पूरा विश्व गुरु नानक देव की प्रभात फेरी में गुरबाणी मय हो रहा है- धन गुरु नानक सारा जग तारिया

भारत के करीब सभी प्रदेशों में प्रभात फेरी की गूंज- वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फतेह
प्रातः वेले अमृत वेले की मधुर बेला पर दैनिक प्रभात फेरी में धन गुरु नानक सारा जग तारिया की गूंज- गुरु नानक जी तुसी मेहर करो- अधिवक्ता के.एस. भावनानी

अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर सारी दुनिया में धर्मनिरपेक्षता के लिए विख्यात भारत में हर धर्म जाति के त्यौहार, उत्सव, धार्मिक महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं, उनमें से कई उत्सव ऐसे हैं जिन्हें वैश्विक स्तर पर भारत के निवासी मूल भारतीयों द्वारा मनाए जाते हैं, उन्हीं में से एक गुरुनानक जयंती व प्रभात फेरी महोत्सव है। मैंने रविवार दिनांक 10 नवंबर 2024 को महाराष्ट्र ऑल इंडिया रेडियो पर शाम को मराठी भाषा में गुरु नानक देव जी का सत्संग व जीवनी का महिमा मंडन बड़े ध्यान से सुना तो मुझे यकीन हो गया कि यह पूरे देश में अलग-अलग खूबसूरत भाषाओं में गुरु नानक देव जी का महिमा मंडन किया जा रहा होगा, फिर मैंने अमेरिका में मेरे रिश्तेदार से फोन पर चर्चा की तो उन्होंने भी प्रभात फेरी व गुरु नानक जयंती मनाने की बात कही। इसलिए आज मैंने प्रभात फेरी पर आलेख लिखने की ठानी, क्योंकि मैं स्वयं भी गुरुद्वारे में जाता हूं इसलिए मैंने ग्राउंड रिपोर्टिंग कर इस विषय पर आर्टिकल लिखा।

चूँकि अभी 555वीं गुरु नानक जयंती शुक्रवार दिनांक 15 नवंबर 2024 को है जो कि दीपावली के बाद से शुरू हुए कार्तिक मास में प्रतिदिन प्रातःकाल अमृतवेले की मधुर बेला पर सिख समाज व सिंधी समाज की ओर से दैनिक प्रभात फेरी का आयोजन किया जा रहा है जिसमें धन गुरु नानक सारा जग तारिया और वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फतेह के नारों से हर राज्य हर शहर और अनेक देशों में वहां की धरती गूंज उठी है, और हो भी क्यों ना, क्योंकि 15 नवंबर 2024 को गुरु नानक देव जी का 555वाँ अवतरण दिवस मनाया जाएगा, जिसकी खुशी से पूरा कार्तिक मास अनेक उत्सव के साथ मनाया जा रहा है इसी कड़ी में हमारे छोटे से गोंदिया शहर में भी रोज प्रातः कालीन अमृत वेले सिख समाज व सिंधी समाज द्वारा प्रभात फेरी निकालकर अलग-अलग क्षेत्र के अंतर्गत भ्रमण कर प्यासी रूहों को तृप्त करने की कोशिश कर रहे हैं। चूंकि रोज प्रभात फेरी में भक्तगण आनंदित हो रहे हैं, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से और मेरी ग्राउंड रिपोर्टिंग के आधार पर हम चर्चा करेंगे, पूरे विश्व में बाबा गुरु नानक देव के 555वें अवतरण दिवस 15 नवंबर 2024 के इंतजार में आंखें बिछाए भक्तगण। प्रातः काल अमृत वेले की मधुर बेला पर दैनिक प्रभात फेरी में धन गुरु नानक सारा जग उतारिए की गूंज।

साथियों बात अगर हम गुरु नानक देव जयंती के उपलक्ष में कार्तिक माह से लेकर प्रभात फेरी पर्व मनाने की करें तो, इस दिन प्रात: काल स्नान करके प्रभात फेरी की शुरुआत की जाती है। इसके साथ ही सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारे में भजन और कीर्तन करते हैं। इसके साथ ही गुरु नानक जी को विशेष रूप से रुमाल भी सजाया जाता है। पूरे गुरुद्वारों को दीपों से सजाया जाता है। प्रार्थना सभा के बाद लंगर का आयोजन करने के साथ सेवा दान किया जाता है। इसके साथ ही गुरबाणी का पाठ किया जाता है। गुरु नानक देव के पावन प्रकाशोत्सव पर सिख समाज के लोगों ने दिवाली के चंद्र से लेकर प्रभात फेरी निकाली जाती है। प्रभात फेरी में सिख समुदाय सिन्धी समुदाय के महिला पुरुष एवं बच्चों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहें है। प्रभात फेरी गुरुद्वारों से निकलकर नगर में भ्रमण करते हुए वापस गुरुद्वारा पहुंच रहे हैं। प्रभात फेरी में शामिल महिलाएं, बच्चे व बुजुर्ग ढोलक बजाते धन गुरु नानक, धन गुरु नानक की गूंज से माहौल भक्तिमय हो गया। संगत ने दुख भंजन तेरा नाम जी ठाकुर गाइए आतम रंग, मारेया सिक्का जगत विच नानक निर्मल पंथ चलाया, सब ते वड्डा सतगुर नानक जिन कल राखी मेरी आदि शबदों का गायन किया।

