तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर : नामांकन प्रक्रिया की समाप्ति के मुहाने और उम्मीदवारों पर तस्वीर साफ होते जाने से इतना स्पष्ट है कि खड़गपुर का चुनावी महाभारत इस बार काफी रोचक होने जा रहा है। विजय पताका फहराने को हर खेमा बेताब तो है लेकिन आशाओं के बीच आशंकाओं की आकाशीय गर्जना योद्धाओं में सिहरन पैदा कर रही है। अभी तक के कालक्रम के मद्देनजर चुनाव मैदान में प्रदीप सरकार (तृणमूल कांग्रेस ) हिरणमय चट्टोपाध्याय (भाजपा) , रीता शर्मा ( संयुक्त मोर्चा ) सुरंजन महापात्र (एस यू सीआई ) व मधुसूदन राव ( हम पार्टी ) का नजर आना तय माना जा सकता है ।
यद्यपि नामांकन खत्म होने तक उम्मीदवारों की संख्या में फेरबदल स्वाभाविक है । लेकिन परिस्थितियों के आकलन के आधार पर कहा जा सकता है कि इस बार के हालात पिछले चुनावों खास तौर से नवंबर 2019 में हुए विधानसभा उपचुनाव से काफी अलग है । भाजपा के पास आक्रामक प्रचार तंत्र तथा स्टार प्रचारक और समर्पित कार्यकर्ताओं की फौज तो है , लेकिन बिल्कुल नए उम्मीदवार की अराजनीतिक पृष्ठभूमि पार्टी के लिए परेशानी का कारण बन सकती है।
तृणमूल कांग्रेस के सामने भी चुनौतियां कम नहीं है । पिछले चुनाव के बनिस्बत इस बार पार्टी के पास शुभेंदु अधिकारी सरीखे करिश्माई नेता का साथ नहीं है , बल्कि वे विरोधी खेमे में है। सारा दारोमदार नेताओं के दम – खम पर निर्भर करेगा। कांग्रेस को वाममोर्चा का साथ है लेकिन उसके सामने भी दूसरे अन्य उम्मीदवारों की तरह विकट चुनौती बड़ी पार्टियों के संसाधनों से मुकाबले की है । कुल मिला कर इस बार का चुनावी कुरुक्षेत्र योद्धाओं की कठिन परीक्षा लेता नजर आ रहा है ।