The rising temperature of the Indian Ocean will trouble the Earth: Research

हिन्द महासागर का बढ़ता तापमान करेगा पृथ्वी को परेशान: शोध

निशान्त, Climateकहानी, कोलकाता। एक नए अध्ययन ने हिंद महासागर के भविष्य के बारे में चौंकाने वाली जानकारी सामने रखी है। इस अध्ययन के अनुसार, हिंद महासागर का तेजी से गर्म होना वैश्विक जलवायु को प्रभावित कर सकता है। अध्ययन में पाया गया है कि हिंद महासागर का तापमान अब तक की रफ्तार से कहीं ज्यादा बढ़ रहा है। साथ ही, मौसमी चक्र और मौसम पैटर्न में बदलाव हो रहे हैं, जिससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अत्यधिक मौसमी घटनाओं में वृद्धि हो सकती है।

अध्ययन के अनुसार, समुद्र की सतह का तापमान लगातार बढ़ने से साल भर 28 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहने का अनुमान है। इससे तटीय समुदायों को खतरा हो सकता है क्योंकि चक्रवात और भारी वर्षा की घटनाएं ज्यादा तीव्र और बार-बार हो सकती हैं।

The rising temperature of the Indian Ocean will trouble the Earth: Research

अध्ययन में पाया गया है कि हिंद महासागर का गर्म होना सिर्फ सतह तक सीमित नहीं है, बल्कि समुद्र में गर्मी का भंडार तेजी से बढ़ रहा है। इसका नतीजा समुद्र का जलस्तर बढ़ने के साथ-साथ समुद्री ऊष्म तरंगों का बनना भी है। इससे समुद्री जैव विविधता और मछलियों पर बुरा असर पड़ेगा।

अध्ययन यह भी बताता है कि मानसून और चक्रवातों को प्रभावित करने वाली महत्वपूर्ण घटना द्विध्रुवीय वेधशाला (इंडियन ओशन डायपोल) में भी बदलाव आने की संभावना है। शताब्दी के अंत तक अत्यधिक द्विध्रुवीय घटनाओं में 66% तक वृद्धि का अनुमान है।

शायद सबसे चिंताजनक बात समुद्र के अम्लीकरण में तेजी आना है। इससे मूंगे की चट्टानों और खोल वाले जीवों सहित समुद्री पारिस्थितिकी तंत्रों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। अध्ययन चेतावनी देता है कि समुद्र की सतह के पीएच में कमी आने से बड़े पैमाने पर आवास का विनाश और पारिस्थितिकी तंत्र का खत्म होना हो सकता है, अगर इस पर ठोस कदम नहीं उठाए गए।

The rising temperature of the Indian Ocean will trouble the Earth: Research

अध्ययन के मुख्य लेखक रॉक्सी मैथ्यू कोल का कहना है कि, “इन बदलावों का असर सिर्फ आने वाली पीढ़ी पर नहीं पड़ेगा, बल्कि हमारी पीढ़ी भी इसका सामना कर रही है।” वैज्ञानिक थॉमस फ्रोलीचर भी इस बात से सहमत हैं और कहते हैं कि वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में कटौती करना जरूरी है ताकि हिंद महासागर के संकट को कम किया जा सके।

इस चुनौती से निपटने के लिए बहुआयामी रणनीति की जरूरत है, जिसमें कार्बन उत्सर्जन कम करना, मजबूत बुनियादी ढांचे में निवेश करना, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्रों का संरक्षण करना और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना शामिल है। सिर्फ ठोस कदम उठाकर ही हम आने वाली पीढ़ी के लिए हिंद महासागर के पारिस्थितिकी तंत्र और आजीविका की रक्षा कर सकते हैं।

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