इधर प्रकाश उत्सव के उपलक्ष्य में हर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से हर कस्बे में प्रभात फेरी निकाली जा रही है। रोजाना सुबह 4-5 बजे पूरे कस्बे में प्रभात फेरी 15 नवंबर तक निकाली जाएगी। प्रभात फेरी में गुरु नानक देवजी की महिमा का गुणगान किया जाता है। प्रभात फेरी  गुरुद्वारा परिसर से शुरू होकर कस्बे के गली-मोहल्ले से होते हुए वापस गुरुद्वारा पहुंचकर समाप्त होती है। सिख समुदाय के लोगों का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस के अवसर पर मनाया जाता है। कहा जाता है कि कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष कि पूर्णिमा तिथि पर गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। इस साल कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर को है, इसलिए 15 नवंबर को ही सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी जयंती मनाई जाएगी। गुरु नानक देव की जयंती को गुरु पर्व और प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सिख लोग गुरुद्वारे जाकर गुरुग्रंथ साहिब का पाठ करते हैं। गुरु पर्व पर सभी गुरुद्वारों में भजन, कीर्तन होता है और प्रभात फेरियां भी निकाली जाती हैं।

साथियों बात अगर हम प्रभात फेरी के इतिहास और महत्व की करें तो प्रभात फेरी का इतिहास काफी पुराना है। लेकिन खासतौर से सिख धर्म में प्रभात फेरी को अधिक अहमियत मिली है। आज भी न सिर्फ सिख बल्कि दूसरे समुदायों के लोग भी गुरु परब से पहले ही प्रभात फेरियां शुरू करते हैं, ताकि गली-गली घूमकर सिख गुरुओं की सीख को लोगों तक पहुंचाया जाए। तड़के गुरुद्वारों से निशान साहिब लेकर जत्थे गलियों में निकलते हैं। जहां-जहां से प्रभात फेरी निकलती है वहां-वहां अब लोग चाय के साथ-साथ खाने-पीने के स्टॉल भी लगाते हैं। स्पेशल बैंड परफॉर्मेंस होती है। गतका अखाड़े परफॉर्म करते हैं। अब इन प्रभात फेरियों में हजारों लोग जुड़ने लगे कुछ लोगों का मानना है कि प्रभात फेरी का मकसद उन आलसी लोगों को सुबह समय से जगाना भी है जो अपने स्वार्थ के लिए भगवान को भूल चुके हैं। सुबह का समय भगवान को याद करने का होता है, ताकि आने वाला जीवन अच्छा बीते लेकिन कुछ लोग अपने आलस्य के चक्कर में आराधना से दूर होते जा रहे हैं।

साथियों बात अगर हम बाबा गुरुनानक देव की जीवनी की करें तो, गुरुनानक देव जी सिखों के प्रथम गुरु थें। इनके जन्म ‌दिवस को गुरुनानक जयंती के रूप में मनाया जाता है। नानक जी का जन्म 1469 में कार्तिक पूर्णिमा को पंजाब (पाकिस्तान) क्षेत्र में रावी नदी के किनारे स्थित तलवंडी नाम गांव में हुआ। नानक जी का जन्म एक हिंदू परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम कल्याण या मेहता कालू जी था और माता का नाम तृप्ती देवी था। 16 वर्ष की उम्र में इनका विवाह गुरदासपुर जिले के लाखौकी नाम स्‍थान की रहने वाली कन्‍या सुलक्‍खनी से हुआ।इनके दो पुत्र श्रीचंद और लख्मी चंद थें। दोनों पुत्रों के जन्म के बाद गुरुनानक देवी जी अपने चार साथी मरदाना, लहणा, बाला और रामदास के साथ तीर्थयात्रा पर निकल पड़े। ये चारों ओर घूमकर उपदेश देने लगे।

