हाईकोर्ट ने मानी सीबीआई की दलील, कहा- दबाव बनाने के लिए मुख्यमंत्री ने धरना दिया

  • अदालत परिसर में हजारों समर्थकों के साथ उपस्थित थे कानून मंत्री

कोलकाता। Narad Scam : कलकत्ता हाई कोर्ट ने फिरहाद, सुब्रतो, मदन और शोभन की अंतरिम जमानत पर रोक लगा दी है। इसके लिए सीबीआई नेे हाई कोर्ट मेंं दलील दी कि मुख्यमंत्री के धरने और अदालतत परिसर में हजारों समर्थकों के साथ कानून मंत्री की उपस्थिति से सीबीआई पर दबाव बढ़ा। इसीलिए कलकत्ता हाई कोर्ट ने TMC नेताओं की अंतरिम जमानत पर रोक लगाई।

गौर हो कि टीएमसी नेताओं की गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने समर्थकों के साथ सीबीआई कार्यालय के बाहर धरने पर बैठी थीं। राज्य के कानून मंत्री दो-तीन हजार समर्थकों के साथ अदालत परिसर में उपस्थित रहे, इसी बात को आधार बना कर सीबीआई ने बंदियो की जमानत रद्द करने की मांग कलकत्ता उच्च न्यायालय से की थी।

कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस मांग को स्वीकारते हुए सभी बंदियों की अंतरिम जमानत पर रोक लगा दी, फिर सभी बंदियों को सोमवार रात में ही निजाम पैलेस के पिछले दरवाजे से प्रेसीडेंसी जेल ले जाया गया।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्च न्यायालय में सीबीआई की ओर से पैरवी करते हुए कहा कि आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद लोग सीबीआई कार्यालय के बाहर जमा होने लगे। सुबह 10:50 बजे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने समर्थकों के साथ धरने पर बैठ गई थी और उन्होंने बिना शर्त सभी की रिहाई की मांग की थी। इसके अलावा जिस अदालत में बंदियों को पेश किया जाना था उस परिसर में अपने दो-तीन हजार समर्थकों के साथ प्रदेश के कानून मंत्री पूरे समय उपस्थित थे।

ऐसे में साधारण नागरिक सोच सकते हैं कि यह कानून का शासन नहीं है, बल्कि भीड़ इकट्ठा कर प्रभावित की जा रही है। सीबीआई ने मामले को दूसरे राज्य में स्थानांतरित करने का भी उच्च न्यायालय से अनुरोध किया था।

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सीबीआई द्वारा दिये गए इस दलील को स्वीकार कर लिया। पीठ ने की टिप्पणी, अदालत विवाद के गुण-दोष को नहीं आंक रही है। लेकिन जिस तरह से दबाव बनाया गया है उससे आम लोगों को कानून के शासन पर भरोसा करने के लिए प्रोत्साहन नहीं मिलेगा। उसके बाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा दी और अगले आदेश तक सभी को न्यायिक हिरासत में भेजे जाने का आदेश दिया।

फिरहाद हकीम की बेटी प्रियदर्शिनी ने फैसले पर असंतोष जताया है। उन्होंने कहा, ‘जमानत की कॉपी रात 8 बजे आई फिरभी नहीं छोड़ा कहा 15 मिनट रुको, हम देख रहें है। हमारे वकील हाईकोर्ट नहीं गए। जमानत कैसे निलंबित की गई? और मुख्यमंत्री ने तो धरना नही दिया।

फिरहाद हकिम ने रात में प्रेसीडेंसी जेल जाते समय संवाददाताओं से कहा, “न्यायपालिका में विश्वास है।” मुझे कानून के तहत रिहा किया जाएगा। सीबीआई, ईडी को बीजेपी खरीद सकती है। लेकिन हमें न्यायपालिका से न्याय मिलेगा। लोकप्रिय होना गलत नहीं है। मैं लोकप्रिय हूं इसलिए हजारों लोग आए हैं। मेरे साथ गलत क्या है? मैंने सीबीआई को सहयोग नहीं किया? मेरी जमानत के अधिकार का उल्लंघन किया गया?”

सीबीआई ने सोमवार सुबह नारदा रिश्वत मामले में फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा और शोभन चटर्जी को गिरफ्तार किया था। सीबीआई ने बंदियों की न्यायिक हिरासत की मांग की थी। सीबीआई की एक विशेष अदालत ने सीबीआई की याचिका खारिज कर दी और शाम को बंदियों को अंतरिम जमानत दे दी।

लेकिन सीबीआई ने आरोपीयों को रिहा नहीं किया।
आरोपियों को निजाम पैलेस में ही रख कर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की पीठ में निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई, फिर रात को ही वर्चुअल सुनवाई की गई।

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