर्व का जैन समाज में सबसे अधिक महत्व है, इस पर्व को आत्मा की शुद्धि का पर्व पर्वाधिराज कहा जाता है। पर्युषण पर्व आध्यात्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से आत्मा की शुद्धि का पर्व माना जाता है। गच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री मुक्तिप्रभ सूरीश्वरजी म.सा, आचार्य भगवंत डॉ. विनीत प्रभ सुरीश्वरजी म.सा. एवं अनादि श्रमण भगवन्त के पावन आशीर्वाद से हावड़ा स्थित श्री शान्तिनाथ जिनालय (लिलुआ) में भक्ति संध्या का आयोजन श्री लिलुआ श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ द्वारा किया गया।
भक्ति संध्या का कार्यक्रम समवेग युवा ग्रुप द्वारा किया गया जिसमें मुख्य रूप से भजन कलाकार श्री वाशु सिपानी एवं श्री हेमन्त बांगानी ने देर रात तक एक से बढ़कर एक भजनों की प्रस्तुति दी, जिसकी श्रद्धालुओं ने खूब सराहना की। भजन संध्या में “ओ पालनहारे” “पंखीरा” जैसे शानदार भजन प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर सारा माहौल भक्तिमय कर दिया।
सभी श्रोतागण भजन पर नृत्य एवं डांडिया खेल रहे थे। इस दौरान भगवान शांतिनाथ की प्रतिमा का लोगों ने दर्शन किया। आस-पास क्षेत्रों के हजारों भक्तजन भी उपस्थित थे। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में श्री अजीतजी बरडिया एवं, श्री मेहुल संघवी एवं श्री निरंजन कुमार जी डागा का विशेष योगदान रहा।