1521 तक इन्होंने तीन यात्रा चक्र पूरे किए, जिनमें भारत, अफगानिस्तान, फारस और अरब के मुख्य मुख्य स्थानों का भ्रमण किया। इन यात्राओं को पंजाबी में उदासियाँ कहा जाता है। गुरुनानक देव जी मूर्ति पूजा को निरर्थक माना और हमेशा ही रूढ़ियों और कुसंस्कारों के विरोध में रहें। नानक जी के अनुसार ईश्वर कहीं बाहर नहीं, बल्कि हमारे अंदर ही है। तत्कालीन इब्राहीम लोदी ने इनको कैद तक कर लिया था। आखिर में पानीपत की लड़ाई हुआ, जिसमें इब्राहीम हार गया और राज्य बाबर के हाथों में आ गया तब इनको कैद से मुक्ति मिली। गुरु नानक जी के विचारों से समाज में परिवर्तन हुआ। नानक जी ने करतारपुर (वर्तमान पाकिस्तान) नामक स्‍थान पर एक नगर को बसाया और एक धर्मशाला भी बनवाई। नानक जी की देह त्याग 22 सितंबर 1539 ईस्वी को हुआ। इन्‍होंने अपनी मृत्यु से पहले अपने शिष्य भाई लहणा को अपना उत्तराधिकारी बनाया, जो बाद में गुरु अंगद देव नाम से जाने गए।

साथियों बात अगर हम बाबा गुरु नानक देव के उपदेशों की करें तो, किरत करो नाम जपो और बांट कर खाओ, अर्थात अपना जीवन यापन करने के लिए हमें कार्य करना चाहिए, उस परमात्मा की बंदगी भजन और कीर्तन करना चाहिए और हमेशा खाना बांट कर खाना चाहिए। सो क्यों मंदा आखिए जित जमी राजन,अर्थात यह शब्द गुरु जी ने समाज में महिलाओं की स्तर को ऊंचा उठाने के लिए कहे थे कि उस औरत को हम बुरा कैसे कह सकते हैं जो एक राजा को भी जन्म देती है। गुरु जी ने और उपदेश दिया था कि इस संसार में जो कुछ भी हो रहा है वह उस परमात्मा के हुक्म के अनुसार हो रहा है। सब कुछ उस परमात्मा के हुक्म के अधीन ही है उस हुक्म के बाहर कुछ भी नहीं हो रहा और इंसान के जीवन में सुख और दुख जो कुछ भी घटता है वह उसके द्वारा किए गए कर्मों के अनुसार ही होती हैं। गुरु नानक साहब केवल एक ईश्वर की पूजा करते हैं और अपने सिखों को भी ऐसा करने का निर्देश देते हैं।

मैं मूल मंत्र लिख रहा हूं जो सिख विचारधारा का मूल है और गुरु ग्रंथ साहिब की शुरुआत है- एक ओंक़ार सतनाम, करता पुरख निरभउ निरवैर, अकाल मूरत, अजूनी सैभं, गुरप्रसादि। अर्थ.. ईश्वर एक है, उसका नाम सत्य है, रचयिता, निर्भय, द्वेष नहीं, कालातीत, जन्महीन, आत्म अस्तित्व और गुरु की कृपा से आप मिल सकते हैं। तो, यह गुरु नानक और सिख धर्म के मुख्य सिद्धांत और विचारधारा है। गुरु ग्रंथ साहिब में 06 गुरुओं, 11 भट्ट जिन्होंने निराकार ईश्वर के प्रकाश के रूप में हमारे गुरुओं की स्तुति की और 15 भगतों द्वारा लिखित बानी शामिल हैं, जिनकी विचारधारा गुरु नानक साहब से मेल खाती है। गुरबानी निराकार ईश्वर से गुरुओं के मुख से निकली है जैसा कि गुरु ग्रंथ साहिब में लिखा है न कि रामायण या वेदों का मिश्रण जैसे कुछ लोग गुरबानी पढ़े बिना कह रहे हैं।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि पूरा विश्व गुरु नानक देव की प्रभात फेरी में गुरबाणी मय हो रहा है- धन गुरु नानक सारा जग तारिया। भारत के क़रीब सभी प्रदेशों में प्रभात फ़ेरी की गूंज़- वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फ़तेह।प्रातः वेले अमृत वेले की मधुर बेला पर दैनिक प्रभात फेरी में धन गुरु नानक सारा जग तारिया की गूंज- गुरु नानक जी तुसी मेहर करो।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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